लखनऊ: धोखाधड़ी के आरोप में DIG के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में DIG अनिल कुमार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया है। अनिल कुमार के ऊपर फ्लैट के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप है। पुलिस दूरसंचार में डीआईजी के पद पर तैनात अनिल कुमार और उनकी पत्नी के खिलाफ जालसाजी के कई मुकद्दमे दर्ज हैं। डीआईजी की पत्नी पुष्पा के एक मित्र चंद्रपाल सिंह के खिलाफ इन्हीं धाराओं में मुकद्दमे दर्ज किए गए हैं। अनिल कुमार महानगर कॉलोनी में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। लखनऊ की महानगर पुलिस की टीम ने अनिल कुमार की गिरफ्तारी के लिए टीम तैयार कर ली है।

आपको बता दें कि अनिल कुमार का नाम पहले भी कई विवादित मामलों में सामने आ चुका है। दरअसल, ये मामला उनके फ्लैट बेचने का है जिसके मुताबिक उन्होंने और उनकी पत्नी पुष्पा ने महानगर की इंदिरा दर्शन रेजीडेंसी स्थित अपना फ्लैट 60 लाख रुपये में बेचने के लिए सौदा तय किया था। इसके लिए उन्होंने बुकिंग के तौर पर 5 लाख रुपये एडवांस ले लिए थे और बाकी का पैसा किश्तों में लेने की बात कही थी। महानगर थाने में इसी मामले को लेकर केस दर्ज किया गया है।

DIG ने पैसे लेने के बाद फ्लैट से भी बेदखल करवाया

इस मुकद्दमे में कल्याणपुर, गुडंबा के रहने वाले व्यवसायी रमेश कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया है कि उन्होंने बात तय होते ही एडवांस की रकम तुरंत दे दी थी और फ्लैट पर कब्जा ले लिया। फ्लैट में पेंट का काम भी शुरू करवा दिया किंतु फिर अनिल कुमार ने वादाखिलाफी करते हुए गुप्ता को जबरिया फ्लैट से बेदखल करवा दिया।

हाई कोर्ट के दखल के बाद दर्ज हुई FIR

पीड़ित रमेश ने बताया कि उन्होंने डीआईजी को कुल 640000 की रुपए दिए हैं। जिसमें से फ्लैट की मरम्मत और पेंटिंग में भी लगभग 62 हजार रुपयों का खर्च आया था जब रमेश ने अपना ये पैसा डीआईजी से वापस मांगा तो डीआजी ने अपने पद का रुतबा दिखाते हुए अपने स्टाफ से रमेश को धमकी दिलवाई और अपनी पत्नी के साथ छेड़छाड़ का एक मुकद्दमा हजरतगंज कोतवाली में दर्ज करवा दिया।

पीड़ित रमेश ने बताया कि डीआईजी के प्रभाव की वजह से उनकी एफआईआर भी नहीं दर्ज की गई। लगभग एक साल के बाद जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया, तब जाकर एफआईआर दर्ज की गई।

-एजेंसियां