गुलाम नबी ने श्रीनगर में कहा, कश्‍मीर में 370 की बहाली अब संभव नहीं, सपने न देखें

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उन्होंने लोकल पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा, “नेताओं द्वारा किए गए राजनीतिक शोषण ने कश्मीर में एक लाख लोगों की जान ली है। पांच लाख बच्चों को अनाथ किया है। मैं झूठ और शोषण पर वोट नहीं मांगूंगा। मैं वही बोलूंगा जो हासिल किया जा सकता है, भले ही इससे मुझे चुनाव में नुकसान हो।”

अनुच्छेद 370 कितना महत्वपूर्ण है?

आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के पास अपना संविधान, एक अलग झंडा और कानून बनाने की स्वतंत्रता थी। विदेशी मामले, रक्षा और कम्युनिकेशन जैसे मामले केंद्र सरकार के पास थे। इसके लागू रहते जम्मू और कश्मीर की राज्य सरकार स्थायी निवास, संपत्ति के स्वामित्व और मौलिक अधिकारों से जुड़े अपने स्वयं के नियम बनाती थी और राज्य के बाहर के भारतीयों को संपत्ति खरीदने या वहां बसने से रोकती थी।

पार्टी का झंडा ऐसा होगा, जिसे हर धर्म का आदमी स्वीकार करे: आजाद

4 सितंबर को गुलाम नबी आजाद ने रविवार को जम्मू में कहा था- उनकी नई पार्टी का झंडा ऐसा होगा, जिसे हर धर्म का आदमी स्वीकार करे। पार्टी का झंडा और नाम कश्मीर की आवाम तय करेगी। कांग्रेस से इस्तीफे के बाद यह आजाद की पहली रैली थी। आजाद ने कांग्रेस हाईकमान में से किसी का नाम लिए बगैर कहा था कि मेरी नई पार्टी बनाने से उनमें बौखलाहट है, लेकिन मैं किसी का बुरा नहीं चाहता हूं।

आजाद की पार्टी के 3 एजेंडे

जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा
बाहरी आदमी जमीन न खरीदे
नौकरी केवल जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिले

नई पार्टी पर और कांग्रेस पर क्या कहा था…

नई पार्टी: अभी तक मैंने पार्टी का नाम तय नहीं किया है। झंडा और नाम कश्मीरी तय करेंगे। मेरी पार्टी को मैं हिंदुस्तानी नाम दूंगा, जिसे हर कोई समझ सके।

कांग्रेस: कांग्रेस हमने बनाई है, अपने खून-पसीने से बनाई है। कांग्रेस कम्प्यूटर और ट्विटर से नहीं बनी है। जो लोग हमें बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं, उनकी पहुंच केवल कम्प्यूटर और ट्वीट्स तक है। यही वजह है कि कांग्रेस अब जमीन पर कहीं नहीं दिखाई देती। वो लोग डिबेट में खुश रहें, उन्हें वही नसीब हो। हम बुजुर्गों, किसानों के साथ ठीक हैं। उन्हें उनकी बादशाहत मुबारक।

3 घटनाएं जो भाजपा और आजाद की नजदीकी दिखाती हैं

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने संविधान से अनुच्छेद 370 और आर्टिकल 35A को खत्म कर दिया। इसके बाद महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला समेत सभी बड़े नेताओं को हिरासत में लेकर नजरबंद किया गया था, लेकिन गुलाम नबी इस वक्त भी आजाद थे।

फरवरी 2021 के बाद से गुलाम नबी आजाद लोकसभा और राज्यसभा किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। उनके पास कोई दूसरा अहम पद भी नहीं है। इसके बावजूद लुटियंस में उनका बंगला खाली नहीं कराया गया। अगस्त 2022 में ही उनके बंगले का एक्सटेंशन दे दिया गया।

29 अगस्त को गुलाम नबी आजाद ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं तो मोदी जी को क्रूर आदमी समझता था। मुझे लगता था कि उन्होंने शादी नहीं की है और उनके बच्चे नहीं हैं तो उन्हें कोई परवाह नहीं है, लेकिन कम से-कम उनमें इंसानियत तो है।’

-एजेंसी