अपनी रहस्यमयी तिजोरी के प्रसिद्ध है भगवान विष्णु को समर्पित श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर

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पद्मनाभ स्वामी मंदिर भारत के सबसे अमीर हिंदू मंदिरों में से एक है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। प्राचीन रहस्यमय ग्रंथों के अनुसार मंदिर में छह तहखाने मौजूद हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदिर को एक प्राचीन शाप से दूषित कर दिया गया था। कहा जाता है कि मंदिर का सारा खजाना इन छह अलग-अलग तहखानों में रखा हुआ है। चलिए आपको इस मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।

पद्मनाभ स्वामी मंदिर को सदियों से कई दान दिया जा रहा है, जिस वजह से भी इसे दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में गिना जाता है। हालांकि न केवल धन, बल्कि ये मंदिर अपनी वास्तुकला की वजह से भी काफी खास है। जब आप मंदिर को देखेंगे, तो आपको केरल और द्रविड़ शैलियों का एक अनूठा मिश्रण देखने को मिलेगा। मंदिर ने केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम को भी नाम दिया था, ‘थिरु’ ‘अनंत’ ‘पुरम’ का अर्थ है ‘भगवान अनंत पद्मनाभ का पवित्र निवास।

मंदिर की उत्पत्ति के बारे में इतिहासकार अलग-अलग हैं। कुछ लोग कहते हैं कि पद्मनाभस्वामी मंदिर आठवीं शताब्दी का है। जो संरचना अभी बनी हुई है उसके बारे में कहा जाता है कि इसे 18 वीं शताब्दी में त्रावणकोर महाराजा मार्तंड वर्मा द्वारा बनाया गया था। तब से, मंदिर का मैनेजमेंट त्रावणकोर शाही परिवार के वंशजों द्वारा संचालित एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।

पद्मनाभ स्वामी मंदिर के गर्भगृह के नीचे छह बड़े-बड़े गुप्त वॉल्ट या तहखाने बने हुए हैं। 2011 में, एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी सुंदरराजन ने मंदिर के खजाने की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने खजाने के बारे में पता लगाने के लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया। तलाशी लेने पर, उन्होंने छह तहखानों की तलाशी ली, जिनके दरवाजे लोहे के बने थे और उन्हें खोलने की सीमित थी। कमेटी द्वारा उन्हें ए, बी, सी, डी, ई, और एफ नाम दिया था। इन कमरों में प्रवेश करना एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया साबित हुई। लेकिन जब उन्होंने बहुत मेहनत के बाद तिजोरी में खजाने की खोज की तब उन्हें वहां हीरे और अन्य कीमती रत्नों और पत्थरों के साथ-साथ 1 लाख करोड़ रुपये की कीमती धातुओं से बनी मूर्तियां और सिंहासन मिले।

तिजोरी बी के दरवाजे को नहीं खोला गया, ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी उसे खोलने की कोशिश करेगा, उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। माना जाता है कि सभी छह तिजोरियों में से, चैंबर बी भगवान पद्मनाभस्वामी से सबसे अधिक जुड़ा हुआ माना जाता है। तिजोरी खुलने के चंद हफ्ते बाद ही याचिकाकर्ता की अकस्मात मौत के बाद बदकिस्मती की यह धारणा और मजबूत हो गई।

ऐसा माना जाता है कि तिजोरी बी की रक्षा नागों, एक पौराणिक पिशाच और अन्य अलौकिक देवताओं द्वारा की जा रही है। उन्हें तिजोरी का संरक्षक माना जाता है, और ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी दरवाजे को खोलने का प्रयास करेगा वह अपने कई लिए कई समस्याओं को आमंत्रित करेगा। सदियों पहले जब मंदिर प्रबंधन ने कल्लारा बी को खोलने की कोशिश की, तो उन्हें लहरों की आवाजें सुनाई दीं, जब ये तहखाना रहस्यमय और डरावना लगने लगा, तब उन्होंने अपना फैसला बदलकर वापस इसे बंद करने का निर्णेय लिया।

1930 के दशक में जब लुटेरों का एक गिरोह मंदिर को लूटने गया, तो उन्होंने देखा कि सांप उनकी ओर आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल के संतों ने शक्तिशाली नागा पासम मंत्र का जाप करके कक्ष के प्रवेश द्वार को सील कर दिया था। केवल सबसे सटीक समझ वाला पुजारी ही गरुड़ मंत्र का जाप करके इसे खोल सकता है। अब हम कल्पना ही कर सकते हैं कि मंदिर के अंदर क्या हो सकता है।

– एजेंसी