संस्कार के साथ संयम होना परम आवश्यक: जैन मुनि आचार्य मणिभद्र

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आगरा: राजा की मंडी स्थित महावीर भवन जैन स्थानक में जैन मुनि डॉक्टर मणिभद्र ने बुधवार को प्रवचन देते हुए कहा कि मनुष्य में संस्कार के साथ संयम होना अत्यंत आवश्यक है । जिस प्रकार दया और सद्गुण, पुण्य और पाप हमारे साथ जाते है और वो नितांत रूप से हमारे होते है ऐसे ही समृद्धशाली होना संस्कार होता है। उन्होंने समझाया की यदि किसी व्यक्ति के पास अचानक सोना आ जाए तो उसे उसका नशा हो जाता है। सोना का जिसके पास भी आ जाता है तो उसे सोने नहीं देता, हमेशा 24 घंटे उसी में ध्यान लगा रहता है।जैसे किसी ने कहा भी है कि कनक-कनक से सौ गुनी मादकता अधिकाय, वा खाए बोरा, जग या पाए बोराय।
कनक का अर्थ सोना और धतूरा दोनो होता है ।जिस प्रकार धतूरा गले के नीचे उतरते ही नशा आ जाता है उसी प्रकार किसी को सोना मिल जाता तो तो उसको उसका नशा हो जाता है।

आचार्य मणिभद्र ने कहा की पद-प्रतिष्ठा और पैसा ऐसे चीजे हंै जिनको पचाना बहुत मुश्किल है। जितना आपका पद बढ़ता है, मान बढ़ता है, धन बढ़ता है उतना ही खतरा बढ़ता जाता है।अगर कोई जमीन पर बैठा है तो उसे गिरने का कोई भय नहीं है लेकिन अगर आप कुर्सी पर भी बैठते है तो गिरने का खतरा बरकरार रहता है कि कही कोई पीछे से कुर्सी खींच न दे। इस कारण इस अवस्था को जो संभाल ले वही संसार में श्रेष्ठ हो जाता है।

इससे पूर्व जैन मुनि पुनीत ने नवकार महामंत्र की महिमा का विस्तृत विवरण श्रावकों के सम्मुख रखा। जैन मुनि विराग द्वारा भजन की सुंदर प्रस्तुति दी गई । आज की धर्म सभा में नेपाल से आए सरकार के सचिव एवम स्महान्यायधीवक्ता कृष्णाघीमेरे, नेपाल सरकार के उपसचिव ईश्वरी ढकाल न्यायधिवक्ता रुद्रुसुवेदी ने एवम कई विशिष्ट जनों ने गुरुदेव का आशीर्वाद लिया। तपस्वी अमर लाल दुग्गड़ ने 8 उपवास के उपरांत पारना किया। आयंबिल की लड़ी में माधुरी जैन, लोहामंडी ने एवम नवकार मंत्र का पाठ का लाभ विनीता सकलेचा परिवार द्वारा लिया गया।

-up18news