BRI के कारण चीन अब दुनिया में सबसे बड़ा कर्ज वसूलने वाला देश बना

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चीन के कर्ज से हाथ खींचने का असर अब पूरे अफ्रीकी शहरों में खासकर लागोस, नैरोबी और अदिस अबाबा में साफ महसूस किया जा रहा है। इन शहरों में हाल के वर्षों में चीन के लोन के पैसे से रेलवे, हाइवे और एयरपोर्ट बनाए गए हैं। इन्‍हें बनानी वाली ज्‍यादातर चीनी कंपनियां थीं।

वैश्विक स्‍तर पर आधारभूत ढांचे बनाने की चीन की योजना अब दूसरे दशक में प्रवेश करने जा रही है और अब सवाल उठने लगा है कि क्‍या चीन फंडिंग को कम करेगा। वह भी तब जब वह खुद ही गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। चीन ने जहां अरबों डॉलर अफ्रीका में लुटा दिया, वहीं उसे पैसे की वापसी नहीं हो पा रही है।

चीन अब बड़े लोन से कर रहा किनारा

कोरोना महामारी, यूक्रेन युद्ध और चीन का गंभीर आर्थिक संकट अब चीन पर दबाव डाल रहे हैं कि वह कर्ज देने के तरीके को बदल दे। अमेरिका के बोस्‍टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि चीन के अफ्रीकी देशों को लोन के वादों को पूरा करने में भारी कमी देखी गई है। साल 2016 में चीन के ये लोन अपने चरम पर थे और ये 28 अरब डॉलर से भी ज्‍यादा दिए गए थे। वहीं साल 2022 में केवल 1 अरब डॉलर का लोन ही दिया गया।

उन्‍होंने कहा कि यह दर्शाता है कि चीन का लोन कम देना यह दर्शाता है कि बड़े-बड़े लोन देने की नीति में बदलाव होने जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि चीन का बीआरआई अब समीक्षा के दौर में है।

पाकिस्‍तान में सीपीईसी का विस्‍तार रोका

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह बदलाव केवल अफ्रीका तक सीमित नहीं है। बता दें कि चीन ने पाकिस्‍तान में सीपीईसी परियोजना के विस्‍तार से भी किनारा कर लिया है। चीन ने बीआरआई को प्राचीन सिल्‍क रूट को फिर से विकसित करने के नाम पर शुरू किया था लेकिन इसके लपेटे में आकर कई देश कंगाल हो चुके हैं।

श्रीलंका जहां डिफॉल्‍ट कर गया है, वहीं पाकिस्‍तान भयानक आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अब दुनिया में चीन सबसे बड़ा कर्ज वसूलने वाला देश बन गया है। हालांकि उसे इसमें ज्‍यादा सफलता नहीं मिल पा रही है। पाकिस्‍तान जैसे कई देशों ने कर्ज रीस्‍ट्रक्‍चर करने के लिए कहा है। इससे आर्थिक संकट के बीच चीन की मुसीबत और बढ़ गई है।

Compiled: up18 News