चातुर्मास में सावन माह का है विशेष महत्व

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1. इस समय में वर्षा होने के कारण धरती का रूप बदलता है ।
2. बारिश में आवागमन कम होता है, इसलिए चातुर्मास का व्रत एक स्थान पर रहकर किया जा सकता है । एक ही स्थान पर बैठकर ग्रंथवाचन, मंत्र जप, नामस्मरण, अध्ययन, साधना करना इत्यादि उपासना का महत्त्व है ।
3.  मानव के मानसिक रूप में भी इस काल में परिवर्तन होता है । देह की पचनादि क्रियाएं भी भिन्न ढंग से चलती हैं । इस समय कंद,  बैगन, इमली आदि खाद्य पदार्थ वर्ज्य बताए गए हैं।
4. परमार्थ के लिए पोषक और संसार के लिए कुछ बातों का निषेध होना, चातुर्मास की विशेषता है ।
5. चातुर्मास में सावन माह का विशेष महत्व है, आश्‍विन मास के कृष्ण पक्ष में महालय श्राद्ध करते हैं।
6. चातुर्मास में त्यौहार और व्रत अधिक होने का कारण: श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक इन 4 महीनों में पृथ्वी पर आने वाली तमोगुणी यम लहरी का प्रमाण अधिक होता है उसका मुकाबला कर सकें इसलिए सात्विकता बढ़ाना आवश्यक होता है। त्योहार और व्रत के द्वारा सात्विकता बढ़ने के कारण चातुर्मास में अधिक से अधिक त्यौहार और व्रत आते हैं । शिकागो मेडिकल स्कूल के स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉक्टर डब्ल्यु. एस. कोगर द्वारा किए शोध में जुलाई, अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर इन 4 महीनों में विशेषत: भारत में स्त्रियों को गर्भाशय से संबंधित रोग चालू होते हैं या फिर बढ़ते हैं ऐसा पाया गया है ।
7. चातुर्मास में व्रतस्थ रहना चाहिए।

‘सर्वसामान्य मनुष्य चातुर्मास में कुछ न कुछ व्रत करते हैं। जैसे पत्ते पर खाना खाना या एक समय का ही भोजन करना, बिना मांगते हुए जितना मिले उतना ही खाना, एक ही बार सब पदार्थ परोस कर खाना, कभी खाने को एक साथ मिलाकर खाना ऐसा भोजन का नियम करते हैं। काफी स्त्रियां चातुर्मास में ‘धरणे-पारणे’ नाम का व्रत करते हैं। इसमें एक दिन खाना और दूसरे दिन उपवास ऐसा 4 माह करना रहता है । कई स्त्रियां चातुर्मास में एक या दो अनाज ही खाती है। कुछ एक समय ही खाना खाती है। देशभर में चातुर्मास के अलग आचार दिखाई पड़ते हैं।

चातुर्मास में क्या नही करना चाहिए : 

1. भगवान् विष्णु को न चढ़ाए जाने वाले खाद्य पदार्थ, मसूर, मांस,लोबिया, अचार, बैंगन, बेर, मूली, आंवला, इमली, प्याज और लहसुन इस अवधि के दौरान वर्जित माने जाते हैं।
2. पलंग पर नहीं सोना चाहिए
3. ऋतु काल के बिना स्त्रीगमन
4. दूसरों का अन्न नहीं लेना चाहिए
5. विवाह या अन्य शुभ कार्य
6. चातुर्मास में यति को बाल काटना निषिद्ध बताया है। उसको चार माह अथवा कम से कम दो माह तो एक स्थान पर रहना चाहिए। ऐसा धर्मसिंधु और धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

चातुर्मास में क्या सेवन करना चाहिए : चातुर्मास में हविष्यान्न सेवन करना चाहिए, ऐसा बताया गया है, चावल, मूंग, जौ,  तिल, मूंगफली, गेहूं ,समुद्र का नमक, गाय का दूध, दही , घी, कटहल, आम, नारियल, केला यह पदार्थ सेवन करने चाहिए। (वर्ज्य पदार्थ रज -तम गुण युक्त होते हैं तथा हविष्य अन्न सत्व गुण प्रधान होते हैं)

संदर्भ  : सनातन – निर्मित ग्रंथ ‘ त्योहार ,धार्मिक उत्सव और व्रत’

कु. कृतिका खत्री,
सनातन संस्था, दिल्ली