मानसून काल की बीमारियों से दूर रखने में सहायक है जल नमस्कार योग

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शरीर के अलग-अलग अंगों और परेशानियों के लिए योग विज्ञान में अलग-अलग योगासनों के बारे में बताया गया है। इन्हीं में से एक है जल नमस्कार योग । जल नमस्कार का रोजाना अभ्यास करने से आपके शरीर को कई फायदे मिलते हैं। इसके अभ्यास के दौरान सूर्य नमस्कार की तरह से ही कई अलग-अलग योगासनों का अभ्यास किया जाता है।

जल नमस्कार योग सूर्य नमस्कार की तरह से ही किया जाता है। इसमें अलग-अलग तरह के योगासनों को शामिल किया गया है। इसका सबसे ज्यादा फायदा मानसून के समय में होने वाली बीमारियों में मिलता है। जल नमस्कार योग का नियमित अभ्यास शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। जल नमस्कार योग को 28 काउंट के साथ कई योगासनों को शामिल किया गया है। जल नमस्कार योग में पद्मासन, दंडासन, नौकासन, हलासन, अधो मुख शवासन, सुप्त वज्रासन, मत्स्य आसन, अर्ध मत्स्येंद्रासन, पद्म शीर्षासन और पिंडासन का अभ्यास किया जाता है।

जल नमस्कार योग के लाभ

जल नमस्कार योग का रोजाना अभ्यास करने से मानसून के समय होने वाली बीमारियों का खतरा कम होता है और शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट होती है। मानसिक और शारीरिक थकान दूर करने के लिए भी जल नमस्कार योग के बड़े फायदे हैं। इसका रोजाना अभ्यास करने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और डिप्रेशन जैसी समस्याओं में बहुत फायदा मिलता है। जल नमस्कार योग का अभ्यास करने के कुछ प्रमुख फायदे इस प्रकार से हैं-

नियमित रूप से जल नमस्कार योग का अभ्यास करने से आपको सर्वाइकल की समस्या में बहुत फायदा मिलता है।

2. जल नमस्कार योग का नियमित अभ्यास करने से मानसिक समस्याओं में बहुत फायदा मिलता है, स्ट्रेस और डिप्रेशन की समस्या में रोजाना जल नमस्कार का अभ्यास जरूर करें।

3.फेफड़ों को मजबूत बनाने और इससे जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी जल नमस्कार योग का अभ्यास बहुत फायदेमंद है।

4. वायरल संक्रमण और सर्दी-जुकाम की समस्या या मानसून के कारण होने वाली बीमारियों से बचने के लिए जल नमस्कार का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है।

5. शरीर की उर्जा बढ़ाने और थकान को दूर करने के लिए रोजाना जल नमस्कार का अभ्यास करना चाहिए।

6. डायबिटीज के मरीजों के लिए जल नमस्कार योग का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है।

जल नमस्कार का अभ्यास कैसे करें?

जल नमस्कार योग कई योगासनों का एक संयोजन है जिसमें पद्मासन, दंडासन, नौकासन, हलासन, अधो मुख शवासन, सुप्त वज्रासन, मत्स्य आसन, अर्ध मत्स्येंद्रासन, पद्म शीर्षासन और पिंडासन शामिल होते हैं। जल नमस्कार योग का अभ्यास करने के लिए आप इस तरीके को अपनाएं-

सबसे पहले प्रणाम मुद्रा या पद्मासन की मुद्रा में आएं।
इसके बाद ध्यान लगाते हुए दंडासन का अभ्यास करें।
अब आप नौकासन की मुद्रा में आएं।
अब इसके बाद फिर से दंडासन की मुद्रा में आराम से आएं।
दंडासन के बाद पद्मासन में आएं और इसके बाद फिर से दंडासन का अभ्यास करें।
अब दंडासन के बाद हलासन का अभ्यास करें।
हलासन के बाद अधो मुख शवासन का अभ्यास करें।
अब सुप्त वज्रासन की मुद्रा में आएं।
इसके बाद मत्स्य आसन का अभ्यास करें।
इसके बाद अर्ध मत्स्येंद्रासन की मुद्रा में आएं।
इसके बाद अब आप पद्म शीर्षासन का अभ्यास करें।
आखिरी में पिंडासन का अभ्यास करें और फिर  सामान्य मुद्रा में आएं।

जल नमस्कार का अभ्यास करते समय सावधानियां

जल नमस्कार योग का अभ्यास करते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इस दौरान आपका पेट खाली होना चाहिए और भोजन करने के 6 घंटे के बाद तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। इसके अलावा जल नमस्कार का अभ्यास करते समय शरीर पर अधिक जोर नहीं डालना चाहिए।

-एजेंसी