पारम्परिक रेडियो का नया अवतार है पॉडकास्ट

अन्तर्द्वन्द

पॉडकास्ट पारम्परिक रेडियो का नया अवतार है, रेडियो प्लेबैक इंडिया जैसे पॉडकास्ट वर्षों से इस क्षेत्र में हैं. ये ऐसे लोगों के लिए एक अवसर है जो बड़े शहरों में जाकर खुद की कला को निखार नही सकते, पॉडकास्ट के जरिए कलात्मक लोगों के लिए अपने क्षेत्र के बड़े नामों से जुड़कर कुछ नया सीखने का अवसर भी है.

एक समय था जब भारत में रेडियो का बोलबाला था, विविध भारती, रेडियो एफएम गोल्ड जैसे चैनल रेडियो श्रोताओं के बीच लोकप्रिय थे. टीवी के दाम अधिक होने की वजह से रेडियो पर क्रिकेट मैच का आंखों देखा हाल सुनने वालों की भी कमी न थी. मुझे 2003 क्रिकेट वर्ल्ड कप के ऐसे मैच भी याद हैं जब लाइट चले जाने पर मैंने रेडियो का सहारा लिया था.

भारत में आर्थिक स्थिति और मनोरंजन की स्थिति साथ-साथ ही बहुत तेजी से बदलने की वजह से टेलीविजन के दाम कम हुए और केबल की पहुंच भी घर-घर तक हो गई. इन्वर्टर ने लाइट जाने पर भी टीवी से जुड़े रहने के रास्ते खोले. एंड्राइड मोबाइल और सस्ते इंटरनेट ने भारतीयों का टीवी से भी मोह भंग कर दिया, इस बीच भारतीय मनोरंजन जगत में मानो रेडियो को तो जैसे भुला ही दिया गया.

पर इंटरनेट और मोबाइल पर उपलब्ध रेडियो की वजह से रेडियो अब भी जिंदा था.
प्रसार भारती के न्यूज ऑन एयर एप को अब तक दस लाख लोगों द्वारा अपने फोन पर डाउनलोड किया गया है, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार इस एप पर ऑल इंडिया रेडियो की 240 रेडियो सेवाएं मौजूद हैं.
30 सितंबर से 11 अक्टूबर 2021 के आंकड़ों में नजर डालें तो पता चलता है इस बीच दिल्ली में लगभग सात लाख श्रोताओं द्वारा न्यूज़ ऑन एयर एप को सुना गया था.

पॉडकास्ट की लोकप्रियता

पारम्परिक रेडियो की जगह भारत में अब पॉडकास्ट लोकप्रिय हो रहा है. जिस प्रकार हम आर्टिकल लिखते हैं और लोगों के साथ शेयर करते है, ठीक उसी प्रकार पॉडकास्ट भी होता है. पॉडकास्ट एक मोबाइल ऐप की तरह होता है, जिसमें हम किसी भी प्रकार की जानकारी ऑडियो के रूप में स्टोर करते हैं और यह सभी जानकारी को लोगों के साथ शेयर करते हैं. पॉडकास्ट में हम अपनी आवाज को ऑडियो के रूप में डाल सकते हैं. जिस प्रकार हम कोई भी वीडियो को अपने मोबाइल या कैमरा में रिकॉर्ड करते हैं, ठीक उसी प्रकार पॉडकास्टिंग के अंदर सिर्फ हमारी आवाज ही रिकॉर्ड होती है, फिर हम उसे बाकी लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं.

घरेलू प्रबंधन परामर्श फर्म रेडसीर के अनुसार भारत में पॉडकास्ट बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है. अक्टूबर 2021 में ऑनलाइन मनोरंजन करते हुए भारतीयों द्वारा 2290 बिलियन मिनट गुजारे गए थे. जिसमें 885 मिनट सोशल मीडिया पर , पॉडकास्ट पर 2.5 बिलियन मिनट और बाकी समय ओटीटी आदि पर था. रेडसीर की रिपोर्ट के अनुसार भारत की मात्र 12 प्रतिशत आबादी ने ही अभी पॉडकास्ट के बारे में सुना है, तो आने वाले समय में भारत के अंदर इसका बहुत बड़ा बाजार है.

पॉडकास्ट की लोकप्रियता का उदाहरण हम कुछ पॉडकास्ट एप के बारे में जानकर ले सकते हैं. पॉडकास्ट एप ‘क्लब हाउस’ के गूगल प्लेस्टोर में एक करोड़ से भी ज्यादा डाउनलोड हैं.

ठीक यही कहानी ‘मेन्टजा एप’ की भी है. एक साल से भी कम समय में इस एप के गूगल प्लेस्टोर पर डेढ़ लाख डाउनलोड हो चुके हैं.

मेन्टजा एक कार्यक्रम में एक समय में पांच वक्ताओं को बीस से तीस मिनट के अंदर बोलने का मौका देता है, इस बीच बाकी लोग श्रोताओं के तौर पर कार्यक्रम से जुड़ सकते हैं और अपने कमेंट कर सकते हैं. किसी वक्ता की बात पसंद आने पर श्रोताओं के पास उसकी बात रिकॉर्ड करने की सुविधा भी होती है, जिसे बाइट बनाना कहा जाता है.

रेडियो प्लेबैक इंडिया का कमाल

साल 2007 के दौरान भारत में जब लोग पॉडकास्ट को जानते भी नही थे, तब कला जगत के कुछ महत्वपूर्ण लोगों द्वारा रेडियो प्लेबैक इंडिया की शुरुआत की गई.
इस प्लेटफॉर्म पर साहित्य, संगीत और सिनेमा, इन तीनों पक्षों पर काम करने का लक्ष्य निश्चित किया गया.

आरपीआई ने पिछले साल अक्टूबर में क्लबहाउस एप में अपने कुछ कार्यक्रमों को शुरु किया था और इस साल मार्च में रेडियो प्लेबैक इंडिया की टीम मेन्टजा एप पर आई.

मेन्टजा एप पर आरपीआई के हफ्ते भर में पचास कार्यक्रम आते हैं और लगभग 1500 से 2000 श्रोताओं द्वारा इन्हें हफ्ते भर में सुना जाता है.

आरपीआई से जुड़े पत्रकारिता शोध छात्र मौसम बताते हैं कि मेन्टजा पर आरपीआई के आने के बाद उन्हें दोहरा फायदा हुआ है, पहला ये की उनकी बातें लाखों लोगों तक पहुंच रही है और दूसरा ये कि उनको कला के क्षेत्र में अरुण कालरा, सरिता चड्ढा, सजीव सारथी जैसे बड़े नामों से जुड़ते हुए कुछ नया सीखने का मौका भी मिल रहा है.

पॉडकास्ट का ये फायदा है कि इसमें बच्चे, युवा, बुजुर्ग हर आयुवर्ग के लोग खुद को निखार सकते हैं.
रेडियो प्लेबैक इंडिया द्वारा मेन्टज़ा में होने वाले कार्यक्रमों में छात्र व नौकरीपेशा लोग शामिल रहते हैं.

20 जून को विश्व गायन दिवस पर रेडियो प्लेबैक इंडिया मेन्टजा पर कुछ बेहतरीन कार्यक्रम लेकर आया था. शाम आठ बजे से लेकर रात बारह बजे तक इसमें लगातार श्रोताओं के लिए गीतों की बौछार हुई थी. देश-विदेश में रह रहे आरपीआई के सदस्यों द्वारा सुनाए गए सूफी संगीत, गजलों और देश के अलग-अलग हिस्सों के लोक गीतों से श्रोताओं को भारतीय संगीत विविधता का बेहतरीन अनुभव हुआ. बॉलीवुड के गानों और बच्चों की लोरियां भी अपना अलग कमाल कर रही थी.
रेडियो प्लेबैक इंडिया 20 जून को हुए अपने कार्यक्रमों की सफलता को देखते अब 27 जून को महान संगीतकार पंचम दा के जन्मदिन पर कई सारे प्रोग्राम करने की तैयारी में है.

क्लबहाउस, आरपीआई और मेन्टजा एप की तरह पॉडकास्ट के अन्य महारथियों का भविष्य भी सुनहरा है, उम्मीद है युवाओं के लिए ये पॉडकास्ट की दुनिया कैरियर के नए अवसर भी खोलेगी.

-हिमांशु जोशी