चीन की हरकत से नाराज भारत ने अरुणाचल के एथलीट्स को एयरपोर्ट से ही बुला लिया वापस

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दरअसल, स्टेपल वीजा साधारण वीजा से अलग होते हैं। चीन अकसर स्टेपल वीजा उन लोगों के लिए जारी करता है, जिन्हें वो विवादित जगहों का नागरिक मानता है। चीन काफी समय से अरुणाचल को अपना हिस्सा बताता आ रहा है जबकि भारत चीन के इस दावे का विरोध करता है।

रात में ही टीम वापस बुलाई

रिपोर्ट के मुताबिक वुशु गेम की 11 सदस्यीय भारतीय टीम चीन में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में शामिल होने के लिए देर रात रवाना होने वाली थी। कोच राघवेंद्र सिंह के अनुसार, हमें इमिग्रेशन अधिकारियों और सुरक्षा के लिए तैनात सीआईएसफ ने बोर्डिंग गेट पर ही रोक दिया।

उन्होंने कोई कारण नहीं बताया और कहा कि वे केवल सरकार के निर्देशों पर काम कर रहे थे। बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा- हमारे ध्यान में आया है कि चीन ने एक अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजन में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले हमारे कुछ नागरिकों को स्टेपल वीजा जारी किया गया था। यह हमें बिल्कुल मंजूर नहीं है। हमने इस मामले पर चीनी पक्ष के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

स्टेपल वीजा और नॉर्मल वीजा कैसे अलग?

जब किसी व्यक्ति को स्टेपल वीजा जारी किया जाता है तो पासपोर्ट के साथ एक कागज को स्टेपलर की मदद से बांध दिया जाता है जबकि नॉर्मल वीजा में ऐसा नहीं होता। स्टेपल वीजाधारी जब काम खत्म कर वापस आते हैं तो वीजा के साथ स्टेपल किए गई टिकट को फाड़ दिया जाता है।

यानी व्यक्ति के पासपोर्ट पर इस यात्रा का कोई विवरण दर्ज नहीं होता है। जबकि नॉर्मल वीजा पर यात्रा का विवरण दर्ज होता है। भारतीय वुशु फेडरेशन के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा- चीन की भेदभावपूर्ण कार्रवाई के जवाब में सरकार ने फैसला किया कि किसी भी भारतीय वुशु खिलाड़ी को प्रतियोगिता के लिए यात्रा नहीं करनी चाहिए।

चीन पहले भी खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा जारी कर चुका

चीन क्षेत्रीय विवाद का हवाला देते हुए लगातार अरुणाचल प्रदेश के भारतीय नागरिकों को नॉर्मल वीजा देने से इंकार करता रहा है। 2011 में राज्य के कराटे के 5 खिलाड़ियों को एक प्रतियोगिता के लिए स्टेपल वीजा दिया गया था।

2 साल बाद दो तीरंदाजों को यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप से पहले स्टेपल वीजा दिया गया और 2016 में भारतीय बैडमिंटन टीम के मैनेजर ने कहा कि उन्हें चीनी वीजा नहीं मिला क्योंकि वह अरुणाचल प्रदेश से थे। फिलहाल, सरकार ने यूनिवर्सिटी गेम्स में टीम की हिस्सेदारी को लेकर अंतिम फैसला नहीं किया है।

चीन ने बदले थे अरुणाचल की 11 जगहों के नाम

चीन ने मार्च में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया था। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन की इस हरकत पर पलटवार किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था- हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा था, हिस्सा है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।

Compiled: up18 News