प्रवचन: अपनी संस्कृति पर गौरव करना सीखें: जैन मुनि मणिभद्र

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आगरा: आज हम लोग बाहरी पाश्चात्य संस्कृति को अपनाते अपनाते अपनी स्वयं की हिंदू संस्कृति से दूर होते जा रहे है। अगर कोई आज अपनी संस्कृति का पालन करते हुए चोटी रखता है, धोती -कुर्ता अथवा शुद्ध वस्त्रों को धारण करता है तो हम उसे उपहास की दृष्टि से देखते है और स्वयं को बाहरी श्रंगार से विभूषित कर श्रेष्ठ मान लेते है। हमारी संस्कृति, सभ्यता और धर्म चरित्र निर्माण करता है हमें इस पर गौरव करना चाहिए । यह उदगार जैन मुनि मणिभद्र ने गुरुवार को महावीर भवन जैन स्थानक में श्रावकों के सम्मुख रखे।

डॉक्टर मणिभद्र ने उदाहरण देते हुए आगे बताया की एक साधु अपनी पारंपरिक वेशभूषा भगवा वस्त्र , चोटी धारण किए हुए एक बार विदेश गए थे तो वहां उनकी वेश भूषा देखकर एक पत्नी ने अपने पति से पूछा यह कौन है तो पति ने जवाब दिया वस्त्रों से तो यह कोई पागल प्रतीत होता है। यह बात साधु ने सुन ली और उसने उन पति पत्नी को अपने नजदीक बुलाया और उन्हें अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं उस देश से आया हूं जहां की सभ्यता और संस्कृति चरित्र को महान बनाते हैं लेकिन लेकिन आपके यहां आपका दर्जी ही आप को महान बनाता है। कपड़े महान बनाते है अगर शरीर उज्जवल है,भीतर पवित्रता है तो किसी को भी दिखाने की आवश्यकता नहीं होती है।

आचार्य डॉक्टर मणिभद्र ने कहा की हम श्रंगार करते हैं हमारे घरों में बड़े शीशे होते हैं जिसमें मनुष्य का पूरा आवरण दिखाई देता है और उसी के अनुरूप हम तैयार होते है और हम उसी श्रृंगार से अपने आप को अच्छा दिखाने का प्रयास करते हैं यदि व्यक्ति अच्छा होता है तो उसे दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

समय आने पर व्यक्ति के बाल पक जाते हैं फिर सफेद हो जाते हैं तो समझ लीजिए बालों का रंग बदलना शुरू हो गया है तो अब जीने का ढंग भी बदलना पड़ेगा लेकिन हम लोग जीने का ढंग तो नहीं बदलते बालों का रंग बदल देते हैं । यह तरीका धर्म में भी हो रहा है हर व्यक्ति धार्मिक दिखना चाहता है लेकिन अंदर से धार्मिक नहीं है। हर व्यक्ति अहिंसक बनना चाहता है लेकिन इसके विपरीत कार्य करता है। हम झूठ बोलते हैं दूसरों को धोखा देते हैं। सबसे ज्यादा धोखा हम उसे देते हैं जो हमारे सबसे ज्यादा नजदीक होता है। लेकिन जब हम अपने अंदर झांक के देखते हैं तो हम यह पाएंगे कि हमने अपने आप को सबसे ज्यादा धोखा दिया है। सबसे बुरा में ही हूं, मेैं किसी और को दोष क्यों दूं।

इससे पूर्व जैन मुनि विराग एवम पुनीत मुनि ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी।नेपाल से धर्मसभा में आए सहसचिव ईश्वरी ढकाल ने अपने सारगर्भित उदगार गुरु चरणों में रखे । उमा जैन का चार व्रत का उपकार चल रहा है।आज का आयंबिल उपवास संगीता सुराना नवकार मंत्र के जाप का लाभ कांता सुराना ने लिया।

गुरुवार की धर्म सभा में मुकेश चप्लावत, सुमित्रा सुराना, अशोक जैन गुल्लू, रितु जैन, नरेंद्र गादिया, सुलेखा सुराना, सतपाल जैन , भावेश बुरड़ सहित अनेक लोग उपस्थित थे। जैन मुनि डॉक्टर मणिभद्र के प्रवचन प्रतिदिन जैन स्थानक राजा की मंडी में प्रात: 9 से 1० तक होते है।

-up18news