मैनपुरी: एनीमिया यानि खून की कमी। इसे सही समय पर नहीं पहचाना जाए तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ये शारीरिक विकास में तो बाधा बनता ही है। इससे कई गंभीर रोग भी हो सकते हैं। गर्भावस्था में तो एनीमिया के कारण गर्भवती की जान का जोखिम भी बना रहता है। इसलिए सही समय पर अपने खून की जांच कराए और इसका उपचार कराकर दूर करें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पीपी सिंह ने बताया कि महिलाओं को हमेशा अपने खानपान का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें समय-समय पर अपना हीमोग्लोबिन भी जांच कराना चाहिए। गर्भवती को तो अवश्य ही अपने हीमोग्लोबिन की जांच करानी चाहिए। गर्भवस्था के दौरान एनीमिया होने पर महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। यदि किसी महिला में खून की कमी है तो उसे आयरन की गोलियां दी जाती हैं। गर्भवतियों को इसे समय से खाना चाहिए। इसके साथ ही अपने खाने में फलों को शामिल करना चाहिए। समय-समय पर प्रसव पूर्व अपनी जांच करानी चाहिए, जिससे कि स्वास्थ्य की सही स्थिति का आंकलन हो सके और उपचार किया जा सके
एसीएमओ आरसीएच डॉ. संजीव राव बहादुर ने बताया कि जिला एनीमिया की पहचान हीमोग्लोबिन लेवल जांच करने के बाद की जाती है। इसे तीन भागों में बांटा गया है। पहला हीमोग्लोबिन लेवल 12 ग्राम से ज्यादा है तो एनिमिया नहीं माना जाता है। हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से 10 ग्राम होता है उसे मॉडरेट एनीमिया कहते हैं। यदि हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से नीचे है तो उसे सीवियर एनीमिया माना जाता है।
डीएचईआईओ रविंद्र गौर ने बताया कि गर्भवास्था के दौरान गर्भवती को अपनी हीमोग्लोबिन की जांच अवश्य करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य केंद्र पर ये जांच उपलब्ध है.
गर्भावस्था में एनीमिया के लक्षण इस प्रकार हैं :
• त्वचा, होंठों और नाखूनों का पीला पड़ना
• • थकान और कमजोरी महसूस होना
• सांस लेने में दिक्कत
• • दिल की धड़कन तेज होना
• ध्यान लगाने में दिक्कत आना
-up18 News
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