आवारा कुत्तों की बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति से हैं सब परेशान, लेकिन उनके भी हैं कानूनी अधिकार

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दूसरी ओर जब भी कोई ऐसी घटना होती है तो पशु प्रेमी और बाकी नागरिक आमने-सामने आ जाते हैं. जहां पशु प्रेमी आवारा कुत्‍तों के अधिकारों की बात करते हैं.

दरअसल, स्‍ट्रीट डॉग्‍स के भी कुछ अधिकार होते हैं. हालांकि बाकी लोग इंसानों के अधिकारों और सुरक्षा की बात करते हैं. कौन सही और कौन गलत जैसे सवाल उठाने से पहले ये जानना जरूरी है कि स्‍ट्रीट डॉग्‍स को लेकर क्‍या नियम हैं?

दिल्ली काई कोर्ट के 2021 में आए एक ऐतिहासिक फैसले में आवारा कुत्तों को भोजन के अधिकार की गारंटी दी गई है. साथ ही इसमें चेतावनी भी दी गई है कि इस अधिकार को सुनिश्चित करने में सावधानी बरती जानी चाहिए. यह बाकी नागरिकों के अधिकारों का हनन ना करे. इससे बाकी लोगों या समाज को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए. ये भी नहीं होना चाहिए कि आवारा कुत्‍तों के भोजन के अधिकार को सुनिश्चित करने की वजह से बाकी लोगों को किसी भी तरह की दिक्‍कत हो.

आवारा कुत्‍तों को लेकर क्‍या कहता है कानून

आवारा कुत्तों को 1960 के पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा-38 के तहत संरक्षित किया जाता है. इसके अलावा पशु जन्म नियंत्रण (डॉग्‍स) नियम, 2001 के अनुसार, कुत्तों को उनके क्षेत्र से स्थानांतरित या हटाया भी नहीं जा सकता है. भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा-428 और 429 के तहत, कुत्तों समेत किसी भी आवारा जानवर को छेड़ना या उसके साथ बुरा व्यवहार करना अपराध है. इसका मतलब है कि किसी कुत्ते की उपेक्षा करना या उसका दुरुपयोग करना अवैध है. ऐसा करने वाले व्‍यक्ति के खिलाफ दंडात्‍मक कार्रवाई की जाएगी.

हाई कोर्ट ने दिया था ऐतिहासिक फैसला

दिल्‍ली हाई कोर्ट के 2021 में दिए ऐतिहासिक फैसले में कहा गया है, ‘जानवरों को कानून के तहत करुणा, सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करने का अधिकार है. ये पशु संवेदनशील प्राणी हैं. इसलिए, ऐसे प्राणियों की सुरक्षा सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों समेत हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है. यह फैसला दिल्ली के एक निवासी और पशु प्रेमियों के बीच विवाद में आया. दरअसल, एक पशुप्रेमी वादी के घर के दरवाजे के पास कॉलोनी में कुत्तों को खाना खिला रहा था. फरवरी 2021 में कोर्ट ने दोनों पक्षों को समझौते का आदेश दिया. साथ ही भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) को मध्यस्थ के तौर पर हस्तक्षेप करने के लिए कहा.

कोर्ट ने क्‍या बनाए फीडिंग के नियम?

दोनों पक्षों के बीच आवारा कुत्तों के लिए निश्चित भोजन क्षेत्रों की स्थापना को लेकर समझौता हुआ. वादी और प्रतिवादी के वकीलों ने न्यायमूर्ति जेआर मिधा से समुदायों में आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए नियम निर्धारित करने को कहा. इसके बाद जस्टिस मिधा ने आवारा कुत्‍तों के लिए दिल्‍ली में फीडिंग एरिया बनाने के नियम तय किए.

– जस्टिस मिधा ने कहा कि एडब्ल्यूबीआई की मदद से 10 रिहायशी इलाकों में एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया जाना चाहिए.

– हर आरडब्ल्यूए को एक पशु कल्याण समिति का गठन करना होगा.

– आरडब्ल्यूए को जानवरों की नसबंदी और बीमार पड़ने वालों के इलाज के लिए प्रावधान करने होंगे.

– अगर गली/समुदाय का कोई कुत्ता घायल या अस्वस्थ होता है, तो यह आरडब्ल्यूए का कर्तव्य है कि वह कुत्ते का इलाज कराए.

– पुलिस की मदद से कुत्तों को क्षेत्र के रक्षक कुत्तों के रूप में कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है.

– हर आरडब्ल्यूए को गार्ड और डॉग साझेदारी करनी चाहिए और दिल्ली पुलिस डॉग स्क्वायड के परामर्श से, कुत्तों को प्रशिक्षित किया जा सकता है.

– स्‍ट्रीट डॉग्‍स को कॉलोनीज में रहने वाल लोंगों के अनुकूल बनाया जा सकता है.

– कुत्‍तों के लिए ऐसे क्षेत्र बनाए जाने चाहिए, जहां आम लोगों का आना-जाना कम हो.

– आरडब्ल्यूए और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को कुत्तों को खिलाने के लिए दिन में दो बार समय तय करना चाहिए.

– कुत्‍तों को फीड करने वालों और अन्‍य लोगों के बीच शांति बनाए रखना सरकारी अधिकारियों की जिम्‍मेदारी होगी.

आवारा कुत्‍तों को मारना दंडनीय अपराध

भारत में कुत्ते ही नहीं किसी भी स्वस्थ आवारा पशु को मारना भारतीय दंड संहिता के तहत अवैध है. आवारा कुत्तों को भी पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत संरक्षित किया जाता है. संविधान के अनुच्छेद 48ए में कहा गया है कि राज्य को वनों और वन्यजीवों की रक्षा करनी चाहिए.

अनुच्छेद 51ए (जी) जानवरों के प्रति सम्मान को सुनिश्चित करता है. वहीं, कोर्ट ने सुझाव दिया कि अनुच्छेद 21 सभी को जीवन का अधिकार देता है. इसे जानवरों के लिए भी बढ़ाया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि ये अनुच्छेद न केवल मनुष्यों के जीवन की रक्षा करता है बल्कि जानवरों के जीवन की भी रक्षा करता है.

आवारा कुत्‍तों के फीडर ही कराएं वैक्‍सीनेशन

सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्‍ना ने कहा था कि आम लोगों की सुरक्षा और पशुओं के अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा. साथ ही कहा था कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वाले लोग ही उनका टीकाकरण भी कराएं. साथ ही अगर आवारा कुत्‍ते किसी पर हमला करें तो उनको ही इलाज का खर्च उठाने के लिए जिम्मेदार बनाया जा सकता है. जस्टिस खन्‍ना ने कहा था, ‘हममें से ज्यादातर डॉग लवर्स हैं. मैं भी कुत्तों को खाना खिलाता हूं. लोगों को कुत्तों का ख्याल रखना चाहिए, लेकिन उन्हें चिह्नित किया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा पिछले 7 साल में कुत्ते के काटने से हुई मौतों का आंकड़ा

उधर, 13 अक्‍टूबर 2022 को देश में कुत्तों के काटने से हुई मौतों पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जता चुका है. शीर्ष अदालत ने पशु कल्याण बोर्ड (AWB) से पिछले 7 साल में कुत्ते के काटने से हुई मौतों पर आंकड़े पेश करने को कहा. कोर्ट ने इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों का भी हिसाब मांगा है. अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम यह जानना चाहते हैं कि कितने राज्यों में कुत्ते के काटने से लोगों की मौत हुई है और कितने लोग घायल हुए हैं. अदालत ने यह भी पूछा कि क्या इसके लिए गाइडलाइंस बनाने की जरूरत है.

सुप्रीम कोर्ट ने केरल में कुत्तों के काटने से हुई मौतों पर भी चिंता जताई. कोर्ट ने कहा कि केरल में ऐसे मामले इस साल बढ़े हैं। हम सभी कुत्तों से प्रेम करते हैं मगर आवारा कुत्तों के काटने से अगर परेशानी होती है तो हमें इसका हल निकालने की जरूरत है. जस्टिस गवई ने कहा कि यदि किसी पर संबंधित जानवर की ओर से हमला किया जाता है तब ऐसे लोगों को टीकाकरण और इलाज का खर्च वहन करने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है जो आवारा कुत्तों को खिलाते-पिलाते हैं.

शीर्ष अदालत ने कहा कि कुत्तों के काटने वाला मामला अब पूरे देश की समस्या बन गई है. हमें राज्यवार इस समस्या का समाधान खोजना होगा. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि यह एक क्षेत्र से संबंधित परेशानी हो सकती है लेकिन मुंबई और हिमाचल प्रदेश की स्थिति केरल से बिल्कुल अलग है.

Compiled: up18 News