दुनिया में उथल-पुथल मचने वाली है, इसलिए भारत में एक परिपक्व नेतृत्व का होना जरूरी: जयशंकर

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देशभर में लोकसभा चुनाव का माहौल बना हुआ है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस दशक में संघर्षों, सत्ता परिवर्तन और कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचने वाली है। इसलिए भारत के लिए एक स्थिर और परिपक्व नेतृत्व का होना और भी जरूरी हो जाता है।

दुनिया की एक अलग तस्वीर पेश की

एक न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू में जयशंकर से जब वैश्विक शक्ति संतुलन का आंकलन करने के लिए कूटनीति और राजनीति में अपने करीब 50 वर्षों के अनुभव का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया तो उन्होंने दुनिया की उस तस्वीर से बहुत अलग तस्वीर पेश की, जिसमें हम अभी रह रहे हैं।

चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के राजदूत रहे जयशंकर ने कहा कि ‘बहुत सारे संघर्ष, तनाव और विभाजन! इन सभी कारकों के साथ में वास्तव में दशक के संतुलन के लिए एक बहुत ही टकराव भरे अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य को पेश कर रहा

भारत में स्थिर और परिपक्व नेतृत्व जरूरी

विदेश मंत्री ने विशेष रूप से अमेरिका के घटते प्रभाव, यूक्रेन में संघर्ष, गाजा में लड़ाई, लाल सागर में हमलों, दक्षिण चीन सागर में तनाव, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आतंकवाद की चुनौती और नई प्रौद्योगिकियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आज इन सब का संयोजन, बड़े टकराव की तस्वीर पेश करता है। इस संदर्भ में यह जरूरी है कि मौजूदा लोकसभा चुनावों में मतदाता बुद्धिमानी से चुनाव करें ताकि भारत में स्थिर और परिपक्व नेतृत्व बना रहे।’

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार को बनाए रखने की वकालत करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘मेरा मानना है कि आज देश के मतदाताओं को जो सबसे बड़ा विकल्प चुनना है वह यह है कि आप भारत सरकार के नेतृत्व के लिए किस पर भरोसा कर सकते हैं।’

आज दुनिया में पहले से ही हो रहा टकराव

अपनी कूटनीति से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत और मोदी सरकार का कद बढ़ाने वाले जयशंकर ने कहा कि टकराव पहले से ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज आप यूक्रेन में संघर्ष, गाजा में लड़ाई, लाल सागर में हमलों, दक्षिण चीन सागर में तनाव, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में आतंकवाद की चुनौती देख सकते हैं। आपके समक्ष वैसी ही समस्या है जैसी चीन के साथ एलएसी पर है, लेकिन दूसरे देशों के चीन के साथ अपने मुद्दे हैं।

विदेश मंत्री ने इस बात पर भी ध्यान केंद्रित कराया कि संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रभाव कम होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अभी भी दुनिया की प्रमुख शक्ति है लेकिन कई कारणों से आप कह सकते हैं अगली बहुत सारी शक्तियां अमेरिका के बराबर आ रही हैं। साथ ही अमेरिका ने खुद ही दुनिया को लेकर अपना रुख बदला है।

पित्रोदा का विवादित बयान जुबान फिसलना नहीं

कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के विवादित बयान पर केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पलटवार किया है। पित्रोदा के बयान को लेकर उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा। जयशंकर ने कहा कि सैम पित्रोदा का विवादित बयान को जुबान फिसलना नहीं कहा जा सकता है। यही कांग्रेस पार्टी की मानसिकता है और ये बयान पार्टी के लोगों की मानसिकता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि वह जो कह रहे थे उनके आसपास के क्षेत्रों में इसी को लेकर चर्चा है। यह उन लोगों द्वारा साझा किया गया होगा, जिनका वह मार्गदर्शन करते हैं। मुझे लगता है कि इसके दो हिस्से थे। पहला जिसे आपने टाइपकास्टिंग और नस्लीय रूढ़िवादिता कहा है। मुझे लगता है कि यह मेरे लिए परेशान करने वाला था। दूसरा, वास्तव में यह एक भावना थी, जिसे आप जानते हैं कि टिप्पणी का क्या मतलब है। बहुत अलग-अलग लोग हैं और किसी तरह किसी ने इन्हें एकसाथ रखा है। सभी को साथ लाने में और भारत को बनाने में थोड़ा प्रयास करना पड़ा। मुझे यह और भी ज्यादा परेशान करने वाला लगता है।”

पित्रोदा के बयान को बचकाना नहीं कहा जाएगाः जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि वह (पित्रोदा) कोई युवा व्यक्ति नहीं हैं, इसलिए उनके बयान को बचकाना नहीं कहा जाएगा। उन्होंने आगे कहा, “मेरे लिए यह एक सोच है। एक ऐसी सोच, जिसने वास्तव में मान लिया है कि हम अलग-अलग टुकड़ों में हैं। शायद उनके विचार में किसी ने कुछ रख दिया है।” केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पित्रोदा का बयान कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है। पित्रोदा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार रह चुके हैं और वह राहुल गांधी के भी करीबी माने जाते हैं। कई विदेश यात्राओं में पित्रोदा को राहुल के साथ देखा गया है। जयशंकर ने बताया कि पित्रोदा की टिप्पणी एक खास मानसिकता को दर्शाती है।

-एजेंसी