अद्भुत वास्तुकला और चित्रों के लिए देश भर में प्रसिद्ध है मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर

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 द्वारकाधीश जगत मंदिर अन्य मंदिर की अपेक्षाकृत नया है, लेकिन अत्यधिक पूजनीय भी है, जहाँ हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन द्वारकाधीश के दर्शन के लिए आते हैं। द्वारकाधीश मंदिर अपनी विस्तृत वास्तुकला और चित्रों के लिए देश भर में प्रसिद्ध है जो भगवान के जीवन के विभिन्न पहलुओं दर्शाती है। द्वारकाधीश मंदिर मानसून की शुरुआत मनाये जाने वाले अद्भुद झूले उत्सव के लिए भी जाना-जाता है, जिस दौरान हजारों की संख्या में श्र्धालुयों और पर्यटकों की भीड़ देखी जाती है।

यदि आप अभी तक द्वारकाधीश मंदिर मथुरा के दर्शन के लिए नही गये हैं तो आपको अपने जीवन में एक बार भव्य ‘द्वारकाधीश जगत मंदिर” की यात्रा जरूर करनी चाहिये यकीन माने मंदिर की अद्भुद वास्तुकला और शांतिमय आभा आपको भगवान् कृष्ण की भक्ति में खो जाने के लिए मजबूर देगीं

द्वारकाधीश मंदिर मथुरा का इतिहास

बता दे द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास लगभग 200 साल पुराना है। द्वारकाधीश जगत मंदिर का निर्माण 1814 में भगवान कृष्णा जी के भक्त और ग्वालियर राज के कोषाध्यक्ष सेठ गोकुलदास पारीख द्वारा शुरू किया गया लेकिन उनके देहांत हो जाने के बाद उनके पुत्र लक्ष्मीचन्द्र ने मंदिर का निर्माण पूरा करबाया था। बर्ष 1930 में पूजन के लिए द्वारकाधीश मंदिर को पुष्टिमार्ग के आचार्य गिरधरलाल जी को सौप दिया गया था और तब इस मंदिर में पुष्टिमार्गीय विधि के अनुसार पूजन किया जाता है ।

द्वारकाधीश मंदिर की वास्तुकला

अपनी वास्तुकला और चित्रों के लिए प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर की वास्तुकला बेहद आकर्षक और मनमोहनीय है। मंदिर का परिसर काफी बड़ा है जिसमे मंदिर की मुख्य इमारत को आकर्षक राजस्थानी शैली में निर्मित किया गया है और इस इमारत में एक भव्य प्रवेश द्वार है। मंदिर के यार्ड में सुन्दर चित्रित छत है जो तीन नक्काशीदार स्तंभों पर खड़ी हुई है। इन स्तंभों और छत में की गयी नक्काशी और चित्रों के माध्यम से कृष्ण के जीवन की कहानी को दर्शाया गया है।

द्वारकाधीश मंदिर के अन्दर की वास्तुकला

जैसे ही आप भव्य मंदिर के अंदर जाने के लिए कुछ खड़ी सीढ़ियों पर चढ़ते तो सबसे पहले आप उन नक्काशीदार स्तंभों की पाँच पंक्तियाँ को देखेगें हैं, जो पूरे आँगन को तीन अलग-अलग खंडों में विभाजित करती हैं; जिसमे दायीं लाइन महिलाओं के लिए है और पुरुषों के लिए बायीं लाइन है, जबकि सेंटर लाइन वीआईपी पास वालों के लिए है। यहाँ दान के लिय एक विशाल दान पेटी भी राखी है।

यार्ड के ठीक सामने गर्भगृह है जहाँ द्वारकाधीश जी की पवित्र मूर्ति स्थापित है। मंदिर में “द्वारकाधीश के राजा” के दर्शन के साथ साथ दीवारों और आंगन की छत पर सुंदर पेंटिंग भी देखी जा सकती है जिनमे कृष्ण के जन्म के दृश्य और कई अन्य लोगों द्वारा उनके द्वारा रास नृत्य के प्रदर्शन को दिखाया गया है। मंदिर में मुख्य मूर्ति के अलावा, आप कई अन्य हिंदू देवताओं और छोटे तुलसी के पौधे को भी देख सकते हैं जो भगवान के प्रिय हैं और उनके भक्तों के लिए अत्यधिक पूजनीय हैं।

द्वारकाधीश मंदिर में मनाये जाने वाले उत्सव

“द्वारकाधीश का मंदिर” अपनी प्रसिद्ध वास्तुकला और भक्तिमय वातावरण के साथ साथ मंदिर में मनाये जाने वाले कुछ उत्सवो के लिए भी काफी प्रसिद्ध है जिन्हें बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

जन्माष्टमी

जन्माष्टमी या भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव द्वारकाधीश मंदिर और पूरे शहर में उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान द्वारकाधीश मंदिर और मथुरा नगरी को बिलकुल दुल्हन की तरह सजाया जाता है। जबकि मंदिर में भगवान् श्री कृष्णा जी की मूर्ति को पानी, दूध और दही से नहलाया जाता है उनका श्रृंगार किया जाता है और अंत में उनके पालने में विराजमान किया जाता है। इस पवित्र उत्सव के दौरान कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमे देश के बिभिन्न कोनो से हजारों श्रद्धालु शामिल होते है।

हिंडोला उत्सव

श्रावण (अगस्त-सितंबर) के हिंदू महीने के दौरान मनाया जाना वाला हिंडोला उत्सव द्वारकाधीश जगत मंदिर मथुरा का एक और प्रसिद्ध उत्सव है जिसे “झुला  उत्सव” के नाम से भी जाना जाता है। इस उत्सव में राधा रानी और कृष्णा जी की मूर्ति को सोने चांदी से लेकर , फूल पत्ती, जरी, रंग बिरंगे वस़्त्रों से लेकर फलों से मिलकर बने हिंडोला या झूले में रखा जाता है और उन्हें झुलाया जाता है।

द्वारकाधीश जगत मंदिर मथुरा में होने वाली आरतियाँ

ग्रीष्मकालींन आरतियों का समय

मंगला : प्रात: 6.30 – प्रातः 7.00 बजे तक
श्रृंगार : प्रात: 7.40- 7.55 बजे तक
ग्वाल : सुबह 8:25 – 8:45 बजे तक
राजभोग : सुबह 10.00 बजे – सुबह 10.30 बजे तक
उत्तानपाद : शाम   00 – 4.20 बजे तक
भोग : शाम 4.45 – 05 बजे तक
आरती : शाम 5.20 बजे – शाम 5.40 बजे तक
सयान : शाम 6.30 – शाम 7.00 बजे तक

शीतकालीन आरतीयों का समय

मंगला : प्रात: 6.30 – 7:00 बजे तक
श्रृंगार : प्रात: 7:40 – 7:55 बजे तक
ग्वाल : सुबह 8.25 – 45 बजे तक
राजभोग : सुबह 10:00 बजे – सुबह 10:30 बजे तक
उत्तरपन्न : दोपहर 3:30 बजे – 3:50 बजे तक
भोग : शाम 4:20 बजे – शाम 4:40 बजे तक
आरती : शाम 6:00 बजे

द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन का समय

गर्मियों में 

सुबह 6.30 बजे से 10.30 बजे तक
शाम 4.00 बजे से 7.00 बजे तक खुलता है

सर्दियों में द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन का समय

सुबह 6.30 बजे से 10.30 बजे तक
शाम 4.00 बजे से 6.00 बजे तक रहता है

मंदिर में प्रवेश और द्वारकाधीश के दर्शन के लिए कोई भी शुल्क नही है यहाँ आप बिना किसी शुल्क का भुगतान किये द्वारकाधीश जगत मंदिर में घूम और दर्शन कर सकते है।

द्वारकाधीश मंदिर के आसपास मथुरा में घूमने की जगहें

कृष्ण जन्म भूमि मंदिर
कंस किला
राधा कुंड
गोवर्धन पहाड़ी
मथुरा संग्रहालय
कुसुम सरोवर
रंगजी मंदिर
बरसाना
मथुरा के घाट

द्वारकाधीश मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय

वैसे तो श्रद्धालु बर्ष के किसी भी समय द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते है, लेकिन यदि आप द्वारकाधीश मंदिर के साथ – साथ मथुरा के प्रमुख मंदिर और पर्यटक स्थलों की यात्रा भी करने वाले है। तो उसके लिए अगस्त से मार्च का समय सबसे बेस्ट टाइम होता हैं, क्योंकि इस समय मथुरा का मौसम बहुत खुशनुमा होता है। मौसम बहुत खुशनुमा होने के साथ साथ इन महीनो में जन्माष्टमी, हिंडोला उत्सव और होली जैसे प्रसिद्ध त्यौहार भी होते है जिन्हें मथुरा नगरी बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

Compiled: up18 News


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