ऐतिहासिक फैसला: गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर में फहराई जाएंगी अब 6 ध्‍वजा

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वेटिंग में आएगी कमी

द्वारकाधीश देवस्थान समिति की बैठक में प्रतिदिन पांच की बजाए छह ध्वजा फहराने के नियम से वेटिंग कम होने की उम्मीद है। भगवान द्वारकाधीश के जगत मंदिर में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आते हैं। जगत मंदिर के शिखर पर प्रतिदिन 5 ध्वजा फहराई जाती थी। अब छह ध्वजा लगने से लोगों का इंतजार जल्दी खत्म होगा। बिपरजॉय चक्रवात के गुजरने के बाद मंदिर समिति ने पिछले 15 दिनों तक छह-छह ध्वजा लगाने का फैसला लिया था ताकि बिपरजॉय के चलते जो वेटिंग हुई थी उसे खत्म किया जा सके। अब समिति ने आगे हर रोज छह ध्वजा लगाने का नियम लागू कर दिया है।

2024 तक की है वेटिंग

द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजा चढ़ाने के लिए लंबी वेटिंग है। मंदिर प्रशासन के अनुसार अगले साल 2024 तक ध्वजा चढ़ाने के लिए बुकिंग हो चुकी है। मसलन अगर आज कोई बुकिंग करता है तो उसे 2024 में आखिर को कोई स्लॉट मिलेगा। खंभालिया में कलेक्टर सह द्वारकाधीश देवस्थान समिति के अध्यक्ष अशोक शर्मा की अध्यक्षता में समिति की हुई बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया।

ऑनलाइन होगा ध्वजा आवंटन

द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजा चढ़ाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाएगा। इससे लोग घर बैठे द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजा चढ़ाने के लिए बुकिंग कर पाएंगे। मंदिर प्रशासन से जुड़े लोगों का कहना है कि ऑनलाइन सिस्टम से देश और विदेश के श्रद्वालुओं को सुविधा होगी और पूरी व्यवस्था पारदर्शी हो जाएगी। आगे ध्वजा चढ़ाने का आवंटन एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा।

खत्म होगी पुरानी व्यवस्था

मंदिर प्रशासन के अनुसार यह पोर्टल 1 नवंबर 2023 को लॉन्च किया जाएगा। तब तक पुरानी व्यवस्था लागू रहेगी। अभी ड्रा के जरिए ध्वजा चढ़ाने वाले लोगों के नाम तय होते हैं। गुगली ब्राह्मण समुदाय की ओर से हर महीने की 20 तारीख को ड्रा आयोजित किय जाता है। ध्वजा को मासिक ड्रा के माध्यम से आवंटित किया जाएगा। यह व्यवस्था ऑनलाइन पोर्टल चालू होने तक जारी रहेगी और पोर्टल लॉन्च होने के बाद सभी ध्वजा पोर्टल के माध्यम से आवंटित की जाएगी।

दो ध्वजा से टलता है संकट

ऐसी मान्यता है कि जगत मंदिर पर दो ध्वजा चढाने से संकट टल जाते हैं। कई बार द्वारका और आसपास प्राकृतिक आपदा की आशंका हुई थी, लेकिन अंत समय में इस तरह की आपदा टलती रही है। बिपरजॉय के समय भी ऐसा ही हुआ था। द्वारका के लोगों का कहना है कि ऐसे संकट को टालने के लिए जगत मंदिर पर दो ध्वजाएं फहराने की परंपरा जारी है। एक बार मंदिर के शीर्ष पर आकाशीय बिजली भी गिरी थी लेकिन मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचा था।

-Compiled: up18 New