विनय़शीलता ही धर्म की प्रथम सीढ़ीः राष्ट्र संत डा.मणिभद्र महाराज

Religion/ Spirituality/ Culture

आगरा ।ऱाष्ट्र संत जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि धर्म की प्रथम सीढ़ी विनय है। उसके बाद अन्य नियम और गुण लागू होते हैं। क्योंकि विनयशीलता ही व्यक्ति कि सरल और सहज बनाती है। उत्तराध्यन सूत्र की मूल वाचनी मंगलवार से की जाएगी।

न्यू राजा मंडी स्थित महावीर भवन में चातुर्मास कल्प के परिप्रेक्ष्य में वीताराग वाणी सुनाते हुए जैन मुनि ने कहा कि सामान्य व्यक्ति जीवन में कितने भी पाप कर ले, लेकिन जब उसकी आयु पूर्ण हो जाती है, तब उसकी वाणी भी बदल जाती है। वह बहुत मधुर, सहज, सरल हो जाता है। झूठ बोलना बंद कर देता है। उन्होंने कहा कि उत्तराध्यन सूत्र का प्रथम अध्याय विनय सूत्र है। यह संदेश देता है कि जीवन में हमेशा विनम्रता होनी चाहिए। हालांकि यह कठिन कार्य है, लेकिन विनम्रता से औरों के गुण देखने की शक्ति आती है। अहंकार का विसर्जन होता है।

राष्ट्र संत ने कहा कि किसी भी सफलता के लिए तीन काम में सफलता के जरूरी हैं, करना, कराना और अनुमोदना करना। यानि काम करना, काम कराना और तारीफ करना। लेकिन भगवान महावीर कहते हैं यह सब कठिन है। काम करना बहुत मुश्किल है क्योंकि हममें करने का जज्बा नहीं होता। किसी से काम तभी करा पायेंगे, जब हममें उसे कराने की क्षमता होगी, उल्लास होगा। अनुमोदना करना आज के जमाने में सबसे कठिन है। पहले अच्छे लोग मिलें, तब उनकी तारीफ करें। अच्छे काम करने वालों की कोई तारीफ भी नहीं करना चाहता। बल्कि तरह-तरह के तर्क, कुतर्क करते रहते हैं। इसलिए विनम्रता जरूरी है।

जैन मुनि ने कहा कि राजगिरी नगरी में महाराजा महाश्रणिक भगवान महावीर और अन्य संतों के आगे पूरी तरह तीन-तीन बार झुक कर वंदना करने लगा। 108 संत थे। झुकते-झुकते वह थक गया और 100 संतों के बाद वह गिर कर बेहोश हो गया। तब भगवान महावीर ने इंद्रबुद्धि गौतम से कहा कि यदि यह आठ संतों को भी नमन कर लेता तो उसे पंच महाव्रत मिल जाता और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती। यह महाश्रणिक ने सुन लिया और उसने उठ कर, संभल कर 8 संतों की वंदना और कर ली।

जैन मुनि कहते हैं उसका सारा फल बेकार हो गया, क्योंकि वह स्वार्थवश वंदना कर रहा था। किसी भी काम के लिए पूजन किया जाएगा, तो पूरा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि लोगों की अच्छाई जानने में वर्षों लग जाते हैं। बुराई एक घंटे में पता चल जाती है। इसलिए केवल विनय को अपनाओ, केवल तन से ही नहीं, मन से भी झुकना सीखो। महाराज जी ने बताया कि उत्तराध्यन सूत्र की मूल वाचनी मंगलवार को सुबह 9 बजे से होगी

सोमवार की धर्मसभा में राजेश सकलेचा, आदेश बुरड़, विवेक कुमार जैन, राजीव चपलावत, निशीथ जैन,सुरेखा सुराना, अंजली जैन, सुमित्रा सुराना, बिमल चंद धारीवाल, सुरेश जैन आदि उपस्थित थे।

-up18news