यूपी: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में दिखेंगे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव

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उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में अखिलेश यादव दिखेंगे। अखिलेश यादव इस बार के विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सांसद और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को चुनावी मैदान में मात देकर विधानसभा तक का सफर तय किया। अब वे योगी सरकार के समक्ष सवाल खड़े करते दिखाई देंगे। समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में अखिलेश यादव को नेता चुन लिया गया है।

यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी को इस बार 111 विधानसभा सीटों पर जीत मिली है। विधानसभा में सपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में सपा विधायक दल की बैठक पर हर किसी की निगाहें जमी हुई थी। हालांकि, आजमगढ़ लोकसभा सीट की सदस्यता छोड़ने के बाद माना जा रहा था कि अखिलेश यादव ही नेता विपक्ष होंगे। शनिवार को सपा विधायक दल की बैठक में इस पर मुहर लगा दी गई।

मतगणना में अनियमितता का आरोप

सपा विधायक दल की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश यादव को नेता चुने जाने की जानकारी दी गई। इसके बाद दावा किया गया कि यूपी विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई। मतदान परिणाम को प्रभावित करने का प्रयास किया गया। सत्ता बल का दुरुपयोग किया गया। चुनाव में जीतने वाले हार गए और हारने वाले जीत गए। सपा की ओर से अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप लगाए गए। कहा गया कि सत्ता के प्रभाव में आकर अधिकारियों ने हारे हुए प्रत्याशियों को जिताने का कार्य किया। मतगणना को प्रभावित किया गया।

दोहरे चरित्र की पार्टी है भाजपा

सपा ने कहा कि भाजपा दोहरे चरित्र की पार्टी है। महंगाई को कम करने का दावा किया गया, लेकिन पांच साल बाद भी इसे कम करने में मदद नहीं मिली है। बेरोजगारी को दूर करने में सफलता नहीं मिली है। टैक्स के पैसे का गलत प्रयोग किया जा रहा है। समाज में आर्थिक विषमता बढ़ रही है। किसानों को सबसे अधिक परेशान किया गया। उन्हें एमएसपी की गारंटी नहीं दी जा रही है। भाजपा सरकार ने इसकी गारंटी नहीं दी। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर किसानों की आय को बढ़ाने का दावा किया गया, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।

योगी सरकार के समक्ष पेश करेंगे मुश्किलें

विपक्ष के नेता के रूप में अब अखिलेश यादव प्रदेश की योगी सरकार के समक्ष मुश्किलें खड़ी करेंगे। भाजपा की ओर से किए गए दावों को लेकर वे अब सदन से लेकर सड़क तक सवाल उठाते दिखाई देंगे। ऐसे में दबाव सरकार पर बढ़ेगा। भाजपा ने कई प्रकार की घोषणाएं की हैं। चुनावी घोषणाओं को लागू कराए जाने के मसले पर अब समाजवादी पार्टी की ओर से सवाल होंगे। इसके अलावा अखिलेश यादव प्रादेशिक मुद्दों पर भी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

-एजेंसियां