करगिल विजय दिवस पर प्रधानमंत्री और राष्‍ट्रपति ने किया वीर सपूतों को नमन

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करगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ पर मंगलवार को राज्यसभा में भारतीय सेना के उन जवानों को श्रद्धांजलि दी गई जिन्होंने तीन महीने तक चले युद्ध के दौरान करगिल की ऊंची पहााड़ियों को शत्रु सेना के कब्जे से मुक्त कराते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने करगिल विजय दिवस का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘1999 में आज ही के दिन हमारे बहादुर जवानों ने दुश्मन की उन सेनाओं को परास्त कर करगिल की पहाड़ियों को अपने कब्जे में ले लिया था, जिन्होंने हमारे भू-भाग में अतिक्रमण किया था।’’

सभापति ने कहा कि देश के वीर जवानों के शौर्य ने भारत को ऐतिहासिक विजय दिलाई थी।

नायडू ने कहा, ‘‘विषम भौगोलिक परिस्थितियों और प्रतिकूल मौसम में हमारे जवानों ने अपने मिशन के लिए जिस साहस, पराक्रम, शौर्य, दृढ़ता और नि:स्वार्थ समर्पण का प्रदर्शन किया, उसे देश कभी नहीं भूल पाएगा और हमेशा उनका ऋणी रहेगा। उनकी वीरता आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करती रहेगी।’’

उन्होंने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले बहादुर जवानों को वह अपनी और पूरे सदन की ओर से श्रद्धांजलि देते हैं। शहीद जवानों के सम्मान में सदस्यों ने कुछ पलों का मौन भी रखा।

गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच 1999 में लद्दाख में स्थित करगिल की पहाड़ियों पर लड़ाई हुई थी और भारतीय सेना ने करगिल की पहाड़ियां फिर से अपने कब्जे में ले ली थीं। इस लड़ाई की शुरुआत तब हुई थी, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ कर वहां अपने ठिकाने बना लिए थे।

-एजेंसी