हरियाली तीज आज: स्वर्ण-रजत के भव्य हिंडोले में दर्शन देंगे ठाकुर बांके बिहारी लाल जी

Religion/ Spirituality/ Culture

भगवान श्रीकृष्ण को सावन का महीना सबसे अधिक प्रिय है और ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में कान्हा अपनी सखी-सहेलियों के साथ झूला झूलते हैं। आज भी वह परंपरा ब्रज के मंदिरों में चली आ रही है, जिसमें ठाकुरजी के श्रीविग्रह को झूला झुलाया जाता है। ब्रज के मंदिरों में ठाकुरजी को झूला झुलाने के इस उत्सव को हिंडोला उत्सव कहा जाता है।

हरियाली तीज को आज वृंदावन स्थित ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में ठाकुरजी गर्भ गृह से बाहर स्वर्ण-रजत के भव्य हिंडोले में विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। वर्ष में केवल एक बार होने वाले इन मनमोहक झलकियों के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा। हरियाली तीज के दिन से ब्रज में शुरू होने वाला हिंडोला उत्सव (झूलन महोत्सव) यहां के सभी मंदिरों में होता है। इस दिन ठाकुरजी को हरे रंग की पोशाक धारण कराई जाती है और हरियाली छटा के बीच हिंडोले में विराजमान होकर ठाकुरजी अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।

सेवायतों की मानें तो करीब 5 सौ साल पहले बिहारीजी फूल-पत्ती एवं कपड़े से निर्मित झूले में झूला झूलते थे लेकिन भक्तों की अपने प्रभु में बढ़ती आस्था ने 15 अगस्त 1947 को हरियाली तीज के दिन पहली बार उन्हें स्वर्ण-रजत निर्मित हिंडोले पर विराजमान हुए। भगवान में गहरी आस्था रखने वाले सेठ हर गुलाल बेरीवाला ने अपने आराध्य के लिए सोने चांदी से निर्मित हिंडोला बनवाकर भेंट किया था। तभी से जन जन के आराध्य ठाकुरजी बांके बिहारी हरियाली तीज को इस विशेष हिंडोले में विराजमान होकर साल में केवल एक बार अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।

हिंडोले में लगा है 20 किलो सोना और 1 क्विंटल चांदी

सेठ हर गुलाल के भतीजे राधेश्याम बेरीवाला बताते हैं कि हिंडोले के निर्माण में 5 वर्ष का समय लगा था। हिंडोले के लिए कनकपुर (पिथौरागढ़) के जंगलों से शीशम की लकड़ी मंगाई गई थी। स्वर्ण-रजत जड़ित हिंडोले का निर्माण बनारस के कारीगर लल्लन व बाबूलाल ने मिलकर पांच वर्षो में किया था। 1942 से हिंडोले के निर्माण का कार्य शुरु हुआ था।

बनारस के कारीगर छोटे लाल ने लकड़ी का ढांचा तैयार किया और दो अन्य कारीगरों बाबूलाल एवं लल्लन ने सोने चांदी का काम किया। उन्होंने बताया कि इसके निर्माण में एक लाख तोले चांदी (एक क्विंटल) व दो हजार तोले सोना (20 किग्रा) का इस्तेमाल किया गया। इस तरह का झूला संपूर्ण विश्व में कहीं नहीं है। स्वर्ण हिंडोले के अलग-अलग कुल 130 भाग हैं। स्वर्ण-रजत झूले का मुख्य आकर्षक फूल-पत्तियों के बेल-बूटे, हाथी-मोर आदि बने हुए हैं।

हरियाली तीज पर बांके बिहारी के दर्शन का समय

मंदिर के प्रबंधक मुनीश शर्मा ने बताया कि हरियाली तीज पर ठाकुरजी के दर्शनों के समय की अवधि को बढ़ाया गया है। उन्होंने बताया कि हरियाली तीज के दिन सुबह 07 बजकर 45 मिनट से दोपहर-2 बजे तक श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद शाम को-5 बजे से रात्रि 11 बजे तक ठाकुरजी अपने भक्तों को हिंडोले में विराजमान होकर दर्शन देंगे।

-एजेंसी


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.