AAP ने गुजरात में इसुदान गढ़वी को बनाया CM पद का उम्‍मीदवार

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महामंथन’ से मिली पहचान

महामंथन शो के कंटेंट और इसुदान के देसी बेबाक अंदाज ने उन्हें स्टार बना दिया। किसानों के मुद्दे उठाने के लिए सौराष्ट्र में काफी लोकप्रिय हो गए। खुद एक किसान परिवार में जन्मे इसुदान के पिता खेराजभाई गढ़वी अभी भी खेती करते हैं। किसान परिवार से आने के चलते इसुदान को मुद्दों की समझ थी, इसका उन्होंने उपयोग अपनी पत्रकारिता में किया। इसके चलते महामंथन शो बेहद लोकप्रिय हो गया। गुजरात में लोग इस शो के लिए इंतजार करने लगे। इसुदान ने पत्रकार रहते हुए वापी, पोरबंदर, जामनगर, अहमदाबाद और गांधीनगर में काम किया।

16 महीने पहले आप से जुड़े

पिछले साल जब आदमी पार्टी ने गुजरात में संगठन विस्तार की कवायद शुरू की तो इसुदान पत्रकारिता को छोड़कर राजनीति में आ गए। इसुदान गढ़वी ने जून 2021 की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया और कहा कि वे पत्रकारिता छोड़कर जनता के लिए काम करेंगे। इसके बाद उनके राजनीति में आने की अटकलें शुरू हो गईं।

इसुदान गढ़वी ने फेसबुक पर लाइव जाकर कयासों का जवाब दिया, लेकिन यह नहीं बताया कि वे किसी पार्टी में शामिल होंगे या फिर नहीं। जून महीने में ही जब अरविंद केजरीवाल गुजरात पहुंचे तो इसुदान आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। आप से जुड़ने के बाद इसुदान ने कहा कि वह सालों से लोगों के सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन एक पत्रकार की लक्ष्मण रेखा होती है।

एक पत्रकार के रूप में आप लोगों के मुद्दों को उठा सकते हैं लेकिन संविधान के अनुसार, निर्णय लेने की शक्ति निर्वाचित राजनेताओं के पास है। लोगों के कल्याण की शक्ति नेताओं या अधिकारियों के पास है।

पॉपुलैरिटी-साफ छवि आई काम

40 साल के इसुदान गढ़वी ओबीसी वर्ग से आते हैं। गुजरात में ओबीसी की हिस्सेदारी करीब 48 प्रतिशत है। गढ़वी समाज की गुजरात के राजकोट, जामनगर, कच्छ, बनासकांठा और जूनागढ़ जिलों में मौजूदगी है। आबादी के लिहाज से गढ़वी समाज की भागीदारी एक फीसदी से कम है।

आदमी आदमी पार्टी के सीएम फेस बनने में इसुदान गढ़वी की लोकप्रियता और साफ छवि काम आई। आम आदमी पार्टी इसुदान गढ़वी को खंभालिया विधानसभा सीट से लड़ा सकती है। इसी सीट पर अभी बीजेपी का कब्जा है। मेघजी कंजारिया यह से विधायक हैं। अगर इसुदान इस सीट से नहीं लड़ते हैं तो फिर वे राजकोट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।

शराब पीने का लगा आरोप

आम आदमी पार्टी ने इसी साल जब हेड क्लर्क की परीक्षा का पेपर लीक होने पर आंदोलन किया। तो पार्टी नेताओं के साथ इसुदान गढ़वी भी बीजेपी के दफ्तर श्री कमलम् पर प्रदर्शन में शामिल हुए। इस दौरान उनके ऊपर बीजेपी की महिला कार्यकर्ताओं के साथ छेड़खानी और शराब पीने के आरोप लगे। इसुदान गढ़वी को पुलिस कार्रवाई के बाद जेल भी जाना पड़ा

एफएसएल रिपोर्ट में शराब पीने की पुष्टि हुई तो इसुदान ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल (CR Patil) पर रिपोर्ट बदलने का आरोप लगाया और कहा कि वे शराब का सेवन नहीं करते हैं। गढ़वी ने तब खुद को देवी का उपासक बताया था।

गढ़वियों का गायिकी से जुड़ाव

इस समाज के लोग मुख्यरूप से खेती-बाड़ी और पशुपालन से जुड़े हुए हैं। गढ़वी समाज की एक पहचान और भी है, जब राजे-रजवाड़े होते थे तब इस समुदाय के लोग गायन में काफी सक्रिय थे। अभी भी गुजरात में गढ़वी समाज के काफी गायक हैं जो डायरो (कवि सम्मेलन) करते हैं। इसमें स्थानीय भाषा में प्रस्तुति दी जाती है। इसमें गायन के साथ जोक्स और हास्य के कार्यक्रम होते हैं।

कीर्तिदान गढ़वी गुजरात के बड़े गायक हैं। तो वहीं राजनीतिक तौर पर गढ़वी समाज की भागीदारी काफी कम रही है। बीजेपी से पूर्व में पुष्पदान गढ़वी और वीके गढ़वी मंत्री, विधायक और सांसद बने हैं, लेकिन यह पहला मौका है जब गढ़वी समाज के किसी व्यक्ति को किसी पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है।

Compiled: up18 News