बिना सुरक्षा किसी गांव में नहीं जा सकते नीतीश कुमार: प्रशांत किशोर

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में अफसरशाही, भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। वर्ष 2014 के नीतीश कुमार और 2017 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क है। 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था, लेकिन 2020 में विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारने के बाद भी कुर्सी पर किसी तरह बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ होते हैं तब उन्हें विशेष राज्य के दर्जे की याद नहीं आती, भाजपा से अलग होते ही वे विशेष राज्य के दर्जे की मांग करने लगते हैं।

प्रशांत किशोर ने बताई बिहार के पिछड़ने की वजह

प्रदेश में जन सुराज पदयात्रा निकाल रहे प्रशांत किशोर ने बिहार की बदहाली का जिक्र करते हुए बताया कि जिन गांवों और पंचायतों में जाने का मौका मिला है, वहां पलायन की समस्या बहुत बड़ी है। गांवों में 60 प्रतिशत तक नवयुवक नहीं है।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के शासनकाल की सबसे बड़ी नाकामी है बिहार में शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना। उन्होंने कहा कि, बिहार में गरीबी और बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है बड़ी संख्या में भूमिहीनों का होना। आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 58 फीसदी लोग भूमिहीन हैं जबकि देश में भूमिहीनों की संख्या 38 प्रतिशत है।

Compiled: up18 News