आगरा: कोटा बैराज से 12 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा, चंबल नदी में आई बाढ़, टीलों पर रहने को मजबूर ग्रामीण

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आगरा। चंबल नदी में राजस्थान के कोटा बैराज से 12 लाख क्यूसेक पानी छोडे जाने के बाद नदी का जलस्तर तेजी से बढकर देर रात तक खतरे के निशान 130 मीटर को पार कर गया।

चंबल नदी में राजस्थान के कोटा बैराज से 12 लाख क्यूसेक पानी छोडे जाने के बाद नदी का जलस्तर तेजी से बढकर देर रात तक खतरे के निशान 130 मीटर को पार कर गया। जिससे चंबल नदी में बाढ़ के हालात बन गए।

चंबल नदी में आई बाढ़ से बीती रात में ही कई गांव से लोगों ने सुरक्षित जगह पर जाने के लिए पलायन शुरु कर दिया। वहीँ प्रशासन ने तटवर्ती इलाकों के गांव में अलर्ट जारी कर प्रशासनिक कर्मचारियों को तैनात किया है।

आपको बता दें राजस्थान मध्य प्रदेश में भारी बारिश के चलते चंबल नदी के गांधी सागर बांध, राणा सागर बांध, जवाहर सागर बांधों में पानी बढ़ने से भारी मात्रा पानी डिस्चार्ज होने से राजस्थान के कोटा बैराज का जलस्तर एकदम से हाई लेवल बढ़ गया।

रविवार और सोमवार को तीन बार में बैराज के 14 गेट खोल कर चंबल नदी में करीब 12 लाख क्यूसेक पानी छोडे जाने के बाद नदी उफान पर है। उफान के चलते चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर 131.20 मीटर तक पहुंच गया।

चंबल नदी में बाढ़ आने के बाद आगरा जनपद के पिनाहट बाहर क्षेत्र के तटवर्ती इलाकों के गांव के करीब 20 स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए गए हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की अपील की गई है।

तटवर्ती इलाकों में करीब दो दर्जन से अधिक गांव के लोगों के जीवन पर संकट है। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए तटवर्ती इलाकों के गांव के लोग अपने परिवारी जनों और पशुओं के सहित जरूरी सामान के साथ ऊंचे स्थानों पर धीरे-धीरे पहुंच रहे हैं।

प्रशासन द्वारा 8 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। जिन पर लेखपालों एवं प्रशासनिक अधिकारियों की तैनाती की गई है। चंबल नदी में बाढ़ एवं लोगों की स्थिति जानने और हरसंभव सहायता दिए जाने को निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों को रात में भी चंबल क्षेत्र में ही रुकने के निर्देश दिए गए हैं।

पिछले वर्ष चंबल में आई बाढ़ से अभी लोग उभरे ही नहीं थे कि इस वर्ष दोबारा से चंबल की बाढ़ ने किसानों की फसल को बर्बाद कर दिया है। जिससे किसान चिंतित है। सन 1996 के बाद चंबल का विहंगम नजारा 2019 में देखने को मिला था।

2021 में चंबल में भयंकर बाढ़ आई जिसके बाद 2022 में भी चंबल खतरे के निशान को पार करती हुई नजर आरही है। विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी चंबल नदी किनारे बसे एक गांव में तबाही से इनकार नहीं किया जा सकता।

चंबल के इन गांव में बढेगी परेशानी

चंबल नदी में कोटा बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण तटवर्ती इलाकों में बाढ़ की स्थिति को लेकर निचले क्षेत्र में रहने वाले गांव के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की प्रशासन द्वारा मुनादी कराई गई है।

जिससे गांव रेहा, कछियारा, डगौंरा, बरैण्डा, पिनाहट, क्योरी बीच का पुरा, ऊपरी पुरा, उमरेठापुरा, जैवरा, गुर्जा शिवलाल, झरना पूरा, डाल का पुरा, गुढा, रानीपुरा, भटपुरा, भगवानपुरा, नदगवां आज गांव के लोग बाढ़ आने की संभावना को लेकर चिंतित हैं।

चंबल डाल नहर परियोजना के मुख्य द्वार पर दीवार लगाकर किया बंद

चंबल नदी पिनाहट घाट से निकलने वाली चंबल डाल नहर परियोजना की पम्पिंग मशीन जो चंबल से पानी लेकर ऊपर नहर मे फेंकती है उसके लिये नदी में ही इमारत बनी है।

इस इमारत मे रखी मशीनों को पानी से कोई नुकसान न पहुंचे, इसके लिए इमारत के मुख्य द्वार पर करीब बारह फीट की ऊंची दीवार लगाकर बंद किया गया। विगत 2019 में आयी बाढ से चारों पम्पिंग मशीने डूब कर खराब हो गयी थी जिनको करोडो रुपये की लागत से नई खरीदकर लगाया गया है।