काफी जटिल होता है रमजान के अंत में ईद के दिन को तय करने का तरीका

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रमज़ान का महीना जैसे ही अंत की ओर बढ़ता है, वैसे ही दुनिया के 1.9 अरब मुसलमान उम्मीद करते हैं कि आसमान साफ़ रहे. ऐसा इसलिए कि खुले आसमान में चाँद देखकर उन्हें वो संकेत मिलते हैं कि अब जश्न मनाने का वक़्त आ गया. इस्लाम के त्यौहार और उनके रीति रिवाज़ चंद्रमा पर आधारित हिज़री कैलेंडर के अनुसार चलते हैं. इस कैलेंडर में भी साल में 12 महीने होते हैं और रमज़ान नौवाँ महीना होता है. पूरी दुनिया में आम तौर पर स्वीकार्य रोमन कैलेंडर सूर्य पर आधारित होता है जिसमें 365 या 366 दिन होते हैं.

वहीं इस्लामी कैलेंडर में एक साल में केवल 354 दिन होते हैं. यानी इस्लामी त्यौहार रोमन कैलेंडर की तुलना में हर साल 11 दिन पहले ही आ जाते हैं. यही वजह है कि इनके त्यौहार रोमन महीने और मौसम के लिहाज से स्थिर न रहकर बदलते रहते हैं.

ईद का दिन तय करना उलझन भरा

मुसलमानों के लिए चंद्रमा पर आधारित कैलेंडर का पालन काफ़ी अहम होता है. रमज़ान के महीने में मुसलमान भोर से लेकर सूरज ढलने तक उपवास करते हैं. यानी इस दौरान वे कुछ भी खाते या पीते नहीं हैं.

इस्लामी महीने अगर सौर कैलेंडर पर आधारित होते, तो दुनिया के कुछ हिस्सों में रमज़ान हमेशा गर्मियों में आता. वहीं कई हिस्सों में यह हमेशा सर्दियों में ही आता. ऐसा होने पर एक हिस्से के लोगों के लिए रमज़ान में उपवास करना दूसरे इलाक़े के लोगों की तुलना में हमेशा कठिन होता.

चंद्रमा आधारित कैलेंडर का पालन करने की वजह से कोई मुसलमान अपनी ज़िंदगी के 33 साल में सभी मौसमों में उपवास करने का अनुभव कर लेता है.

ईद-उल-फ़ितर इस्लामी कैलेंडर के 10वें महीने के पहले दिन मनाया जाता है. हालाँकि इसे लेकर हमेशा बहस होती है कि यह त्यौहार वास्तव में कब मनाया जाएगा.

कुछ लोग एक तयशुदा चंद्र कैलेंडर का पालन करते हैं. वहीं कुछ लोग चंद्रमा के आने का एलान खगोलीय प्रमाणों के आधार पर करते हैं.

अधिकांश मुसलमान नए महीने का आगमन तभी मानते हैं, जब आसमान में अर्धचंद्र दिखाई दे दे. आम तौर पर इस बात का एलान मुसलमानों के धार्मिक नेता ही करते हैं.

इस साल कब है ईद?

चाँद देखकर ईद का दिन तय करना इस बात निर्भर करता है कि आप दुनिया के किस कोने में रहते हैं. इसे साबित करने के लिए मुसलमानों को ईद से पहले की रात का इंतज़ार करना होगा.

वो इसलिए कि चंद्रमा पर आधारित महीना 29 या 30 दिनों का हो सकता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि नया चाँद कब दिखाई देता है.

अपने यहाँ का चाँद देखकर ईद मनाने वाले मुसलमान सूर्यास्त के बाद आसमान की ओर ताकते रहते हैं.

अगर महीने के 29वें दिन नया चाँद उन्हें दिख जाए तो अगले दिन ईद मनाई जाती है. अगर नहीं, तो 30 दिनों का महीना पूरा करने के लिए वे एक दिन और उपवास करते हैं.

ब्रिटेन के हिज मैजेस्टी नॉटिकल अलमनाक ऑफिस के अनुसार, नया चाँद शुक्रवार 21 अप्रैल को ‘आसानी से दिखना’ चाहिए.

इसका अर्थ है कि उसके अगले दिन यानी शनिवार 22 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी.

इसे तय करने का तरीक़ा हर जगह अलग

दुनिया भर में ईद का त्यौहार कभी भी एक ही दिन नहीं मनाया जा सकता. हालाँकि ये आम तौर पर एक या दो दिन के भीतर ही आता है.

उदाहरण के लिए सुन्नी बहुल सऊदी अरब में इस्लाम के धर्मगुरू रमज़ान की शुरुआत और इसके अंत का एलान नया चाँद देखने वाले लोगों से पूछ कर करते हैं. कई अन्य देशों में भी ऐसा ही होता है. लेकिन शिया मुस्लिम बहुल ईरान में सरकारी एलान का पालन किया जाता है.

वहीं शिया बहुसंख्यकों और सुन्नी अल्पसंख्यकों के देश इराक़ में दोनों रिवाज़ अपनाए जाते हैं. शिया मुसलमान आयतुल्लाह अली अल-सिस्तानी की घोषणा मानते हैं. वहीं सुन्नी अपने मौलवियों की बात मानते हैं.

आधिकारिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष देश तुर्की में रमज़ान की शुरुआत और अंत के एलान के लिए खगोलीय गणना का उपयोग किया जाता है. यूरोप के अधिकांश मुसलमान अपने अपने समुदाय के नेताओं के एलान का इंतज़ार करते हैं लेकिन वो एलान हो सकता है दूसरे देशों में चंद्रमा के दिखने पर निर्भर करता हो.

Compiled: up18 News