पुरी (ओडिशा) का जगन्नाथ मंदिर भारत की एक ऐसी धरोहर है जिसके भीतर बहुत से रहस्य दफन है। हालांकि भारत में बहुत सी ऐसी अन्य जगहें भी हैं जो ये बताने के लिये काफी हैं कि मनुष्य की सोच जहां समाप्त होती है, वहीं से उन शक्तियों से जुड़े चमत्कार आरंभ होते हैं। वहीं से कुछ ऐसे रहस्य जुड़ने लगते हैं, जिन्हें समझ पाना वाकई असंभव है। भगवान कृष्ण, बलराम और उनकी बहन सुभद्रा को समर्पित जगन्नाथ मंदिर कोई सामान्य मंदिर नहीं है। यह जितना खूबसूरत और विशाल है, उतना ही ज्यादा यह रहस्यमय भी है।
सनातन धर्म की विशेषता
पुरी का जगन्नाथ मंदिर सनातन धर्म के मुख्य चार धामों में से एक है। इतना ही नहीं, वैष्णव धर्म संप्रदाय में जिन 108 पवित्र मंदिरों का उल्लेख मिलता है उनमें भी इसका नाम शामिल है। दसवीं शताब्दी में बने इस मंदिर को कई बार क्षति पहुंचाने का प्रयत्न किया गया लेकिन कोई भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाया। ऐसा माना जाता है कि औरंगजेब ने कई बार इस मंदिर को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया लेकिन उसे एक भी बार सफलता नहीं मिली। इसके अलावा जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य भी हैं जो आपको हैरान कर सकते हैं।
ध्वज का रहस्य
जगन्नाथ मंदिर के गुंबद पर जो ध्वज लगा है वह विज्ञान के सभी सिद्धांतों को नकारता प्रतीत होता है। विज्ञान के अनुसार हवा की दिशा किसी भी वस्तु को अपने साथ ले जा सकती है लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर लगा ध्वज हवा से ठीक उल्टी दिशा में लहराता है। इस ध्वज के लहराने की दिशा निश्चित है, फिर हवा चाहे किसी भी दिशा में क्यों ना चले।
रोज बदला जाता है ध्वज
दूसरा रहस्य या कह लीजिए मान्यता यह भी है कि मंदिर के ऊपर लगा यह ध्वज रोज बदला जाता है। माना जाता है जिस दिन यह ध्वज किसी भी कारण से नहीं बदला जाएगा तो यह स्थान आने वाले 18 सालों तक बंद रहेगा। अगर इस बीच मंदिर के कपाट खोले गए तो प्रलय भी आ सकता है।
सुदर्शन चक्र का रहस्य
मंदिर के सबसे ऊपरी भाग में एक सुदर्शन चक्र भी लगा है जिसका वजन 1000 किलोग्राम के आसपास है। अभी तक विज्ञान भी यह उत्तर नहीं दे पाया कि आखिर इतना ऊपर यह चक्र पहुंचा कैसे जबकि उस दौर में इतनी तकनीक मौजूद नहीं थी।
इसके अलावा इस सुदर्शन चक्र की एक खास बात यह भी है कि इसे किसी भी तरफ से देख लीजिए यह एक जैसा ही नजर आता है। आप इस चक्र को आगे, पीछे, दाएं, बाएं… किसी भी दिशा से देख लीजिए यह आपको एक समान ही नजर आएगा। जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से न तो कोई पक्षी कभी उड़ता हुआ देखा गया है, ना कोई हवाई जहाज…. लेकिन ऐसा क्यों? यह एक ऐसी पहेली है जिसे सुलझाया नहीं जा सका है।
मूर्ति का रहस्य
हर 12 वर्ष में जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियों को बदला जाता है और उस समय पूरे शहर में ब्लैक आउट किया जाता है। यहां तक कि जो पुजारी इस मंदिर में मूर्ति को स्थापित करता है, उसकी भी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है।
श्रीकृष्ण का हृदय
पुजारी पुरानी मूर्ति जिसे ‘नील माधव’ के नाम से जाना जाता है, में से किसी वस्तु को बाहर निकालकर उसे नई मूर्ति में स्थापित करता है। कोई उस वस्तु को देख नहीं पाया। पुजारियों की मानें तो उन्होंने ऐसा महसूस किया है जैसे कोई खरगोश उछल रहा है। जो वस्तु निकाली और नई मूर्ति में स्थापित की जाती है, माना जाता है वह स्वयं श्रीकृष्ण का हृदय है।
लहरों की आवाज
जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी एक बेहद खास बात यह भी है कि समुद्र तट पर बसे इस मंदिर में बाहर तो लहरों का शोर, बाहरी हलचल सब कुछ है… लेकिन माना जाता है जैसे ही आप इस मंदिर के भीतर प्रवेश करते हैं सभी प्रकार का शोर समाप्त हो जाता है। आपको बाहर की एक भी आवाज भीतर सुनाई नहीं देती है। यह वाकई एक बेहद हैरानी की बात है… माना जाता है मंदिर में प्रवेश एक दूसरी दुनिया में प्रवेश जैसा होता है।
Compiled: up18 News