रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने ₹2000 के नोट को वापस लेने का ऐलान कर दिया है लेकिन यह नोट 30 सितंबर 2023 तक वैध रहेगा। RBI के इस कदम पर लगभग पूरा विपक्ष हमलावर है, तो दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने RBI के इस फैसले का समर्थन किया है।
उनकी राय विपक्ष के अन्य नेताओं से बिल्कुल अलग है। एक जनसभा को संबोधित करते हुए TDP के नेता ने कहा- ₹2000 के नोटों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय निश्चित रूप से एक अच्छा संकेत है। मैंने बहुत पहले ही डिजिटल करेंसी पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है और नोटों को रद्द करने से निश्चित रूप से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
चंद्रबाबू नायडू ने कही ये बात
2000 रुपए के नोट को बंद करने के फैसले का समर्थन करते हुए चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि इस फैसले से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। उन्होंने आगे कहा, नेता वोटर्स को पैसे देकर चुनाव जीतने की कोशिश करते हैं। 2000 के नोट इसमें बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। अब, इसे काफी हद तक रोका जा सकता है। साफ -साफ़ शब्दों में कहा जाए तो चंदबाबू नायडू की राय विपक्ष की राय से अलग है।
गहलोत का सवाल, तो लाया ही क्यों था?
कांग्रेस ने नोट बंद करने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अगर दो हजार के नोट को बंद ही करना था तो इसे लाया ही क्यों गया था। अगर दो हजार का नोट पहले से चलन में नहीं था तो इस पर भी जवाब देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार को यह भी बताना चाहिए की दो हजार के नोट अचानक से कैसे गायब हो गए। इन्हें आसमान खा गई या जमीन ने निगला। कांग्रेस के अनुभवी नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि ऐसे फैसलों से अर्थव्यवस्था मजबूत होने की बजाए कमजोर होती है। मोदी सरकार के पास अर्थव्यवस्था को लेकर कोई विजन ही नहीं है।
Compiled: up18 News