शिखर सम्मेलन में भाग लेने जेद्दा पहुंचे NSA अजित डोवाल, रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर होगी चर्चा

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रियाद में स्थित भारतीय दूतावास ने ट्वीट कर कहा, एनएसए अजित डोवाल यूक्रेन पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जेद्दा पहुंचे। जेद्दा हवाईअड्डे पर राजदूत डॉ. सुहेल खान और महावाणिज्य दूत मोहम्मद शाहिद आलम ने उनका स्वागत किया।

रूस के साथ चल रहे संघर्ष के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की शांति योजना पर चर्चा के लिए तटीय शहर जेद्दा में बैठक का आयोजन किया जा रहा है।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी की पुष्टि की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, भारत इस कार्यक्रम में भाग लेगा और हमारी भागीदारी हमारी लंबे समय से चली आ रही स्थिति के अनुरूप है कि बातचीत और कूटनीति ही आगे बढ़ने का रास्ता है।

बागची ने विदेश मंत्रालय की एक प्रेस वार्ता में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, हां, भारत को जेद्दा में यूक्रेन पर सऊदी अरब द्वारा आयोजित बैठक में आमंत्रित किया गया है। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास (Tass) ने क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के हवाले से कहा, रूस इस बैठक पर नजर रखेगा, लेकिन उसे पूरी तरह से समझने की जरूरत होगी कि क्या लक्ष्य निर्धारित किए जा रहे हैं।

एक अमेरिकी अखबार ने 29 जुलाई को पहली बार चर्चा में शामिल राजनयिकों का हवाला देते हुए शिखर सम्मेलन की रिपोर्ट दी और कहा कि वार्ता पांच और छह अगस्त को जेद्दा शहर में होगी, जिसमें लगभग 30 देश भाग लेंगे। अखबार ने यह भी कहा कि यूक्रेन और पश्चिमी देशों के अधिकारियों को उम्मीद है कि संघर्ष को खत्म करने का प्रयास इस साल के अंत में एक शांति शिखर सम्मेलन के रूप में समाप्त हो सकते हैं, जहां वैश्विक नेता युद्ध को हल करने के लिए साझा सिद्धांतों पर हस्ताक्षर करेंगे। अखबार के अनुसार जेद्दा शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित 30 देशों में चिली, मिस्र, यूरोपीय संघ, इंडोनेशिया, मैक्सिको, पोलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका और जाम्बिया शामिल हैं।

एक अन्य विदेशी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ एंड्री यरमक ने रविवार को कहा था कि कई देशों के अधिकारी सऊदी अरब शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया था कि बैठक कब और किस शहर में होगी।

यरमक ने टेलीग्राम पर लिखा, यूक्रेनी शांति फॉर्मूला पर चर्चा होगी, जिसमें 10 मूलभूत बिंदु शामिल हैं। जिनके कार्यान्वयन से न केवल यूक्रेन के लिए शांति सुनिश्चित होगी, बल्कि दुनिया में भविष्य के संघर्षों का मुकाबला करने के लिए तंत्र भी तैयार होगा। यरमक ने कहा, हम इसे लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि यूक्रेनी शांति योजना को आधार के रूप में लिया जाना चाहिए क्योंकि युद्ध हमारी भूमि पर हो रहा है।

रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर भारत का हमेशा से मानना रहा है कि इस संघर्ष को बातचीत और कूटनीति से सुलझाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है, भारत संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए जो कुछ भी कर सकता है वह करने के लिए तैयार है।

Compiled: up18 News