किसी ने सोचा नहीं था चंदा कोचर के चमकदार करियर का सूर्य ऐसे अस्त होगा

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उन पर जो आरोप लगाए गए हैं उनके मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और तेल-गैस खनन कंपनी वीडियोकॉन के पूर्व चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने दीपक कोचर की कंपनी नु-पावर में कथित तौर पर बड़ी रकम का निवेश किया था.

यह निवेश वीडियोकॉन ग्रुप को आईसीआईसीआई बैंक की ओर से मिले लोन के बाद किया गया था. वीडियोकॉन को दिया गया ये लोन एनपीए में तब्दील हो गया था.
चंदा कोचर कभी भारतीय बैंकिंग सेक्टर की स्टार कही जाती थीं. उन्होंने बहुत कम समय में अपनी करियर की ऊंचाइयों को छू लिया था.
प्रबंधन और बैंकिंग की दिग्गज मानी जाने वाली चंदा कोचर कामकाजी महिलाओं के एक रोल मॉडल के तौर पर उभरी थीं.

चमकदार बैंकिंग सफर का ऐसा अंत

”आसमानों की ख्वाहिश रखो लेकिन धीमे-धीमे चलते हुए. रास्ते पर चलने वाले हर एक कदम का मज़ा लो. ये छोटे-छोटे क़दम ही हमारे सफ़र को पूरा करते हैं.”

साल 2009 में जब चंदा कोचर को आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया गया तब उन्होंने ये बात कही थी. चंदा लंबे सफ़र के दौरान तय किए जाने वाले छोटे-छोटे क़दमों की अहमियत समझा रही थीं.

शायद उस वक़्त उन्हें इस बात का ज़रा सा भी अंदाज़ा नहीं रहा होगा कि उनका चमकदार बैकिंग सफर ऐसे छोटा हो जाएगा.

भारतीय बैंकिंग सेक्टर में पुरुष वर्चस्व को तोड़ने वाली और पूरी दुनिया के बैंकिंग क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाली चंदा पर अब सीबीआई जांच का साया पड़ चुका है.

सीबीआई ने चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश रचने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.

चंदा कोचर वीडियोकॉन समूह को लोन दिए जाने के मामलों में आरोपों का सामना कर रही हैं. आरोप हैं कि आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ रहते हुए उन्होंने अपने पद का ग़लत इस्तेमाल किया.

आज भले ही चंदा कोचर ग़लत वजहों से चर्चा में हों, लेकिन इससे पहले नज़र डालते हैं उनके बैंकिंग से जुड़े बेहतरीन सफ़र पर. जहां संघर्ष है, सफलता है और बड़े पुरस्कार शामिल हैं.

राजस्थान से मुंबई का सफ़र

राजस्थान के जोधपुर में जन्मीं चंदा कोचर की स्कूली पढ़ाई जयपुर से हुई. उनके पिता रूपचंद अडवाणी जयपुर इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के प्रिंसिपल थे, जबकि मां एक गृहणी थीं.

चंदा के पति दीपक कोचर के आधिकारिक ब्लॉग में उनके बारे में लिखा गया है. जब चंदा 13 साल की थीं तब उनके पिता का निधन हो गया था.

उन्होंने मुंबई के जय हिंद कॉलेज से बी.कॉम किया. 1982 में ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉस्ट अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया से कॉस्ट अकाउंटेंसी की पढ़ाई की और फिर जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़ से मास्टर्स डिग्री प्राप्त की.

मैनेजमेंट स्टडीज़ में बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए चंदा कोचर को वोकहार्ड्ट गोल्ड मेडल और एकाउंटेंसी में जेएन बोस गोल्ड मेडल मिल चुका है. साल 1984 में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक ज्वाइन किया.

1955 में आईसीआईसीआई (इंडस्ट्रियल क्रेडिट ऐंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया) का गठन भारतीय उद्योगों को प्रोजेक्ट आधारित वित्तपोषण के लिए एक संयुक्त उपक्रम वित्तीय संस्थान के रूप में किया गया था. जब 1994 में आईसीआईसीआई बैंक संपूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई तो चंदा कोचर को असिस्टेंट जनरल मैनेजर बनाया गया.

बैंक की सीईओ और पद्म भूषण

चंदा कोचर लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं. डिप्टी जनरल मैनेजर, जनरल मैनेजर के पदों से होती हुई साल 2001 में बैंक ने उन्हें एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बना दिया.

इसके बाद उन्हें कॉरपोरेट बिज़नेस देखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई. फिर वो चीफ़ फ़ाइनेंशियल ऑफ़िसर बनाई गईं.

फिर आया वो दिन जब मई 2009 में चंदा कोचर को आईसीआईसीआई बैंक का सीईओ और एमडी बनाया गया. चंदा कोचर के ही नेतृत्व में आईसीआईसीआई बैंक ने रिटेल बिज़नेस में क़दम रखा जिसमें उसे अपार सफलता मिली.

यह उनकी योग्यता और बैंकिंग सेक्टर में उनके योगदान के प्रमाण था कि भारत सरकार ने चंदा कोचर को अपने तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से (2011 में) नवाजा.

आईसीआईसीआई के कार्यकाल के दौरान चंदा कोचर को भारत और विदेशों में बैंक के कई तरह के संचालनों की ज़िम्मेदारी दी गई थी.

उनके नेतृत्व में आईसीआईसीआई बैंक भारत का दूसरा सबसे बड़ा निजी क्षेत्र वाला बैंक बना. साल 2016 में दीपक कोचर ने चंदा कोचर की सालाना सैलेरी का ज़िक्र किया है जो लगभग 5.12 करोड़ रुपए सालाना बताई गई.

उन्हें फ़ोर्ब्स पत्रिका की विश्व की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में भी जगह मिल चुकी है.

पद का ग़लत इस्तेमाल!

लगातार नौ सालों तक आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ रहीं चंदा कोचर पर काले बादलों का साया साल 2018 से मंडराना शुरू हुआ.

उन पर वीडियोकॉन ग्रुप को लोन देने और फिर अनुचित तरीके से निजी लाभ लेने का आरोप लगा. यह मामला इतना बढ़ गया कि 4 अक्तूबर 2018 को उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. चंदा कोचर का कार्यकाल मार्च 2019 में पूरा होना था.

चंदा कोचर पर कथित रूप से पिछले साल मार्च में अपने पति को आर्थिक फ़ायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग के आरोप लगे. अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने मार्च में दावा किया था कि वीडियोकॉन ग्रुप की पांच कंपनियों को आईसीआईसीआई बैंक ने अप्रैल 2012 में 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया.

कैसे सामने आया मामला?

मीडिया ने यह मामला सबसे पहले एक व्हिसल ब्लोअर अरविंद गुप्ता की शिकायत के बाद उजागर हुआ. अरविंद गुप्ता वीडियोकॉन समूह में एक निवेशक थे.
उन्होंने साल 2016 में आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन समूह के बीच होने वाले ट्रांसजेक्शन पर सवाल उठाए थे. उन्होंने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कोचर के कथित अनुचित व्यवहार और हितों के टकराव के बारे में जानकारी दी थी.

उस समय अरविंद गुप्ता की शिकायत पर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया गया. इसके बाद उन्होंने दीपक कोचर द्वारा साल 2010 में प्रमोट की गई कंपनी एनयू पावर रिन्यूएबल्स के बारे में और अधिक जानकारियां जुटाईं.

पिछले साल इंडियन एक्सप्रेस ने जब इन वित्तीय गड़बड़ियों पर रिपोर्ट प्रकाशित की तो यह मामला राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन गया.

आईसीआईसीआई बैंक ने स्वतंत्र जांच कराने का फ़ैसला लिया. बैंक ने पिछले साल 30 मई को घोषणा की थी कि बोर्ड व्हिसल ब्लोअर के आरोपों की ‘विस्तृत जांच’ करेगा. फिर इस मामले की स्वतंत्र जांच की ज़िम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा को सौंपी गई.

अप्रैल महीने में सीबीआई ने इस केस को अपने हाथ में लिया और दीपक कोचर, वीडियोकॉन ग्रुप समेत कुछ अज्ञात लोगों के बीच हुए लेनदेन की शुरुआती जांच शुरू की.

जून में चंदा कोचर ने छुट्टी पर जाने का निर्णय लिया था. उसके बाद संदीप बख्शी को 19 जून को बैंक का सीओओ बनाया गया था. बाद में चंदा कोचर के इस्तीफ़े के बाद संदीप बख्शी को बैंक का नया पूर्णकालिक सीईओ और एमडी नियुक्त कर दिया गया.

Compiled: up18 News