इंडोनेशिया के जावा का प्रम्बनन शिव मंदिर और रोरो जोंग्गरंग की कहानी

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भगवान शिव के इसी मंदिर में एक जगह माँ दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप की मूर्ति रखी हुई है। वहां के स्थानीय लोग इस मूर्ति को राजकुमारी जोंग्गरंग की मूर्ति और मंदिर को रोरो जोंग्गरंग के नाम से जानते हैं। दरअसल इसके पीछे प्राचीन समय की राजकुमारी रोरो जोंग्गरंग व राजकुमार बांडुंग बोंदोवोसो की कहानी जुड़ी हुई है।

यह कहानी रक्तरंजित इतिहास, युद्ध, प्रेम, दैवीय शक्तियों, विश्वासघात, श्राप सभी का मिश्रण हैं। आज हम आपको रोरो जोंग्गरंग की कहानी व रोरो जोंग्गरंग का माँ दुर्गा से संबंध के बारे में बताने जा रहे हैं।

रोरो जोंग्गरंग की कहानी – 

प्राचीन समय में जावा के इस शहर में दो राज्य थे जिन पर दो अलग-अलग राजा राज करते थे। एक राज्य था पेंग्गिंग जिसके राजा थे प्रबु दमार मोयो व दूसरा राज्य था बोको जिसके राजा थे प्रबु बोको। राजा मोयो धर्म का पालन करने वाले राजा थे जबकि राजा बोको दैत्य प्रवृत्ति का था। एक ओर राजा मोयो उदारवादी व प्रजा की सहायता करने वाले थे तो वही दूसरी ओर राजा बोको आदमखोर थे जो मनुष्यों को कच्चा खा जाते थे।

राजा मोयो का एक पुत्र था जिसका नाम था बांडुंग बोंदोवोसो। राजकुमार बोंदोवोसो के अंदर दैवीय शक्तियां थी जिस कारण वह कई चमत्कार कर सकता था। दूसरी ओर, राजा बोको की एक पुत्री थी जिसका नाम था जोंग्गरंग। राजकुमारी जोंग्गरंग अत्यधिक सुंदर व रूपवती थी।

राजा मोयो का राज्य समृद्ध था जिस कारण राजा बोको उससे ईर्ष्या करता था। बोको का एक सहायक/ मंत्री था जिसका नाम था पतिह गुपोलो। गुपोलो भी बोको की तरह एक आदमखोर प्रवृत्ति का मनुष्य था। बोको ने गुपोलो की सहायता से एक शक्तिशाली सेना का निर्माण किया और पेंग्गिंग राज्य पर आक्रमण कर दिया।

राजा मोयो ने अपने राज्य के लोगों की रक्षा के लिए सेना को युद्ध में उतारा। दोनों ओर से भीषण युद्ध शुरू हो गया और इसमें राजा मोयो की सेना को बहुत नुकसान हुआ। राजा बोको और उसकी सेना बर्बरता की सारी सीमाएं लांघ रही थी जिस कारण मोयो की सेना का आत्म-विश्वास टूटने लगा था।

बोंदोवोसो ने किया राजा बोको का वध

अपने सेना में मचे चीत्कार को देखकर राजा मोयो ने दैवीय शक्तियों से युक्त अपने पुत्र बोंदोवोसो को युद्धभूमि में भेजा। बोंदोवोसो ने युद्धभूमि में उतरते ही त्राहिमाम मचा दिया। इसके बाद राजा बोको और राजकुमार बोंदोवोसो के बीच भीषण युद्ध शुरू हो गया।

अन्तंतः राजकुमार बोंदोवोसो ने अपनी दैवीय शक्तियों से राजा बोको का वध कर दिया। जब गुपोलो को यह पता चला कि राजा बोको मारे जा चुके है तो वह अपनी सेना सहित भाग खड़ा हुआ। वह भागकर अपने राज्य बोको चला गया और राजमहल जाकर राजकुमारी जोंग्गरंग को सारी सूचना दी। राजकुमारी जोंग्गरंग अपने पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर बहुत दुखी हुई और मन ही मन बोंदोवोसो से घृणा करने लगी।

बोंदोवोसो हो गया जोंग्गरंग पर सम्मोहित

गुपोलो और उसकी सेना का पीछा करते हुए राजकुमार बोंदोवोसो बोको राज्य के राजमहल तक पहुँच गया। उसकी सेना ने बोको को चारों ओर से घेर लिया। वह राजमहल पर अपना अधिकार करने के लिए राजमहल के अंदर गया लेकिन वहां राजकुमारी रोरो जोंग्गरंग को देखकर उस पर सम्मोहित हो गया।

राजकुमारी की सुंदरता ने बोंदोवोसो पर ऐसा प्रभाव डाला कि उसने उसी समय जोंग्गरंग के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। राजकुमारी अपने पिता की मृत्यु से इतनी ज्यादा क्रुद्ध थी कि उसने राजकुमार का यह प्रस्ताव ठुकरा दिया।

रोरो जोंग्गरंग की बोंदोवोसो के सामने दो शर्ते

जब राजकुमार ने जोंग्गरंग से विवाह का प्रस्ताव वापस नही लिया और उससे विवाह को अड़ा रहा तो राजकुमारी ने उसके सामने दो शर्ते रखी। पहली शर्त के अनुसार राजकुमार को जलातुंड के नाम से एक कुएं का निर्माण करवाना था और दूसरी शर्त के अनुसार उसे एक ही रात में एक हज़ार मंदिरों/ मूर्तियों का निर्माण करना था। राजकुमार ने दोनों शर्ते मान ली।

बोंदोवोसो द्वारा जलातुंडा कुएं का निर्माण व जोंग्गरंग का विश्वासघात

इसके बाद बोंदोवोसो ने अपनी दिव्य शक्तियों से एक विशाल कुएं का निर्माण कर दिया। जब जोंग्गरंग ने यह देखा तो उसने बोंदोवोसो को उस कुएं में जाने को कहा। बोंदोवोसो राजकुमारी के कहने पर उस कुएं में चला गया।

ऊपर से राजकुमारी ने गुपोलो की सहायता से उस कुएं में भारी पत्थर डलवा दिए ताकि बोंदोवोसो उस कुएं में दबकर मर जाए। लेकिन बोंदोवोसो अपनी चमत्कारिक शक्तियों की सहायता से बच निकला और कुएं से बाहर आ गया। राजकुमारी के प्रेम में उसने इस छल को भुला दिया और दूसरी शर्त को पूरी करने चल पड़ा।

बोंदोवोसो ने दिया जोंग्गरंग को श्राप 

फिर वह रात आ गयी जब राजकुमार को 1000 मूर्तियों का निर्माण करना था। उस रात बोंदोवोसो ने अपनी दैवीय शक्तियों से आत्माओं का आह्वान किया जो भूमि में से प्रकट हुई। उन सभी आत्माओं की सहायता से बोंदोवोसो ने एक रात में ही 999 मूर्तियों का सफलतापूर्वक निर्माण कर दिया।

जब वे अंतिम 1000वीं मूर्ति पर काम कर रहे थे तब इसकी भनक राजकुमारी को लग गयी। शर्त पूरी होने पर राजकुमार से विवाह करने की बात ने जोंग्गरंग को भयभीत कर दिया। तब उसने अपनी सेविकाओं की सहायता से पूर्वी दिशा के चावल के खेतों में आग लगा दी।

इस आग से रात में भी दिन जैसा उजाला हो गया। यह देखकर उन आत्माओं को लगा कि सुबह हो गयी हैं और वे आखिरी मूर्ति का निर्माण बीच में ही छोड़कर वापस भूमि में समा गयी। जब बोंदोवोसो को इस छल का पता चला तो वह अत्यधिक क्रोधित हो गया।

उसने उसी समय राजकुमारी रोरो जोंग्गरंग को श्राप दिया कि वह एक पत्थर की मूर्ति में बदल जाएगी। इसके बाद रोरो जोंग्गरंग एक पत्थर की मूर्ति में बदल गयी जो कि बोंदोवोसो की 1000वीं मूर्ति कहलाई। रोरो जोंग्गरंग की यहीं मूर्ति प्रम्बनन शिव मंदिर में स्थापित हैं।

सेवू बुद्ध मंदिर व प्रम्बनन शिव मंदिर का रोरो जोंग्गरंग से संबंध

मान्यता हैं कि राजकुमार ने जिन 999 मूर्तियों का निर्माण करवाया था वह सेवू बुद्ध मंदिर में हैं। इसके साथ ही प्रम्बनन शिव मंदिर के मुख्य शिव मंदिर में भगवान शिव के उत्तरी दिशा के कक्ष में माँ दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी की जो मूर्ति स्थापित है, वह असलियत में रोरो जोंग्गरंग का मूर्त रूप है।

इसलिए वहां के स्थानीय लोग प्रम्बनन शिव मंदिर को रोरो जोंग्गरंग मंदिर के नाम से जानते हैं और माँ दुर्गा की महिषासुर मर्दिनी वाली मूर्ति को राजकुमारी रोरो जोंग्गरंग की मूर्ति मानकर उसकी पूजा करते हैं।

जोंग्गरंग के नाम के आगे रोरो कैसे जुड़ा?

रोरो का अर्थ होता हैं एक अविवाहित राजकुमारी जो कि अपने लोगों के लिए बहुत अच्छी हो। यह जावानीज भाषा का शब्द है। इसलिए राजकुमारी के अच्छे स्वभाव को देखकर उनके नाम के आगे रोरो जोड़ दिया गया। इसके बाद राजकुमारी जोंग्गरंग का नाम रोरो जोंग्गरंग पड़ गया।

-एजेंसी