भारत और अमेरिका के बीच जल्द हो सकती है 3 बिलियन डॉलर की अहम डिफेंस डील

Exclusive

अमेरिका की राजनीतिक रक्षा मामलों की प्रमुख जेसिका लेविस से जब इस डील को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हम पांच साल से इस डील पर बातचीत कर रहे हैं और अब गेंद भारत के पाले में है। हालांकि उन्होंने इस डील पर ज्यादा जानकारी देने से इंकार कर दिया। खबर है कि भारत और अमेरिका दोनों ही देश चाहते हैं कि जल्द से जल्द यह डील फाइनल हो जाए ताकि भारत को जल्दी ही प्रीडेटर ड्रोन्स की सप्लाई की जा सके। अमेरिका की बाइडेन सरकार भी जल्द इस डील को फाइनल करना चाहती है क्योंकि इस  डील से अमेरिका में रोजगार बढ़ेगा और साथ ही उनकी सरकार इस डील को अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश करना चाहती है ताकि अगले साल होने वाले चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सके।

भारत की तीनों सेनाओं को 10-10 प्रीडेटर ड्रोन्स मिलने हैं। प्रीडेटर ड्रोन्स की खासियत है कि ये किसी भी हालात में निगरानी करने की क्षमता रखते हैं। ये ड्रोन्स लंबे समय तक आसमान में उड़ान भर सकते हैं। खास बात ये है कि ये ड्रोन्स दिन और रात में भी निगरानी कर सकते हैं और पेलोड लेकर भी उड़ान भर सकते हैं। इन ड्रोन्स में लगे 360 डिग्री कैमरे से समुद्र, आकाश और जमीन पर निगरानी रख सकते हैं। एआई और मशीन लर्निंग तकनीक से लैस ये ड्रोन्स डाटा की समीक्षा कर उसे विभिन्न जगहों पर वितरित भी कर सकते हैं ताकि आपात स्थिति में तुरंत एक्शन लिया जा सके। सर्विलांस के साथ ही राहत और बचाव कार्यों में भी इन ड्रोन्स की मदद ली जा सकती है।

एलएसी पर तनाव और हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत ने साल 2017 में इन ड्रोन्स की खरीद के लिए बातचीत शुरू की थी और अब जल्द ही इस डील के फाइनल होने की उम्मीद है। इन एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन्स की मदद से भारत की निगरानी करने की क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा।

इसके अलावा भारत अमेरिका के साथ मिलकर 6जी, एआई, फाइटर जेट इंजन, तोप से लेकर टैंक तक के बारे में महाप्‍लान पर काम कर रहा है।

भारत और अमेरिका भविष्‍य में होने वाले हाईटेक युद्ध के लिए अत्‍याधुनिक हथियारों को मिलकर बनाएंगे। इससे न केवल चीन पर लगाम लगेगी बल्कि भारत की रूस के हथियारों पर से निर्भरता कम होगी।

इसके तहत दोनों ही देशों के सैन्‍य उद्योगों में सहयोग बढ़ेगा। साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र में अभियानों को लेकर समन्‍वय बढे़गा। अमेरिकी राष्‍ट्रपति कार्यालय व्‍हाइट हाउस ने कहा कि दोनों देशों के बीच जेट इंजन से लेकर सैन्‍य गोला बारूद के विकास को लेकर समझौता हुआ है। भारत अपने स्‍वदेशी फाइटर जेट तेजस के लिए अमेरिका की कंपनी जीई के इंजन इस्‍तेमाल करता है।

Compiled: up18 News