प्रवचन: जीवन की तरक्की में बाधक हैं काम, वासनाएंः जैन मुनि मणिभद्र महाराज

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आगरा: जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि साधक की साधना में ही नहीं, बल्कि जीवन की तरक्की में भी काम, वासनाएं, छल, छिद्र, कपट बाधक हैं। इन पर जितना अधिक नियंत्रण किया जा सके, करना चाहिए। तभी जीवन का उद्धार हो सकता है।

जैन भवन, राजामंडी में हो रहे भक्तामर स्रोत अनुष्ठान में मुनिवर ने कहा कि व्यक्ति की तपस्या से साधना मजबूत होती है। भगवान महावीर कहा करते थे कि ये काम, वासना कांटे के समान होती है। जब तक यह कांटा अपने शरीर से निकल नहीं जाता, तब तक हम ईश्वर भक्ति नहीं कर सकते। साधना में बाधाएं आती ही रहेंगी। काम, भोग, वासना के ये कांटे हमेशा चुभते ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह पांचों इंद्रियां अनंत काल से भूखी हैं। यह आगे नहीं बढ़ने देती । इसलिए यह कांटा निकाल कर वैराग्य की ओर बढ़ो। वैराग्य आएगा, तभी साधना की ओर कदम बढ़ सकते हैं। भगवान महावीर ने साधु-साध्वियों से भी कहा था कि यदि एक बार साधना से विचलित हो गए तो अधोगति हो जाएगी।

जैन मुनि ने कहा कि व्यक्ति का मन बहुत बैचेन रहता है। अच्छी बातों के प्रति आकर्षित नहीं होता। कितना भी कंट्रोल कर लो, पूजा के वक्त माला जपते समय, अच्छे काम करते समय अवश्य विचलित होगा।

जैन मुनि ने आचार्य मांगतुंग द्वारा की गई आराधना की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जितने भी तीर्थंकर हुए हैं, उनकी आभा अद्वितीय रही है। वे चंद्रमा की तरह उज्जवल रहते हैं। आकाश से सारे ग्रह उनसे ही चमकते हैं। हमें एसा ही चंद्रमा बनना है। अनुष्ठान में जैन मुनि पुनीत महाराज, विराग महाराज ने भी वंदना कराई।

नेपाल केसरी ,मानव मिलन संस्थापक डॉक्टर मणिभद्र मुनि,बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के पावन सान्निध्य में 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में सोमवार को चौदहवीं एवम पंद्रहवीं गाथा एवम नवकार मंत्र जाप का लाभ अजीत कुमार प्रदीप कुमार चोरड़िया एवम बिजेंद्र कुमार, वर्षा, संजीव भंडारी एवम आशू गुप्ता परिवार ने लिया। धर्म प्रभावना के अंतर्गत नीतू जैन, दयालबाग की 28 उपवास , बालकिशन जैन, लोहामंडी की 32,मधु जी बुरड़ की 20 आयंबिल की तपस्या निरंतर जारी है.

-up18news