अब एक और नया सपना… विकसित राष्ट्र बना देने का भौकाल!

सन 2024 का इलेक्शन शुरू हो चुका है और उसने सन 2014 के इलेक्शन की याद भी दिला दी है । उस इलेक्शन में जैसे देश की ऊर्जा का स्तर आसमान छू रहा था । क्या बूढ़े और क्या नौजवान उतावले और पागल हुए जा रहे थे एक नए नेतृत्व को जननायक बनाने के लिए। […]

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शतरंज की बिसात पर अर्थव्यवस्था: विकास हुआ ? टटोलिये अपनी जेब को-उत्तर मिल जायगा

शतरंज की बिसात पर अर्थव्यवस्था लगी हुई है । सह और मात का खेल जारी है । नए नए दांव लग रहे हैं । पक्ष और विपक्ष दोनों अपनी अपनी जीत की घोषणा कर रहे हैं । प्यादा जीता की राजा, अटी पड़ी दर्शक दीर्घा को भी समझ में नहीं आ रहा है । लोकतंत्र […]

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बुढ़ापे का सफ़र-कैसा है सफ़र: आज का उनका दर्द और डर, कल बनेगा हमारा सरदर्द

गाँधी की गाँधी से महात्मा गाँधी बनने की उनकी यात्रा ने उनमें ज्ञान, अनुभव और नेतृत्व की वो ज्योति जलाई जिसनें भारत राष्ट्र की आज़ादी की संकल्पना को साकार कर दिया । नौजवान गाँधी ने नहीं, वरन बूढ़े होते गाँधी ने मात्र एक नारे, भारत छोड़ो के सहारे न केवल ब्रिटिश शासन को भारत छोड़ने […]

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नेहरू हैं भारत की अर्थव्यवस्था के शिल्पी…

आज़ादी के सपने सजोने वाले मतवालों के जूनून ने आज़ादी दिला दी हमें सन 1947 में, किन्तु तब तक आज़ादी की लम्बी लड़ाई की राह तीन भागों में बट चुकी दिखती है हमें । एक वे थे जो आज़ादी चाहते थे ब्रिटिश साम्राज्य से कम, किन्तु हिन्दुओं से ज्यादा, क्योंकि उनका दामन चुभता था उन्हें […]

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वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट-2023: सपने गढ़ने, बुनने और बेचने में बाजार से भी तेज है मोदी सरकार

शान्ति, सुख और समृद्ध भरे जीवन की कामना विश्व के सभी मनुष्य करते हैं। लेकिन आज के भौतिक जगत में, सुख और प्रसन्नता का आधार, आर्थिक विकास बना हुआ दिखाई देता है। सारा जहां विकसित और विकासशील देशों में विभाजित संसार है । भारत के नीति नियंता केवल जी.डी.पी. ग्रोथ की बात करते हैं। लेकिन […]

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आर्थिक सर्वेक्षण 2023: ग्रोथ ही बनेगी अर्थव्यवस्था की गति-शक्ति

देश की निगाह आर्थिक सर्वेक्षण पर ही लगी थी क्योंकि अर्थव्यवस्था जिस राह में चल रही है और किस डगर पर चलना चाहती है उसकी एक बानगी उसमें दिखाई देती है। वस्तुतः अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य के लेखे जोखे की एक झलक आर्थिक सर्वेक्षण में दिख जाती है । साथ ही चुनौतियां क्या हैं; राहें कौन-कौन […]

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स्कूली छात्रों के मन की बात: बाजार आधारित शिक्षा बना रही बच्चों को तनाव ग्रस्त

बाल दिवस (14 नवम्बर) बीत गया किन्तु वह याद दिला गया हम सबको कि हमारे-आपके घरों में, आस-पड़ोस, गली-मुहल्ले में कभी न कभी सोहर की आवाज गूंजी थी, गूंजेगी, क्योंकि किलकारिओं का स्वागत करना हमारी असीम खुशिओं का द्योतक होता है। संतति का आगमन प्रकृति का, भविष्य का आगमन है और वह प्रायः देती है […]

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भारत में धर्मों का जनसँख्या खाता और जनसँख्या नीति

विश्व, आज भी जनसँख्या विस्फोट के दौर से गुजर रहा है। विश्व जनसँख्या दिवस पर जारी यूएन की रिपोर्ट बताती है कि 15 नवम्बर, 2022 को विश्व की जनसँख्या 8 बिलियन हो जाएगी और सन 2030 एवम सन 2050 में इसके बढ़ कर क्रमसः 8.5 बिलियन और 10.4 बिलियन हो जाने की संभावना है । […]

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आज़ादी के 75 साल-बेमिसाल…

सन 1946 में जब पंडित नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया लिखा तो भारत के राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और उभर चुके भारत राष्ट्र की पहचान, संसार के सामने उजागर हो गई । किन्तु गाँधी जब अर्ध नग्न हुए तो भारत की आर्थिक दुर्दशा, विश्व के सामने नग्न हो कर सामने आ गई । संसार शर्मशार हुआ […]

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स्कूली शिक्षा, भटकती दिशा: सरकारी स्कूलों पर लगा सरकार की ही नीतियों का ग्रहण..

वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने और विश्व गुरु बनने की ललक हमसे मांगती है शिक्षा का उच्च स्तर, जो कि सरकार और कुछ कुछ समाज की भटकती सोच से पूर्ण होती नहीं दिखती है । अच्छी शिक्षा मांगती है हमसे उसकी दिशा और दशा का बेहतर मूल्यांकन और उसमें सुधार ।. नई शिक्षा नीति ने […]

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