रिश्तों में पड़ गई द्वेष भाव की भंग, फीके पड़ते होली के रंग…

पहले की होली और आज की होली में अंतर आ गया है, कुछ साल पहले होली के पर्व को लेकर लोगों को उमंग रहता था, आपस में प्रेम था। किसी के भी प्रति द्वेष भाव नहीं था। आपस में मिल कर लोग प्रेम से होली खेलते थे। मनोरंजन के अन्य साधानों के चलते लोगों की […]

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खुशहाली और सफलता बाहरी दुनिया से कहीं ज्यादा हमारे अंदर के विश्वास से जुड़ी है

क्या आप कभी इस भावना से जूझते हैं कि आपके पास पर्याप्त नहीं है? शायद यह पैसा, सफलता, प्यार या किसी चीज की कमी का अहसास हो सकता है। लेकिन क्या होगा अगर हम आपको बताएं कि खुशहाली और सफलता बाहरी दुनिया से कहीं ज्यादा हमारे अंदर के विश्वास से जुड़ी है? यही वह जगह […]

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सावधान! खुलने वाले है घोषणा पत्र यानी वादों के पिटारे..

भारत में चुनावी वर्ष नज़दीक आते ही राजनीतिक पार्टियाँ सत्ता में आने के लिये लोक-लुभावनी घोषणाएँ करने लगती हैं, जैसे मुफ्त में बिजली-पानी, लैपटॉप, साइकिल आदि देने के वायदे करना आदि। यह प्रचलन लोकतंत्र में चुनाव लड़ने के लिये सभी को समान अवसर मिलने के मूल्य के उल्लंघन को तो दर्शाता ही है, साथ ही […]

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राष्ट्रीय पेंशन योजना: जानिए! टियर 1 और टियर 2 खाते के बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

भारत की राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में टियर 1 और टियर 2 दो अलग-अलग खाते हैं जो विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करते हैं और अलग-अलग सुविधाएँ प्रदान करते हैं: उद्देश्य: टियर 1: मुख्य रूप से मुख्य सेवानिवृत्ति बचत खाते के रूप में कार्य करता है। यह लॉक-इन अवधि और कर लाभ के साथ सेवानिवृत्ति के […]

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मह‍िला द‍िवस: इस पुरुष प्रधान समाज में अपने आपको खोजती महिलाएं

“एक जज का बेटा वकील है, और इस वकील का पिता एक इंस्पेक्टर है। फिर जज कौन है?” एक प्रशिक्षण कार्यशाला में जब यह सवाल पूछा गया तो कई प्रतिभागी जवाब देने में असमर्थ रहे। हमारे पित्रात्मक समाज में गहरी जड़ें जमा चुके जेंडर आधारित पूर्वाग्रह और रूढ़िवादिता के चलते शायद बहुतों ने यह सोचा […]

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महिला दिवस: समय की रेत पर छाप छोड़ती युवा लेखिका प्रियंका सौरभ

युवा महिला लेखिका जो हिंदी और अंग्रेजी के 10,000 से अधिक समाचार पत्रों के लिए दैनिक संपादकीय लिख रही हैं जो विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होते हैं। प्रमाणित सबूत गूगल के रूप में प्रियंका सौरभ और आपको सब कुछ मिल जायेगा। दुनिया के सबसे बड़े शिक्षा मंच unacademy और व्यक्तिगत यूट्यूब चैनल पर लड़कियों को […]

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द डबल स्टैंर्डड ऑफ एजिंग: समाज बढ़ती उम्र की महिलाओं को गायब कर देता है

फ्रेंच एक्ट्रेस लेरॉय (Leroy-Beaulieu) ने एक बार कहा था कि “इस दुनिया में महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उन्हें डिस्पोजेबल सामान के रूप में देखा जाने लगता है।” महिला की ढलती उम्र एक तरह की ‘सिल्वर सुनामी’ है क्योंकि इस उम्र में वह दुनिया की उसके प्रति बदलती नजरों के साथ ही चेहरे पर […]

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बदलते, बिगड़ते मौसम पर लिखने वाले पत्रकारों को अधिक प्रशिक्षण की जरूरत

साल-दर-साल बढ़ती तपिश मीडिया के लिए भी खबरों का एक प्रमुख विषय बन चुकी है। एक अध्ययन के मुताबिक खास तौर पर भाषायी प्रकाशनों में काम कर रहे पत्रकारों को इस गूढ़ विषय के बारे में और प्रशिक्षित करने की जरूरत है। ब्रिटेन के स्कूल ऑफ़ जियोग्राफी एंड द एनवायरनमेंट के विशेषज्ञ जेम्स पेंटर, ऑस्ट्रेलिया […]

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पॉलिथीन का इस्तेमाल कर कहीं आप किसी बच्चे की बौद्धिक मंदता के लिए ज़िम्मेदार तो नहीं बन रहे?

हर बार, बाज़ार जाने से पहले जब आप वो कपड़े का थैला ले जाना भूल जाते हैं और फिर सामान खरीदने के बाद दुकानदार से पॉलिथीन की थैली मांगते हैं, तब आप अनजाने में ही सही, लेकिन कहीं न कहीं, किसी बच्चे की बौद्धिक दिव्यांगता में योगदान दे रहे होते हैं। जी हाँ, आपने सही […]

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लोकसभा चुनाव 2024 के साथ महत्वपूर्ण मील के पत्थर तक पहुंच जाएगी EVM की कहानी

लोकसभा चुनाव में जब पहला मतदाता मत डालने के लिए वोटिंग बटन दबाएगा तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) 2004 के बाद से पांच संसदीय चुनावों में इस्तेमाल किए जाने के महत्वपूर्ण मील के पत्थर तक पहुंच जाएगी। ईवीएम की यात्रा विभिन्न घटनाक्रमों से परिपूर्ण रही है क्योंकि समय-समय पर कुछ राजनीतिक दलों ने इसकी विश्वसनीयता […]

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