आगरा। एक डॉक्टर को ‘भगवान’ का दर्जा इसलिए दिया जाता है कि वह भगवान की बनाई हुई ‘इंसान रुपी मशीन’ को ठीक कर देता है। मगर कुछ लालची डॉक्टर अपनी मर्यादा भूलकर इतनी बड़ी लापरवाही कर देते हैं। कि लोगों की जान जोखिम में आ जाती है। ऐसा ही एक मामला ताजगंज क्षेत्र का सामने आया है। शमसाबाद रोड के रहने वाले अविनाश सेंगर का आरोप है कि उनकी पत्नी की एक डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान आंत काट दीं। इसके बाद उसके पेट को सिल भी दिया। कई दिनों तक परेशान रहने के बाद जब दूसरे डॉक्टर को दिखाया तो हकीकत सामने आई। पत्नी की जान तो बच गई, लेकिन लापरवाह डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी।
शमसाबाद रोड जयपुरिया थाना ताजगंज के रहने वाले अविनाश सेंगर ने बताया कि उनकी पत्नी के गर्भवती थीं। उनके पेट में दो बच्चे पल रहे थे। पत्नी का इलाज शांति मांगलिक हॉस्पिटल में चल रहा था। अविनाश का कहना है कि 29 मई 2022 को वे शांति मांगलिक हॉस्पिटल पत्नी को दिखाने गए। हॉस्पिटल में मौजूद डॉ. अनुप्रिया सिंह ने उनकी पत्नी प्रियंका सिंह का ऑपरेशन किया। दो जुड़वा बच्चे पैदा हुए। पत्नी को परेशानी होने पर डॉक्टर अनुप्रिया सिंह ने दवाई लिख दीं और कहा कि 1-2 दिन में सब ठीक हो जाएगा। मगर उसकी पत्नी की परेशानियां बढऩे लगीं। कुछ दिनों बाद उन्होंने दूसरे डॉक्टर को दिखाया तो अल्ट्रासाउंड के बाद ऑपरेशन करने की सलाह दी। अविनाश सेंगर का कहना है कि दूसरे डॉक्टर ने ऑपरेशन में बताया कि उनकी पत्नी की आंत कटी हुई हैं। शरीर में इंफेक्शन होने पर पस पड़ गया है। बमुश्किल उनकी पत्नी की जान बच सकी।
कोर्ट से दर्ज कराई प्राथमिकी
अनिवाश सेंगर ने बताया कि इसके बाद उन्होंने लापरवाह डॉक्टर अनुप्रिया सिंqह के खिलाफ कार्रवाई करवाने का मन बना लिया। उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से की, लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में माध्यम से आरोपी चिकित्सक अनुप्रिया सिंह और हॉस्पिटल कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ डीजी हेल्थ से भी इसकी शिकायत की गई। जिसमें मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश हुए। सीएमओ ने चिकित्सकों को पैनल बनाया। जिसमें चिकित्सक को क्लीन चिट दी गई।
पीडि़त के आरोप
अविनाश सेंगर ने बताया कि चिकित्सक को बचाने के लिए एक प्रशासनिक अधिकारी और सीएमओ ने पूरी कोशिश की है। सीएमओ ने अपनी जांच में चिकित्सक को क्लीन चिट दी है। जांच कर रहे पैनल ने उनकी पत्नी के बयान दर्ज नहीं किए थे। जब वह सीएमओ से मिलने पहुंचा था तो सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने उसे ऊपर से नेताओं के दवाब होने के कारण कार्रवाई नहीं करने की बात कही थी।
क्या कहते हैं सीएमओ
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पीडि़त की शिकायत पर मजिस्ट्रेट द्वारा जांच गई थी। इसके साथ ही उन्होंने चिकित्सकों का एक पैनल गठित कर जांच कराई थी। ऑपरेशन के 23 दिन बाद दूसरा ऑपरेशन हुआ था। जिसमें कहीं भी पूर्व चिकित्सक के द्वारा किए गए ऑपरेशन में लापरवाही सामने नहीं आयी है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वे जांच से संतुष्ट नहीं हैं तो फिर से जांच करवा सकते हैं।