देश के 260 से ज्यादा प्रतिष्ठित नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखकर उनसे ‘सनातन धर्म’ पर द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया। इस चिट्ठी में कहा गया है कि स्टालिन के बयान से सनातन धर्म पर विश्वास करने वाले भारत के आम नागरिकों के दिल और दिमाग में गुस्सा भरा है।
इस चिट्ठी के हस्ताक्षरकर्ताओं में तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस के. श्रीधर राव, गुजरात के पूर्व जज और लोकायुक्त एसएम सोनी समेत कुल 14 जजों के नाम शामिल हैं। इसके अलावा कई पूर्व नौकरशाहों, राजदूतों और रिटायर्ड पुलिसकर्मियों के नाम भी हैं।
इस चिट्ठी को 262 लोगों ने लिखा है। इसमें कहा गया है कि पत्र में हस्ताक्षर करने वाले लोग स्टालिन द्वारा की गई टिप्पणियों से बहुत चिंतित हैं और ये टिप्पणियां निर्विवाद रूप से भारत की एक बड़ी आबादी के खिलाफ हेट स्पीच के जैसी है। यह भारत के संविधान की मूल भावना पर प्रहार करती है, जिसमें भारत की एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में परिकल्पना की गई है। पत्र में कहा गया है कि देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र की रक्षा करने के लिए इस पर कदम उठाने की आवश्यकता है।
‘राज्य सरकार का कार्रवाई से इनकार, यह अदालत की अवमानना जैसा’
इसमें कहा गया है कि बेहद गंभीर मुद्दों पर कदम उठाने को लेकर प्रशासन की ओर से किसी तरह के विलंब अदालत की अवमानना को बुलावा देने जैसा होगा। पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है और अदालत के आदेश की कथित अवमानना का काम किया है, जिससे कानून का शासन कमजोर हुआ है या यूं कहें कि इसका मजाक बना दिया गया है।
चिट्ठी में कहा गया है, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय से अवमानना पर स्वत: संज्ञान लेने, तमिलनाडु सरकार द्वारा कार्रवाई न किए जाने के लिए उसे जवाबदेह ठहराने और घृणा भाषण को रोकने, सार्वजनिक व्यवस्था एवं शांति बनाए रखने के लिए निर्णायक कदम उठाने का अनुरोध करते हैं और हम आपसे तत्काल उचित कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं।’’
पत्र में कहा गया है, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि हमारी याचिका पर विचार किया जाएगा और हम न्याय तथा कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करने का अनुरोध करते हैं।’’
सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन ने की थी विवादित टिप्पणी
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक एवं कलाकार संघ की शनिवार को चेन्नई में हुई एक बैठक को संबोधित करते हुए ‘सनातन धर्म’ की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू के बुखार से की थी और कहा था कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इन्हें नष्ट कर देना चाहिए।
Compiled: up18 News