ICC के इलीट पैनल में रहे पाकिस्‍तानी अंपायर असद रऊफ़ का निधन

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असद रऊफ़ को 2006 में आईसीसी के इलीट पैनल में जगह मिली थी। जिसके बाद उन्होंने 47 टेस्ट, 98 ओडीआई और 23 टी-20 मैच में अंपायरिंग की।

अंपायर के तौर पर उनके करियर की शुरुआत 1998 में हुई थी। भारत और पाकिस्तान के बीच 2000 में खेले गए एक दिवसीय मैच से उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंपायरिंग की दुनिया में कदम रखा।

रऊफ़ ने आईपीएल में भी दिखे थे लेकिन 2013 में स्पॉट फिक्सिंग में नाम आने के बाद यहां उनका करियर ख़त्म हो गया।

अंपायरिंग पर बैन लगने के बाद असद रऊफ़ पिछले कुछ वर्षों से लाहौर में एक दुकान चलाकर अपनी जीवन बिता रहे थे। उनकी जूतों और कपड़ों की दुकान थी।
पाकिस्तानी क्रिकेटर कामरान अकमल ने उनके निधन पर दुख जताते हुए एक ट्वीट किया।

जब जूते-चश्मे के लिए ‘बिक’ गए थे असद रऊफ

असद रऊफ लेकर कई किस्से मशहूर हैं। वीरेंद्र सहवाग ने उन्हें लेकर एक किस्सा सुनाया था।

वीरेंद्र सहवाग ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उन्होंने आउट नहीं देने के लिए असद रऊफ से ‘डील’ की थी। सहवाग ने कहा था कि ‘असद रऊफ को ब्रांडेड चश्मा, टी-शर्ट, जूतों का शौक था। मैं उस समय एडिडास का ब्रांड एंबेसडर था, इसलिए मैंने उन्हें ये सारी चीजें गिफ्ट कर दी और मजाक में कहा कि जब मैं बल्लेबाजी कर रहा हूं तो अपनी उंगली न उठाएं। और उन्होंने ठीक वैसा ही किया।’

रऊफ ने नहीं दिया आउट

ऑस्ट्रेलिया की टीम 2008 में भारत दौरे पर थी। चार टेस्ट मैच की सीरीज का दूसरा मुकाबला मोहाली में खेला गया था। उस मुकाबले में रूडी कर्टजन के साथ असद रऊफ मैदानी अंपायर थे। इस मैच में मिचेल जॉनसन की शॉर्ट-पिच बॉल पर सहवाग आउट थे, लेकिन असद रऊफ ने अंगुली नहीं उठाई। गेंद पर बल्ले का इतना मोटी किनारा लगा था कि हर किसी ने यह आवाज सुनी थी। कंगारू कप्तान पोंटिंग ने जमकर बहस की, लेकिन अंपायर ने अपना फैसला नहीं बदला।

रखा था अपना पक्ष

वीरेंद्र सहवाग के इस बयान पर असद रऊफ ने पलटवार किया था। उन्होंने एक पाकिस्तानी चैनल पर बात करते हुए कहा था कि जहां तक सहवाग का सवाल है तो उसकी क्या मजाल कि वो एक आईसीसी एलीट अंपायर से कुछ कहे। पूरे करियर में कभी मेरे ऊपर इस तरह के आरोप नहीं लगे।

-एजेंसी