सूर्य को अर्घ्य देना क्यों सर्वाध‍िक लाभकारी माना गया है?

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सूर्य को अर्घ्य देने से बीमार‍ियों का नाश होता है पूजा-अर्चना और संध्योपासना कर्म में सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है, हाथ की अंजुरि (अंजुलि) में जल लेकर सूर्य की ओर मुख करके सूर्य को जल समर्पित करना ‘सूर्य अर्घ्य’ कहा जाता है। वेदों में सूर्य को आँख कहा गया है।

सूर्य में सात रंग की किरणें हैं। इन सप्तरंगी किरणों का प्रतिबिंब जिस किसी भी रंग के पदार्थ पर पड़ता है, वहाँ से वे पुनः वापस लौट जाती हैं। लेकिन काला रंग ही ऐसा रंग है, जिसमें से सूर्य की किरणें वापस नहीं लौटती हैं।

हमारे शरीर में भी विविध रंगों की विद्युत किरणें होती हैं अतः जिस रंग की कमी हमारे शरीर में होती है, सूर्य के सामने जल डालने यानी अर्घ्य देने से वे उपयुक्त किरणें हमारे शरीर को प्राप्त होती हैं। चूँकि आँखों की पुतलियाँ काली होती हैं, जहाँ से कि सूर्य किरणें वापस नहीं लौटतीं अतः वह कमी पूरी हो जाती है।

वैज्ञानिकों द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि सूर्य की किरणों का प्रभाव जल पर अतिशीघ्र पड़ता है, इसलिए सूर्य को अभिमंत्रित जल का अर्घ्य दिया जाता है।

सूर्य एक प्राकृतिक चिकित्सालय है। सूर्य की सप्तरंगी किरणों में अद्भुत रोगनाशक शक्ति है। सुबह से शाम तक सूर्य अपनी किरणों, जिनमें औषधीय गुणों का अपार भंडार है, अनेक रोग उत्पादक कीटाणुओं का नाश करता है। टीबी के कीटाणु उबलते पानी से भी जल्दी नहीं मरते, वे सूर्य के तेज प्रकाश से शीघ्र नष्ट हो जाते हैं। फिर दूसरे जीवाणुओं के नाश होने में संदेह ही क्या है।

श्रीमद्भागवपुराण में सूर्य देव

श्रीमद्भागवपुराण में बताया गया है कि स्वर्ग और पृथ्वी के बीच में जो ब्रह्मांड का केंद्र है वहीं सूर्य की स्थिति है। इसी ग्रंथ में बताया है कि सूर्य की परिक्रमा का मार्ग नौ करोड़, इक्यावन लाख योजन बताया है। सूर्य का संवत्सर नाम का एक चक्र (पहिया) है, उसमें महीने के रूप में बारह अरे हैं। ऋतु रूप में छह नेमियां हैं और तीन चौमासे रूपी तीन नाभियां हैं।

सूर्य पूजा के फायदे

मेडिकल साइंस में बताया गया है कि सूर्य की किरणों से मानसिक तनाव दूर होता है। इससे डिप्रेशन से बाहर निकलने में मदद मिलती है। सूर्य की रोशनी में खड़े होने से विटामिन डी की कमी दूर होती है। सूर्य की रोशनी से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। उगते हुए सूरज को लगातार देखने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। उगते हुए सूरज की रोशनी के शरीर पर पड़ने से ऊर्जा मिलती है।

वेदों और उपनिषद में सूर्य

ऋग्वेद के मुताबिक, सूर्यदेव में पापों से मुक्ति दिलाने, रोगों का नाश करने, आयु और सुख में वृद्धि करने व गरीबी दूर करने की अपार शक्ति है।

यजुर्वेद का कहना है कि सूर्यदेव की आराधना इसलिए की जानी चाहिए वह मानव मात्र के सभी कामों के साक्षी हैं और उनसे हमारा कोई भी काम या व्यवहार छुपा नहीं रहता।
ब्रह्मपुराण में बताया गया है कि सूर्यदेव सर्वश्रेष्ठ देवता हैं।

इनकी उपासना करने वाले भक्त जो सामग्री इन्हें अर्पित करते हैं, सूर्यदेव उसे लाख गुना करके लौटाते हैं।

सूर्योपनिषद के अनुसार, सभी देवता, गंधर्व और ऋषि सूर्य की किरणों में वास करते हैं। सूर्यदेव की उपासना के बिना किसी का भी कल्याण संभव नहीं है।

स्कंदपुराण में कहा है कि सूर्यदेव को जल चढ़ाए बिना भोजन करना पाप कर्म के समान है।

-एजेंसी