25 दिसंबर: साल 2014 से हुई है तुलसी पूजन दिवस की शुरुआत

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तुलसी पूजन दिवस की शुरुआत साल 2014 से हुई और इस दिन से हर साल 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाने लगा। साल 2014 में देश के कई केंद्रीय मंत्रियों और संतों ने तुलसी पूजा के महत्व का बखान सोशल मीडिया के द्वारा किया तभी से 25 दिसंबर 2021 को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाने लगा. इसे क्र‍िसमस सेलि‍ब्रेशन हेतु काटे जाने वाले पौधों के प्रत‍ि हमदर्दी के तौर पर भी देखा जाता है।

हिंदू धर्म में तुलसी पूजन की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से भारत में आज यानी 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाई जाती है।

तुलसी पूजन से बुरे विचारों का होता है नाश

ऐसी मान्यता है कि तुलसी के पौधे के पास किसी भी मंत्र-स्तोत्र आदि का पाठ करने से उसका अनंत गुना अधिक फल मिलता है.

भूत, प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, दैत्य आदि सब तुलसी के पौधे से दूर भागते हैं.

तुलसी पूजन से बुरे विचारों का नाश होता है.

पद्मपुराण के अनुसार तुलसी पत्ते से टपकता हुआ जल यदि मनुष्य अपने सिर पर लगता है तो इतना करने भर से उस मनुष्य को गंगास्नान और 10 गोदान का फल मिल जाता है.

तुलसी पूजन से रोग नष्ट हो जाते हैं और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है.

तुलसी पूजन, तुलसी रोपण व तुलसी धारण से पाप नष्ट होते हैं.

तुलसी पूजन स्वर्ग और मोक्ष के द्वार खोलता है.

श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला होता है.

तुलसी के नाम उच्चारण मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति होती है. मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.

इस वजह से मुरझाने लगता है तुलसी का पौधा

आपने गौर किया होगा तो ऐसा जरूर देखा होगा कि कई बार तुलसी के पौधे को चाहे कितना भी पानी दे दें और देखभाल कर लें, लेकिन पौधा अचानक मुरझाने लगता है. धार्मिक मान्यता कि बात करें तो यह परिवार पर किसी तरह का संकट आने की संभावना की ओर ईशारा करता है.

शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है कि यदि घर-परिवार पर कोई संकट आने वाला होता है तो सबसे पहले उस घर से लक्ष्मी यानि तुलसी चली जाती है और वहां दरिद्रता आने लगती है.

-up18 News