एक गांव ऐसा भी जहां केवल रहती हैं महिलाएं, पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित

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क्या आपने कभी किसी ऐसे गांव या किसी भी ऐसी जगह की कल्पना की है, जहां केवल महिलाएं ही रहती हों। या फिर कोई ऐसी जगह, जहां कभी भी पुरुषों को आने की अनुमति ही नहीं मिलती हो।

दुनिया में लंबे समय से पुरुष प्रधान समाज का वर्चस्‍व रहा है लेकिन एक ऐसा भी गांव है जहां केवल महिलाएं ही रहती हैं। इस गांव में पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है। पूरी दुनिया के लिए यह गांव अब एक मिसाल बन रहा है।

अफ्रीकी देश केन्या के एक गांव में दर्जनों परिवार रहते हैं लेकिन आदमी एक भी नहीं है। अब इसी गांव से निकल रहा है कि औरतों को जमीन की मिल्कियत मिलने का रास्ता। केन्या में दो फीसदी से भी कम जमीन की पट्टी महिलाओं के नाम है। इस गांव उमोजा की शुरुआत आज से करीब 31 साल पहले मात्र 15 महिलाओं ने की थी।

बेसहारा, शोषित, रेप पीड़‍िता महिलाओं को मिलता है ‘सहारा’

रिपोर्ट्स की मानें तो तीस साल पहले उत्तरी केन्या में रहने वाली जेन नोलमोंगन का जब एक ब्रिटिश सैनिक ने बलात्कार किया तो इसका पता चलने पर उनके पति ने उन्हें घर से निकाल दिया। इसके बाद वह सुरक्षित ठिकाने की तलाश करती हुई अपने बच्चों समेत एक ऐसे गांव में पहुंची, जिसे पूरी तरह महिलाएं चलाती हैं और जहां कोई आदमी नहीं आ सकता। यहां के बारे में कहा जाता है कि बीते तीन दशकों से सांबूरू काउंटी के उमोजा गांव में रह कर अपने आठ बच्चों को पालते हुए जेन ने खेत में काम किया। अब वह खेत आधिकारिक रूप से उनके नाम पर दर्ज होने जा रहा है, जो उनके पुराने जीवन में नहीं हो पाता। डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक केन्या में 98 फीसदी जमीनें केवल आदमियों के नाम पर हैं। ज्यादातर कबीलों में खेत और जमीन ही नहीं महिलाएं भी पहले पिता और फिर पति की संपत्ति समझी जाती हैं।

पुरुष प्रधान समाज की पीड़‍ित महिलाओं को म‍िला ठिकाना

अब 52 साल की हो चुकी जेन बताती हैं, यह गांव ही उनका सहारा रहा है। हमने अपनी जिंदगी सुधारने के लिए यहां मिल कर काम किया है और एक दूसरे को महिलाओं के अधिकार की महत्ता समझाई है। 1990 में सांबूरू महिलाओं के आश्रय के रूप में बसे उमोजा गांव में यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं से लेकर, घर से निकाली गई, संपत्ति या बच्चों से भी बेदखल की गई, बाल विवाह या खतने से खुद को बचा कर भागने वाली महिलाएं ठिकाना पाती हैं। अब इस काउंटी के प्रशासन ने इन महिलाओं को यहां की चरने वाली जमीन उनके नाम पर रजिस्टर कराने यानि टाइटल डीड की व्यवस्था की है।

पहले से चली आ रही सामाजिक व्यवस्था में महिलाओं को यह हक शायद कभी नहीं मिलता। अब यहां की महिलाएं आसपास के गांवों और समुदायों में जमीन को महिलाओं के नाम पर किए जाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

उमोजा का अर्थ है एकता, महिलाओं का चलता है ‘राज’

स्वाहिली भाषा में ‘उमोजा’ का अर्थ है एकता। इसे रेबेका लोलोसोली नामकी महिला ने शुरु किया था, जब उन पर महिलाओं के खतने का विरोध करने पर आदमियों ने एक समूह ने हमला कर घायल कर दिया था। अपनी चोट का इलाज कराते हुए अस्पताल में ही उन्हें ऐसा गांव बनाने का ख्याल आया जहां आदमियों का आना ही मना हो।

तब 15 महिलाओं से शुरु हुए गांव में एक समय पर 50 से भी अधिक परिवार रह रहे थे। यहां घर से लेकर स्कूलों का तक का निर्माण भी महिलाओं ने खुद ही मिल कर किया है। महिलाएं शहद और हाथ से बनी चीजें बेचकर अपना और परिवार का गुजारा करती आई हैं।

-एजेंसियां