महाराष्ट्र के प्रसिद्ध तुलजा भवानी मंदिर में भक्तों ने चढ़ाये 54 करोड़, पिछले साल की तुलना में दोगुना हुआ चढ़ावा

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महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित मशहूर तुलजा भवानी मंदिर ने 2021-22 में 29 करोड़ रुपये के मुकाबले 2022-23 में करीब दोगुनी यानी 54 करोड़ रुपये की आय अर्जित की। मंदिर प्रशासन ने यह जानकारी दी।.

तुलजा भवानी मंदिर संस्था के अध्यक्ष एवं उस्मानाबाद के जिलाधीश डॉ. सचिन ओमबेस ने शनिवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में अर्जित 54 करोड़ रुपये में से श्रद्धालुओं द्वारा पैसे देकर किए गए दर्शन से 15 करोड़ रुपये की आय हुई, जबकि श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान से 19 करोड़ रुपये मिले।.

तुलजा भवानी मंदिर प्रशासन ने कहा कि कई लोग सशुल्क दर्शन सुविधा का लाभ उठाते हैं, जिसके लिए मंदिर प्रति व्यक्ति 500 रुपये शुल्क लेता है। वहीं, पिछले महीने के अंत तक पूरी हुई गणना के अनुसार, 2009 और 2022 के बीच मंदिर को 207 किलोग्राम सोना और लगभग 2,570 किलोग्राम चांदी और अन्य चांदी के बर्तन प्राप्त हुए। 207 किलो सोना पिघलने के बाद मंदिर को 111 किलो शुद्ध 24 कैरेट सोना मिलेगा, जिसकी बाजार कीमत करीब 65 करोड़ रुपये है। ओमबेस ने कहा कि साल 2009 से पहले मंदिर को 47 किलोग्राम शुद्ध सोना प्राप्त हुआ था, जिसे आरबीआई के पास रखा गया है। मंदिर को नियमों के अनुसार इस पर ब्याज मिलता है।

जिलाधीश डॉ. सचिन ओमबेस ने कहा कि तुलजापुर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की अनुमति से बनाया जा रहा मास्टर प्लान अंतिम चरण में है और जल्द ही पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि योजना में मंदिर के कुछ हिस्सों का पुनर्निर्माण, भक्तों के लिए प्रतीक्षालय, एक सूचनात्मक संग्रहालय, उद्यान और अन्य सुविधाएं शामिल हैं।

इस मंदिर में विराजित मां तुलजा भवानी मराठा शासक शिवाजी की कुलदेवी भी है। इतिहासकारों के मुताबिक मराठा शिरोमणि वीर छत्रपति शिवाजी महाराज स्वयं इस मंदिर में माता की आराधना करने आते थे। वहीं उनका वंश आज भी इस मंदिर में आस्था रखता है और दर्शनों के लिए आता है।

तुलजा भवानी देवी पार्वती का एक रूप है , जिनकी पूजा महाराष्ट्र , गुजरात और तेलंगाना , उत्तरी कर्नाटक और नेपाल के लोगों द्वारा भी की जाती है ।  “भवानी” का शाब्दिक अनुवाद “जीवन दाता” है, जिसका अर्थ है प्रकृति की शक्ति या रचनात्मक ऊर्जा का स्रोत। उन्हें अपने भक्तों का भरण-पोषण करने वाली माता माना जाता है और वे असुरों को मारकर न्याय देने की भूमिका भी निभाती हैं।