लोकसभा चुनाव 2024: ‘सुदर्शन चक्र’ प्लान के जरिये भाजपा के लिए मथुरा से जमीन तैयार करने में जुटा संघ

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ये वो इलाका है जो ब्रज क्षेत्र में है या उसके इर्द-गिर्द बसा है। पूरे क्षेत्र का मैप सुदर्शन चक्र की शक्ल में दिखता है इसीलिए संघ ने इसे ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया है।

सुदर्शन चक्र के दायरे और प्रभाव में 6 राज्यों की करीब 55 सीटें आती हैं। यहां कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद, नूंह हिंसा, धर्मांतरण, लव जिहाद, मुस्लिमों की बढ़ती आबादी, किसान जैसे उपजाऊ और बड़े मुद्दे भी हैं।

मिशन सुदर्शन की कमान मोहन भागवत ने संभाली

मिशन सुदर्शन की कमान खुद सर संघ चालक मोहन भागवत ने संभाली हुई है। वह लगातार ब्रज और पश्चिम क्षेत्र को मथ रहे हैं। यहां के मुद्दे और जमीनी हकीकत को समझ रहे हैं। संघ के कार्यकर्ताओं से सीधे फीडबैक ले रहे हैं। उन्हें जमीन पर एक्टिव होने की रणनीति भी बता रहे हैं।

अकेले यूपी में मोहन भागवत इस साल 4 बार ब्रज प्रांत और तीन बार पश्चिम प्रांत का दौरा कर चुके हैं। इन दोनों इलाकों में 29 जिले हैं। ब्रज में 13 और पश्चिम में 14 लोकसभा सीटें हैं। 2019 आम चुनाव में भाजपा को 27 में 19 सीटों पर जीत मिली थी।

2019 आम चुनाव में भाजपा यहां 8 सीटों पर हारी थी

यूपी में भाजपा 2019 के आम चुनाव में सबसे ज्यादा 8 सीटें इसी इलाके में गंवाई थी। वजह जाट और किसान फैक्टर रहे थे। दोनों एक बार फिर 2024 आम चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।

भाजपा इसके काउंटर में बूथ अभियान शुरू कर चुकी है। क्षेत्रीय प्रचारक और कार्यकर्ता घर-घर जा रहे हैं। इसी इलाके के अलीगढ़ में गृह मंत्री अमित शाह हाल ही में कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर बड़ी रैली भी कर चुके हैं।

पश्चिमी यूपी के इलाके में करीब 30000 बूथ हैं जबकि ब्रज क्षेत्र में 24000 बूथ। भाजपा इन दोनों इलाकों में बूथों को मजबूत करने में 8 महीने पहले से ही जुट गई है।

कार्यकर्ताओं को ग्रुपों में बांटकर 100-100 बूथों की जिम्मेदारी दी है। पन्ना प्रमुख को भी एक्टिव किया जा चुका है। उन्हें उप पन्ना प्रमुख बनाने और ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी दी गई है।

अयोध्या और काशी का काम पूरा, इसलिए मथुरा पर बढ़ा फोकस

संघ के एक पदाधिकारी का कहना है “हमारे एजेंडे में मथुरा हमेशा से शामिल रहा है लेकिन अब राम मंदिर, काशी कॉरिडोर बनने और ज्ञानवापी में सर्वे के फैसले के बाद कृष्ण जन्मभूमि पर हमारा फोकस बढ़ गया है। हमारी इस मुहिम में अब बड़े नाम भी जुड़ रहे हैं। जन जागरूकता का काम भी किया जा रहा है।”

यही वजह है कि संघ और भाजपा कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को धार देने में जुटी है। आने वाले वक्त में भाजपा यहां से किसी बड़े जन आंदोलन को धार दे सकती है। हिंदू संगठन और हिंदूवादी नेताओं ने भी इस पर फोकस बढ़ा दिया है।

बाबा बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री और देवकी नंदन ठाकुर लगातार कह रहे हैं कि अयोध्या में रामलला विराजमान हो गए, अब मथुरा में ठाकुरजी को विराजमान करना है।

तीन दिन के वृंदावन प्रवास में मोहन भागवत ने खींच दी 6 महीने की रूपरेखा

इसी 22 अगस्त को वृंदावन के केशव धाम में संघ प्रमुख मोहन भागवत तीन दिन के प्रवास पर आए। उन्होंने यहां संघ के तमाम बड़े क्षेत्रीय प्रचारकों, पदाधिकारियों के साथ बैठकें कीं। संघ से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बैठकों का दौर काफी लंबा चला। 8 से 12 घंटे तक सत्र चले। इसके कोर में हिंदू, हिंदुत्व और ब्रज क्षेत्र जैसे बड़े मुद्दे थे।

बात नूंह हिंसा से शुरू हुई और अगले तीन दिन तक लव जिहाद, धर्मांतरण, किसान और जाटों की नाराजगी, उत्तराखंड में अल्पसंख्यकों की बढ़ती आबादी जैसे बड़े मुद्दों पर जमकर चर्चा हुई।

संघ चालक ने इन मुद्दों की जड़ को जानने की कोशिश की। उन्होंने स्वयंसेवकों को हिंदुओं को जाति से बाहर निकालकर एकजुट करने के मिशन पर जुटने के लिए भी कहा। बैठक में अगले 6 महीने की रूपरेखा भी तय कर दी गई है। गांव और कस्बों में संघ की शाखाएं भी बढ़ाई जाएंगी।

संघ ब्रज की विरासत संजोने के काम को दे रहा गति

वरिष्ठ पत्रकार और संघ से जुड़े एक पदाधिकारी बताते हैं कि संघ ब्रज प्रांत की ऐतिहासिकता, बोली-बानी को जोड़ने का प्रयास वैसे लंबे समय से कर रहा है लेकिन अब इसे असली गति देने का काम हो रहा है। ब्रज सिर्फ प्रांत नहीं है, ये कई राज्यों की साझी विरासत है। यही वजह है कि यहां की संस्कृति और रहन-सहन का दायरा काफी बड़ा है।
देखा जाए तो भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त पूरे देश और दुनिया में हैं। लेकिन इस इलाके के हर घर में कृष्ण का महत्व विशेष है। वो हर घर में बाल स्वरूप में विराजमान हैं। मथुरा में स्थानीय धार्मिक गतिविधियां तो सालों से हैं लेकिन रिलीजस टूरिज्म अब काफी बढ़ गया है। हिंदू अपनी सनातन विरासत को संजोने के लिए जाग चुका है।

Compiled: up18 News