केरल का वो मंदिर, जहां महिलाओं के प्रवेश करने का है अलग नियम

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ऋषि परशुराम ने कथित तौर पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। इसे शक्तिपीठों में से एक भी माना जाता है। बता दें कि माता सती का सिर यहां गिरा था, जिस वजह से ये जगह बेहद दिलचस्प मानी जाती है।

चलिए जानते हैं, आखिर क्यों इस मंदिर में महिलाओं के आने पर एक समय बनाया गया है।

राजराजेश्वर मंदिर की महिमा

मंदिर केरल शैली की वास्तुकला में बना है और इसकी छत पर एक सुंदर कलाशम स्थित है। मंदिर के चारों ओर दरवाजें हैं, हालांकि दक्षिण और पूर्व की ओर वाले दरवाजे खुले हैं। पूर्वी दरवाजे से आप भव्य ज्योतिर्लिंगम देख सकते हैं। और बायीं ओर एक शुभ दीप है जिसे महर्षि अगस्त्य ने जलाया था। वहीं फर्श पर, ज्योतिर्लिंग के दोनों ओर घी के दीयों की एक लंबी लाइन देख सकते हैं।

मंदिर में धार्मिक अनुष्ठानों का पालन

मंदिर की तरह ही यहां के रीति-रिवाज भी अनोखे हैं। बता दें, पुरुष यहां किसी भी समय दर्शन करने के लिए आ सकते हैं, लेकिन महिलाओं को केवल 8:00 बजे के बाद ही प्रवेश करने की अनुमति है। माना जाता है कि भगवान शिव द्वारा दिया गया वरदान आज भी यहां फलीभूत है। कोई कीमती वास्तु, खोया हुआ मान-सम्मान, स्वास्थ्य, आयु की मनोकामना के लिए लोग यहां खासतौर पर आते हैं। इस मंदिर को 11 अखंड नंदा दीपों के लिए जाना जाता है।

अखंड दीप से बना काजल

यहां आने वाले भक्त दीपक में घी दान करके मन्नत मांगते हैं। हजारों भक्तों के घी दान में देने की वजह से घी की मात्रा इतनी हो गई है कि इसे रखने के लिए खास जतन करना पड़ता है। मंदिर प्रबंधन को घी रखने के लिए दो फ्लोर विशाल भवन बनाना पड़ा है। अखंड नंदा दीपक से बने काजल की भी विशेषता है, माना जाता है कि ये बुरी नजर से बचाता है।

मंदिर का रहस्य

मंदिर की वास्तुकला बेहद अनोखी है, इसके शिखर यानि गुंबद को इस तरह से बनाया गया है कि इसकी परछाई जमीन पर नहीं पड़ती। इसके शिखर पर लगे पत्थर कुम्बम का वजन 80,000 किलो है। मंदिर के शिखर तक इतनी वजनी पत्थर कैसे ले जाया गया ये रहस्य आज भी बना हुआ है। माना जाता है कि 1.6 किलोमीटर लंबा एक रैंप बना था, जिसके इंच दर इंच को खींचकर मंदिर के शिखर पर ले जाया गया था।

Compiled: up18 News