जानिए! शिव तत्व रुद्राक्ष के बारे में सबकुछ..

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रुद्राक्ष के अलग-अलग प्रकार होते हैं और इसे बहुत पवित्र माना जाता है। कई लोगों को लगता है कि रुद्राक्ष को सिर्फ बाज़ार से ही खरीदा जा सकता है, लेकिन यकीन मानिए आप इसे घर पर भी उगा सकते हैं। ये एक पौधे से उगता है और अगर आपने इसकी केयर ठीक से कर ली तो आपके आंगन में भी रुद्राक्ष का पेड़ खिल सकता है।

हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव से जोड़ा जाता है. इस बीज को सुरक्षा के लिए और ओम नमः शिवाय जैसे मंत्रों के जाप के लिए पहने जाते हैं.

रुद्राक्ष का नाम

रुद्राक्ष एक संस्कृत शब्द है जो Rudra (Sanskrit: रुद्र) and akṣa (Sanskrit: अक्ष) से बनता है. भगवान शिव को रुद्र भी कहा जाता है. अक्ष मतलब आंसू होता है और इसलिए रुद्राक्ष को भगवान रुद्र के आंसू के रूप में परिभाषित किया जाता है.

संस्कृति में अक्ष शब्द का आंख भी होता है. इसलिए कुछ लोग से इसे “Eye of Lord Shiva” के रूप में भी जानते हैं. अक्ष शब्द “आत्मा” और “धार्मिक ज्ञान” जैसी परिभाषाएं भी देता है. इसके अलावा rakṣā (Sanskrit: रक्षा) rakṣ से आता है इसलिए इसे “रक्षा करने के लिए” भी जाना जाता है.

रुद्राक्ष के पेड़

एलाओकार्पस गनिट्रस ( Elaeocarpus ganitrus trees) के पेड़ 60-80 फीट (18–24 मीटर) तक बढ़ते हैं और ये पेड़ नेपाल, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया में हिमालय के फूटहिल्स और गुआम और हावई में गंगा के मैदान में पाए जाते हैं जबकी इसकी 300 प्रजातियां भारत में पाई जाती है. ये एक सदाबहार पेड़ है जो जल्दी से बढ़ता है. रुद्राक्ष के पेड़ में फल आने में तीन से चार साल का समय लगता है.

रुद्राक्ष के प्रकार

रुद्राक्ष की माला में लगभग 1 से 21 रेखाएं (मुखी) होती हैं. प्राचीन समय में तो 108 मुखी होते थे. वर्तमान में 30 मुखी मिलना भी संभव है. बता दें कि 80 प्रतिशत रुद्राक्ष में 4, 5 या 6 रेखाएं (मुखी) होती हैं.

1 लाइन वाले रुद्राक्ष कम मिलते हैं. रुद्राक्ष का आकार हमेशा मिलीमीटर में मापा जाता है. नेपाल में रुद्राक्ष 20 से 35 मिमी (0.79 और 1.38 इंच) और इंडोनेशिया में 5 और 25 मिमी (0.20 और 0.98) के बीच के आकार के होते हैं. सफेद, लाल और भूरे रंग काफी आसानी से पाए जाते हैं. जिसमें पीले और काले रंग में भी रुद्राक्ष होते हैं.

कभी-कभी रुद्राक्ष को मूल्यवान बनाने या अधिक मूल्य पर बेचने के लिए मानवीय प्रक्रिया द्वारा अपूर्ण रुद्राक्ष को पूर्ण किया जाता है। इस तरह के कार्य को करने के लिए ब्लेड, फाइल इत्यादि उपकरण की जरुरत पड़ती है।

एक सामान्य प्रकार के रुद्राक्ष में ५ चेहरे होते हैं, और इन्हें शिव के पांच चेहरे का प्रतीक माना जाता है। इन्हें केवल काले या लाल धागे या शायद ही कभी सोने की चेन पर पहना जाना चाहिए।

-एजेंसी