नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक का 2000 रुपये के नोट को बंद करने का फैसला देश की इकोनॉमी में नई जान फूंक सकता है. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की एक रिपोर्ट कहती है. केंद्रीय बैंक का ये कदम कई पैरामीटर्स पर इकोनॉमी को ‘सुपर चार्ज’ कर सकता है.
एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने हाल में आई इकोरैप रिपोर्ट में कहा है कि 2000 रुपये के नोट बंद किए जाने या वापस लिए जाने के कई फायदे होंगे. ये तत्काल प्रभाव से बाजार में कंजप्शन डिमांड बढ़ा सकता है.
इतना ही नहीं इससे बैंकों के डिपॉजिट में बढ़ोतरी होने, लोगों का लोन वापस करने, बाजार में उपभोग बढ़ने और आरबीआई के डिजिटल करेंसी के उपयोग को बूस्ट मिल सकता है. ये कुल मिलाकर देश की इकोनॉमी के लिए बेहतर होगा.
55,000 करोड़ की डिमांड बढ़ने का अनुमान
रिपोर्ट में देश के भीतर तत्काल प्रभाव से 55,000 करोड़ की कंजप्शन डिमांड बढ़ने का अनुमान जताया गया है. इसकी वजह ये है कि भले 2000 के नोट बंद किए गए हैं, लेकिन इनका लीगल टेंडर खत्म नहीं किया गया है. यानी बहुत सारे लोग अपने पास पड़े 2000 रुपये के नोट से खरीदारी को अंजाम देंगे.
बाजार में गोल्ड, ज्वैलरी, कंज्यूमर गुड्स या होम एप्लायंसेस, मोबाइल फोन और रीयल एस्टेट जैसी चीजों की सेल बढ़ सकती है. वहीं पेट्रोल पंपों पर कैश ट्रांजेक्शन और मंदिरों में दान-धर्म भी बढ़ने की उम्मीद है.
बैंकों में डिपॉजिट, लोन रीपेमेंट भी बढ़ेगा
इसी के साथ, सभी लोग हाथों-हाथ बैंकों में नोट नहीं बदलेंगे, तो बैंक खातों में भी जमा का स्तर बढ़ेगा. भले लोग बैंकों में से पैसे निकालेंगे भी, तब भी शॉर्ट टर्म में बैंकों का डिपॉजिट 1.5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ेगा. सभी सरकारी बैंकों का डेटा भी दिखाता है कि 2 जून 2023 तक के पखवाड़े में बैंकों की कुल जमा में 3.3 लाख करोड़ का इजाफा हुआ है.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि लोग लोन का रीपेमेंट भी करेंगे. ये अमाउंट करीब 92000 करोड़ रुपये तक हो सकता है. ऐसा होने पर बैंकों की लोन दर नीचे आ सकती हैं.
– एजेंसी