तालिबान को सबक सिखाने के लिए पाक आर्मी चीफ ने शुरू किया नया खेल

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पाकिस्‍तानी सेना की मदद से अफगानिस्‍तान में सत्‍ता में आए तालिबान ने अब अपने आका पर ही बम बरसाना शुरू कर दिया है। यही नहीं, पाकिस्‍तानी सैनिकों की हत्‍या करने वाले आतंकी गुट तहरीक-ए-तालिबान पर एक्‍शन लेने से तालिबान ने साफ मना कर दिया है। इससे भड़के पाकिस्‍तान ने इतिहास में पहली बार अफगानिस्‍तान की जमीन पर हवाई हमला किया। इन हमलों का कोई असर होता नहीं देख पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने तालिबान को सबक सीखाने के लिए अब अफगानिस्‍तान में नया खेल शुरू कर दिया है। इससे एक बार फिर से अफगानिस्‍तान जंग के रास्‍ते पर बढ़ता दिख रहा है।

तालिबान ने सत्‍ता में आने के बाद वादा किया था कि वह अफगानिस्‍तान में शांति और एकजुटता लाएगा। हालांकि सत्‍ता में आने के 8 महीने बाद तालिबान का यह वादा झूठा साबित हो रहा है और देश में लगातार हमले हो रहे हैं। अफगानिस्‍तान में तालिबानी शासन राजनीतिक, आर्थिक और भूरणनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। हालात इतने खराब हैं कि देश में जहां आए दिन भीषण धमाके हो रहे हैं, वहीं आम जनता भुखमरी की कगार पर पहुंच गई है। गत 29 अप्रैल को काबुल में सुन्‍नी मस्जिद में हुए भीषण धमाके में कम से कम 50 लोग मारे गए। इससे पहले गुरुवार को मजार-ए- शरीफ इलाके में श‍िया मुस्लिमों पर हुए बम हमले में कम से कम 9 लोग मारे गए थे।

अहमद मसूद और अमरुल्‍ला सालेह से कड़ी चुनौती मिल रही

इन हमलों के पीछे आतंकी गुट आईएसआईएस के हाथ बताया जा रहा है जिसने तालिबान के खिलाफ ऐलान-ए-जंग कर रखा है। तालिबानी सरकार को न केवल आईएसआईएस के से चुनौती मिल रही है, बल्कि अहमद मसूद और पूर्व उपराष्‍ट्रपति अमरुल्‍ला सालेह के नेतृत्‍व वाले नेशनल रजिस्‍टेंस फ्रंट (NRF) से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। इसके अलावा अफगानिस्‍तान फ्रीडम फ्रंट, अफगानिस्‍तान इस्‍लामिक नेशनल एं‍ड लिबरेशन मूवमेंट के नाम से भी पिछले कुछ समय में नए गुट बने हैं। इन्‍हीं गुटों में अब लेफ्टिनेंट जनरल सामी सादात भी शामिल हुए हैं जो अशरफ गनी सरकार में अफगान स्‍पेशल फोर्सेस के प्रमुख थे।

आईएसआईएस के खिलाफ हक्‍कानी नेटवर्क एक्‍शन नहीं ले रहा है जिसके पास अफगानिस्‍तान का गृह मंत्रालय है। इसी हक्‍कानी नेटवर्क को पाकिस्‍तान ने पाल रखा है। इससे आईएसआईएस के अफगानिस्‍तान में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। इससे विश्‍लेषकों का कहना है कि अफगानिस्‍तान एक बार फिर से जंग की ओर बढ़ता दिख रहा है। इन विरोधी गुटों के अलावा पाकिस्‍तान तालिबान के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।

पाकिस्‍तान ने तालिबान की मदद करके उसे सत्‍ता दिलाई थी लेकिन अब दोनों के बीच जंग जैसे हालात हैं। तालिबान टीटीपी के खिलाफ एक्‍शन नहीं ले रहा है और इससे पाकिस्‍तान खफा है। उधर डूरंड लाइन को लेकर भी दोनों के बीच तनाव है।

आईएसआई प्रमुख नदीम अंजुम ने अहमद मसूद से की मुलाकात

अहमद मसूद के नेतृत्‍व वाला एनआरएफ अब इस तनाव का फायदा उठाने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के कुछ अधिकारियों ने एनआरएफ के नेताओं से ताजिकिस्‍तान में मुलाकात की है ताकि भविष्‍य में तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध आंदोलन की संभावना पर चर्चा की जा सके। यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब रूस और चीन ने तालिबान को इन विरोधी गुटों के खिलाफ मदद की इच्‍छा जताई है। पाकिस्‍तानी हवाई हमले से यह भी साफ हो गया है कि पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा रूस और चीन से इतर तालिबान की अब मदद नहीं करने जा रहे हैं।

इंस्‍टीट्यूट फॉर द स्‍टडी ऑफ वार की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख नदीम अंजुम ने हाल ही में इन तालिबानी विरोधी गुटों के नेताओं से मुलाकात की है। इसमें अहमद मसूद भी शामिल हैं। आईएसआई चीफ ने इन तालिबान विरोधी धड़ों की मदद की इच्‍छा जताई है लेकिन उन्‍हें इसके बदले में डूरंड लाइन को मान्‍यता देनी होगी। पाकिस्‍तानी सेना और विरोधी गुटों के इस गठजोड़ से अब आने वाले समय में तालिबान की अग्निपरीक्षा होने जा रही है। पाकिस्‍तान ने अगर खुलकर अहमद मसूद का साथ दिया तो तालिबान के खिलाफ हिंसक अभियान फिर शुरू हो सकता है।

-एजेंसियां