बिना हिजाब घूमने वाली महिलाओं का पता लगाने के लिए ईरान में कैमरे लगना शुरू

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पुलिस ने बताया कि सिर न ढंकने वाली महिलाओं को “इसका परिणाम भुगतने की चेतावनी वाला टेक्स्ट मेसेज भेजा जाएगा”.

पुलिस के अनुसार सरकार के इस कदम से “हिजाब क़ानून के विरोध को रोकने में मदद मिलेगी”.

बीते साल ईरान में पुलिस हिरासत में महसा अमीनी नाम की एक महिला की मौत हो गई थी जिसके बाद पूरे देश में हिजाब विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. ये विरोध प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गए.

महसा अमीनी को कथित तौर पर हिजाब क़ानून का उल्लंघन करने के लिए ईरान की मोरैलिटी पुलिस ने गिरफ़्तार किया गया था. महसा अमीनी की मौत के बाद ही ईरान में हिजाब का विरोध करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़े लगी. गिरफ़्तारी के जोखिम के बावजूद बड़े शहरों में भी औरतों ने हिजाब पहनने से मना किया.

इसके बाद दिसंबर 2022 में ईरान के प्रॉसिक्यूटर जनरल ने धार्मिक पुलिस यानी मोरैलिटी पुलिस को भंग करने की घोषणा की. हालांकि उस वक्त ईरान की क़ानून लागू करने वाली संस्था ने पुष्टि नहीं की.

ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज़ एजेंसी (IRNA) ने इस बारे में पुलिस का बयान छापा है. इसमें कहा गया है कि प्रशासन ने हिजाब क़ानून के उल्लंघन के मामलों का पता लगाने और नियम तोड़ने वालों को चेतावनी भरा मेसेज भेजने के लिए कथित तौर पर “स्मार्ट कैमरा” लगाए हैं और इसके लिए अन्य उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

ईरान में 1979 की क्रांति के बाद शरिया क़ानून लाया गया. इसके तहत महिलाओं के लिए उनके बाल ढंकना अनिवार्य है. इसका पालन न करने पर जुर्माना या सज़ा हो सकती है.

शनिवार को जारी पुलिस के बयान में हिजाब को “ईरान राष्ट्र की सभ्यता की नींव” के रूप में वर्णित किया गया है. साथ ही व्यापारियों से आग्रह किया गया है कि वो “कड़ी निगरानी” के ज़रिए इन नियमों का पालन करवाएं.

बिना हिजाब वाली महिलाओं पर सार्वजनिक जगहों पर हमले भी अब कोई नई या बड़ी बात नहीं रह गए.

बीते सप्ताह ही हिजाब न पहनने वाली दो महिलाओं पर एक शख़्स के दही फेंकने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया था.

इन दोनों महिलाओं को बाद में हिजाब क़ानून के तहत गिरफ़्तार भी किया गया. वहीं हमला करने वाले शख़्स को भी पुलिस ने अरेस्ट किया.

Compiled: up18 News