आगरा जिला अस्पताल का निरीक्षण करने के लिए कायाकल्प की टीम जिला अस्पताल पहुँची। तीन सदस्यीय टीम में डॉ वैभव सिंह, प्रशांत सिंह और डॉक्टर आरिफ शामिल है जो कायाकल्प के मानकों के अनुसार जिला अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं का जायजा लेने के लिए आये। टीम ने मुख्य गेट से अपना निरीक्षण शुरू किया। पार्किंग की व्यवस्था देखी और उसके बाद सीधे ऑर्थोपेडिक ओपीडी देखने के लिए पहुंच गए। यहीं से टीम को खामियां मिलना शुरू हो गई।
प्लास्टर रूम के बाहर गंदगी का ढेर
कायाकल्प की टीम जैसे ही प्लास्टर रूम में पहुंची। प्लास्टर रूम के बाहर गंदी पट्टियों का ढेर पड़ा हुआ था। गंदगी के अंबार लगे हुए थे। यह देखकर टीम के एक सदस्य भड़क गए। उन्होंने प्लास्टर रूम में जाकर प्लास्टर कर रहे वार्ड बॉय से इसकी जानकारी ली तो वार्ड बॉय ने जानकारी न होने का हवाला दे दिया। इस पर टीम ने नाराज की जाहिर की और व्यवस्थाओं को सही करने के निर्देश दिए। वहां पर डस्टबिन रखने के लिए भी कहा गया जिससे कोई भी अगर प्लास्टर खोलता है तो वह उसे डस्टबिन में फेंक दे।
ब्लड सैंपलिंग में भी मिली खामियां
इसके बाद टीम ने ब्लड सैंपलिंग रूम का रुख किया। यहां पर लोगों के ब्लड सैंपल लिए जा रहे थे। ब्लड सैंपलिंग में काम करने वाले एक व्यक्ति ने ड्रेस कोड नहीं पहना था तो वहीँ किसी के हाथ में ग्लव्स भी नजर नहीं आए। इस पर टीम ने ब्लड सैंपलिंग ले रहे एक कर्मचारी से पूछा कि अगर ब्लड लेते समय सुई आपको चुभ गई तो क्या करेंगे, क्या आपको संक्रमण नहीं फैलेगा? इस पर कर्मचारी जवाब देने से कतराते हुए दिखाई दिए। टीम के सदस्यों को निर्देशित किया कि सभी से कहें ब्लड सैंपल लेते समय ग्लव्स जरूर पहनें।
शौचालय का किया गया निरीक्षण
सफाई व्यवस्था का निरीक्षण करते हुए कायाकल्प की टीम ने शौचालय का भी निरीक्षण किया। ओपीडी के शौचालय में सफाई व्यवस्था कुछ ठीक नजर नहीं आई जिसको लेकर उन्होंने असंतोष जताया। साथ ही ओपीडी के शौचालय का बार-बार सफाई करते रहने के निर्देश दिए।
पैथोलॉजी का भी हुआ निरीक्षण
जिला अस्पताल का निरीक्षण करते हुए टीम पैथोलॉजी भी जा पहुंची। यहां पर सभी प्रकार की जांच की जाती हैं। टीम ने यहां मौजूद कर्मचारियों से भी पूछताछ की। किन किन रोगों की जांच होती है इसकी जानकारी जुटाई, साथ ही उन्होंने मशीनों को भी ऑपरेट करने को पूछा।
चिकित्सकों के छूटते रहे पसीने
कायाकल्प की टीम निरीक्षण कर रही थी और जिला अस्पताल के चिकित्सक व हॉस्पिटल मैनेजर के पसीने छूट रहे थे। क्योंकि चिकित्सा और अस्पताल के मैनेजर टीम को अच्छा-अच्छा दिखना चाहते थे लेकिन उनकी नज़रें सिर्फ खामियों पर ही पड़ती हुई नजर आई। टीम जो भी सुझाव और निर्देशित करती रही। हॉस्पिटल की मैनेजर उन्हें अपनी डायरी में नोट करते रहे और ‘जी सर’, ‘जी सर’ कहते हुए नजर आए।
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