पाकिस्तान में कुख्यात आतंकी शेख जमील-उर-रहमान की रहस्यमई मौत

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जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों में था शामिल

एक अधिकारी ने बताया कि जमील जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों में शामिल था और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आईएसआई) के साथ मिलकर काम करता था। जमील जिस आतंकी संगठन टीयूएम के लिए काम करता था, उसे जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने और इस्लामिक कट्टरपंथी साजिशों को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था। 1991 में इसके संस्थापक यूनुस खान की मुठभेड़ में मौत के बाद इस आतंकी संगठन को बड़ा झटका लगा था।

क्या है यूजेसी, जिसका सेक्रेटरी था जमील?

वहीं यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) पाकिस्तान स्थित जिहादी संगठनों का अलायंस है। इसमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अल बद्र और हिजबुल मुजाहिदीन शामिल थे। जमील यूजेसी की एक्टिविटी और ट्रेनिंग का काम देखा करता था। साल 2018 में जमील ने कश्मीरी छात्रों को सुरक्षा बलों द्वारा निशाना बनाए जाने से बचने के लिए हथियार उठाने की ट्रेनिंग दी थी और उनका ब्रेनवॉश किया था।

यूजेसी का इस्लामिक स्टेट से प्रेरित जेके-आईएस और अल-कायदा की एक शाखा, अंसार गजवत-उल-हिंद जैसे समूहों के साथ संघर्ष हुआ है। टीयूएम में मुख्य रूप से पाकिस्तानी कैडर शामिल थे जिनमें जम्मू और कश्मीर के कुछ सैनिक थे। खुफिया सूत्रों ने खुलासा किया कि टीयूएम को पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और खाड़ी देशों सहित विभिन्न देशों से फंडिंग हुई। ये फंड मुख्य रूप से अहल अल-हदीस परंपरा का पालन करने वाले संगठनों द्वारा प्रदान किए गए थे।

एक सूत्र ने बताया कि पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण, आतंकवादी समूहों ने हमलों की जिम्मेदारी लेने से बचना शुरू कर दिया। इसके बजाय, टीयूएम और हाल ही में, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जैसे संगठनों को आईएसआई की परिचालन रणनीति के हिस्से के रूप में जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

पाकिस्तान में कैसे मर रहे आतंकी?

पाकिस्तान हमेशा से आतंकियों को पनाह देता रहा है। भले ही वो इस बात से हमेशा इनकार करता रहता है। कई खूंखार आतंकियों के ठिकाने पाकिस्तान में हैं और वो वहीं से भारत समेत दुनिया के अलग-अलग देशों के खिलाफ साजिश को अंजाम देते हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों से आतंकियों के सबसे बड़े पनाहगार पाकिस्तान में एक-एक कर आतंकियों का सफाया हो रहा है। पाकिस्तान में हाल ही में कई आतंकियों की रहस्यमयी हत्याएं हुई हैं, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर रियाज अहमद, पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ, लश्कर ए तैयबा का कमांडर मुफ्ती कैसर फारूख, खालिस्तान कमांडो फोर्स के चीफ परमजीत सिंह पंजवड़, और लश्कर कमांडर अकरम गाजी शामिल हैं।

ये बड़े आतंकी हो चुके हैं खत्म

अप्रैल 2021: लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के कमांडर रियाज़ अहमद की पीओके के रावलकोट में मौत।
फरवरी 2023: रावलपिंडी में एक अन्य खालिस्तानी आतंकवादी बशीर अहमद पीर की मौत।

फरवरी 2023: कराची में अल-बद्र आतंकी गुट से जुड़े सैयद खालिद रजा की गोली मारकर हत्या।

मई 2023: लाहौर में खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवार की हत्या।

अक्टूबर 2023: पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ की पाकिस्तान में गोली मारकर हत्या।

श्रीनगर में जी20 शिखर हमले की साजिश करने वाले लश्कर कमांडर मुफ्ती कैसर फारूक की मौत।

दिसंबर 2023 (कई मामले): लश्कर-ए-तैयबा के गुर्गे हंसला अदनान और खालिस्तानी आतंकी लखबीर सिंह (दिल का दौरा पड़ने की सूचना) सहित कई मौतें हुईं।

दिसंबर 2023: 1985 के एयर इंडिया बम विस्फोट में शामिल तख्त सिंह रोडे की अस्पष्ट परिस्थितियों में मृत्यु

मार्च 2024: आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख नेता आजम चीमा की मौत। वजह हार्ट अटैक बताई गई।

मार्च 2024: टीयूएम कमांडर शेख जमील-उर-रहमान की रहस्यमई ढंग से मौत।

भारत की संलिप्तता: अटकलें बनाम सबूत

पाकिस्तान में रहस्यमई तरीके के आंतकियों की हत्या को लेकर पाकिस्तान भारतीय एजेंसियों पर आरोप लगाता रहा है। भारत पर आरोप लगाने का पाकिस्तान का रोना कोई नया नहीं है। हालांकि भारत ने इससे साफ तौर पर इनकार किया है और पाकिस्तान को सख्त लहजे में जबाव दिया है।

सरकार ने कहा है कि इन आरोपों का कोई आधार नहीं है और ये पाकिस्तान की अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए किए गए प्रयास हैं। भारत ने कहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में विश्वास रखता है और किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करता। वहीं दूसरी ओर भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान पर दबाव डालने की अपील की है ताकि वह आतंकवाद को पनाह देना बंद करे और आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे।

-एजेंसी