बिहार में हो रहे जातिगत सर्वेक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, सुनवाई शुक्रवार को

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याचिका में कहा गया है कि जनगणना केवल केंद्र सरकार ही करा सकती है क्योंकि ये केवल केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आता है. इसलिए ये संविधान के बुनियादी ढांचे के ख़िलाफ़ है.

ये अर्ज़ी भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के सामने सूचीबद्ध थी, जिन्होंने इस पर सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन तय किया है.

याचिका में दावा किया गया है कि जातीय गणना से संबंधित बिहार सरकार की अधिसूचना “भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक” है. वकील बरुण कुमार सिन्हा ने ये जनहित याचिका दायर कर अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है.

बिहार सरकार ने बीते साल जून महीने में जातिगत सर्वेक्षण को मंज़ूरी दी थी.

इस सर्वेक्षण में 12.7 करोड़ जनसंख्या, 2.58 करोड़ घरों को कवर किया जाएगा जो इस साल 31 मई को पूरा होगा.

हालांकि, इसे जातिगत जनगणना नहीं कहा गया है लेकिन इसमें जाति संबंधी जानकारी जुटाई जाएगी.

पहला चरण 21 जनवरी को ख़त्म होगा. इसमें घरों की संख्या की गणना होगी. उसके बाद दूसरे चरण में जाति संबंधी जानकारी इकट्ठा की जाएगी.

Compiled: up18 News