आगरा: बिना आदेश व नोटिस के राजस्व विभाग ने ट्रैक्टर से रौंद दी किसानों की खड़ी फसल, दबंगों के दवाब में कार्रवाई का आरोप

स्थानीय समाचार

आगरा: किसानों की सभी प्रकार से मदद करने का सरकार आश्वासन दे रही है, उनके साथ खड़े होने की बात कर रही है लेकिन स्थानीय स्तर पर स्थिति बिल्कुल विपरीत नजर आती है। किसानों को बिना किसी सूचना दिए उनकी फसलों को ट्रैक्टर से रौंद दिया गया। किसान राजस्व विभाग की इस कार्रवाई से काफी आक्रोशित हैं।

पीड़ित किसान ने बताया कि राजस्व की ओर से की गई इस कार्रवाई को लेकर जब एसडीएम अभय सिंह से वार्ता की तो उन्होंने इस संबंध में कोई आदेश जारी न करने की बात कही। किसानों ने आरोप लगाया है कि कुछ दबंगों ने राजस्व विभाग और पुलिस के साथ मिलकर इस पूरे कृत्य को अंजाम दिया है। जमीन सरकारी है लेकिन उनके पुरखे इस जमीन पर खेती करते हुए आ रहे हैं और इसके लिए बाकायदा लगान भी भरते हैं। किसान राजस्व विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए तैयार हैं और एसडीएम अभय सिंह से भी इस संबंध में शिकायत दर्ज कराएंगे।

यह पूरा मामला खंदौली विकासखंड के ग्राम पंचायत सराय दयारूपा का मजरा मदनपुर यमुना किनारे का है। यमुना की खादर में ग्राम पंचायत पोइया और मदनपुर के किसान वर्षों से यहां खेती करते हुए आए हैं। पीड़ित किसानों का आरोप है कि अब मदनपुर गांव के ही कुछ दबंग लोग ग्राम प्रधान और पुलिस व राजस्व विभाग के साथ मिलकर उनकी इस जमीन को हथियाना चाहते हैं। इसलिए उनकी फसलों पर दबंगों ने ट्रैक्टर चलवा दिया और उनकी आलू मटर व कई अन्य फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।

राजस्व विभाग ने नहीं दी कोई सूचना

पीड़ित किसानों का कहना है कि यह जमीन सरकारी है और वह वर्षों से इस जमीन पर खेती करते हुए आ रहे हैं। जब प्रशासन को इस जमीन को खाली कराना था तो किसानों को नोटिस या फिर कोई सूचना तो देनी चाहिए थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी पुलिस बल के साथ आए और लगभग 8 ट्रैक्टरों से पूरी फसल व खेती को रौंद दिया। जिससे उनकी आलू मटर व अन्य फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई।

जब उन्हें रोकने का प्रयास किया गया तो पुलिस बल को आगे कर दिया गया। फिर यह कहने लगे कि ‘एसडीएम साहब का आदेश है इसीलिए इस जमीन को मुक्त कराया जा रहा है।’

किसानों को पहले से कोई नोटिस जारी न करना यह भी राजस्व विभाग की कार्रवाई पर एक बड़ा सवाल है क्योंकि किसान इस देश का अन्नदाता है और उसकी फसल तो कम से कम नष्ट नहीं होनी चाहिए थी।

पीड़ित किसान सूरजपाल ने बताया कि यमुना के खादर में उनके पुरखे खेती करते थे। अब वह परिवार के साथ इस जमीन पर खेती कर रहे हैं। यमुना की खादर में खेती करने के बदले वह सरकार को जुर्माने के रूप में लगान भी देते हैं जिसकी जुर्माने की रसीद भी उनके पास है। जब यह जमीन सरकारी है, किसी के काम की नहीं है। किसान खेती के बदले में सरकार को जुर्माने के रूप में लगान दे रहा है तो फिर उनके साथ यह अन्याय पूर्ण कार्यवाही स्थानीय प्रशासन कैसे कर सकता है।

किसानों का कहना है कि जब उन्हें यह जमीन खाली कराने थी तो किसानों से बात करनी चाहिए थी। किसानों की जो फसल तैयार हो रही थी कम से कम उस फसल को तो काटने का समय दिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

किसान पप्पू का कहना था कि उन्होंने ब्याज पर पैसे लेकर आलू और मटर की खेती की थी। फसल जब तक पकती राजस्व विभाग की टीम ने उस पर ट्रैक्टर चला दिया। अब उनके पास न तो फसल है और न ही कर्जा चुकाने को रकम। अब उनकी स्थिति भी उन किसानों की तरह हो गयी है जो आर्थिक रूप से कमजोर होने और कर्जेके दबकर सुसाइड कर लेते है।

प्रशासन से लगाएंगे गुहार

किसानों का कहना इस पूरी कार्रवाई के विरोध में स्थानीय प्रशासन से मुलाकात करेंगे। उन्हें ज्ञापन भी सौंपा जाएगा कि आखिरकार यह कार्रवाई किसकी आदेश पर हुई। भूमि खाली कराने के लिए उन्हें पहले से नोटिस और समय क्यों नहीं दिया गया जिससे सच्चाई सामने आ सके।