Agra News: बेटी से मिलने दस माह से छटपटा रही यशोदा, आठ साल से लावारिश को पाल रही महिला, जिम्मेदारों ने बच्ची छीनकर बाल गृह में किया निरूद्ध

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आगरा: कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। कृष्ण को भी यशोदा ने पालकर मिशाल कायम की थी लेकिन आगरा की यशोदा ने एक लावारिश बच्ची को अपने आंचल की छांव में पाला। हर साल जन्मदिवस को उत्सव के रूप में मनाती है। काण्वेंट स्कूल में पढ़ाती है लेकिन मामला बाल कल्याण समिति के संज्ञान में आने पर बच्ची को यशोदा से छीनकर बाल गृह में निरूद्ध कर दिया। अब यशोदा दस माह से बेटी से मिलने को छटपटा रही है। उधर बच्ची भी मां से मिलने को दहाड़ मारकर रोती है। यशोदा अधिकारियों से लगातार मिल रही है। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस के साथ डीएम कार्यालय में एसीएम तृतीय से मिलकर बेटी दिलाने की मांग की।

किन्नर को मिली लावारिश

टेढ़ी बगिया निवासी यशोदा (परिवर्तित नाम) को आठ वर्ष पूर्व 28.11.2014 को फरुर्खाबाद के एक किन्नर को नवजात शिशु लावारिश पड़ी मिली थी। नवजात की हालत ठीक नहीं थी। उसने यशोदा को पालन पोषण के लिए बालिका को दिया और कहा कि इसका पालन पोषण कर लेना नहीं तो कहीं फेंक देना। यशोदा ने नवजात बालिका को नहला धुलाकर पहले दिन से ही उसका बेटी की तरह पालन पोषण करना शुरू कर दिया तब से अब तक बालिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण को ध्यान में रखते हुए बेहतर परवरिश कर रही है। अब बालिका आठ वर्ष की हो गई है। यशोदा उसे कांवेंट स्कूल स्कूल में पढ़ा रही है। पूरा परिवार उसे प्यार दुलार करता है। बालिका का जन्मदिन एक उत्सव के रूप में हर साल मनाया जाता है। उस दिन सभी रिश्तेदार और परिचितों को दावत भी दी जाती है। बच्ची तथा परिवार के सभी सदस्य आपस में भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।

दस माह बाद बालिका ली बापस

अक्टूबर 2021 को किन्नर यशोदा की अनुपस्थिति में घर आकर बालिका को घुमाने फिराने के बहाने घर से ले गया। उसके बाद बालिका को बापस करने में आनाकानी करने लगा। फरुर्खाबाद पुलिस तथा चाइल्ड लाइन के हस्तक्षेप पर बालिका को बरामद कर प्रार्थिया के सुपुर्द करा दिया। कुछ दिनों बाद आगरा चाइल्ड लाइन ने बालिका को आगरा बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कराया। बाल कल्याण समिति ने बालिका को बाल गृह में निरूद्ध कर दिया लेकिन 12 दिन बाद दिनांक 22.12.2021 को आगरा बाल कल्याण समिति ने प्रार्थिया को फिट पर्सन घोषित कर बालिका को प्रार्थिया की सुपुर्दगी में दे दिया तथा पढ़ाई लिखाई कराने और देखभाल करने को आदेश दिया। हर 15 दिन बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा। प्रार्थिया हर 15 दिन बाद कायनात को लेकर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत होती रही। हर तारीख पर प्रार्थिया से हस्ताक्षर कराते रहे। बाल कल्याण समिति लगातार फॉलोअप करती रही। सभी संतुष्ट थे लेकिन आठ माह बाद दिनांक 17.08.2022 को बाल कल्याण समिति ने प्रार्थिया को कायनात के साथ बुलाया कुछ दिन बालिका को बाल गृह में रखने की कहकर बालिका को राजकीय बाल गृह में निरूद्ध करा दिया। दिनांक 06.03.2023 को बाल कल्याण समिति संरक्षण अधिकारी बाल संरक्षण इकाई की रिपोर्ट के आधार पर बालिका को यशोदा की सुपुर्दगी देने से इंकार कर दिया। आदेश में कहा कि वह बालिका का पालन पोषण करने में सक्षम नहीं है जबकि वह पिछले आठ वर्षों से बालिका का बेहतर तरीके से पालन पोषण कर रही है। उसे कांवेंट स्कूल में शिक्षा दिला रही है।

चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट से मांगी मदद

अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद भी बालिका नहीं मिली तो यशोदा ने बच्चों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस से मदद मांगी। वह नरेश पारस के साथ डीएम कार्यालय में उनकी अनुपस्थिति में एसीएम तृतीय से मिली। उनसे कहा कि बाल कल्याण समिति के आदेश से बच्चे पर मानसिक नकारात्म प्रभाव पड़ रहा है। उसकी पढ़ाई छूट गई है। बालिक आठ वर्ष से परिवार में रह रही थी। इससे बालिका तथा परिवार का एक दूसरे से भावनात्मक लगाव हो गया। नरेश पारस ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम की मंशा बाल हित को सर्वोपरि रखते हुए बच्चे को परिवार में समेकित कर पुनवासित कराने की है लेकिन यह बालहित के विपरीत है।

बालिका का हित प्रभावित

नरेश पारस ने कहा कि बालिका का सर्वोत्तम हित प्रभावित हो रहा है। बालिका पर मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। एक वर्ष बाद बालिका को कानपुर राजकीय बालिका गृह में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। जहां से बच्ची के परिवार में समेकित होने की संभावना खत्म हो जाएगी। पूर्व में आगरा बाल कल्याण समिति द्वारा प्रार्थिया को फिट पर्सन घोषित कर बालिका को सुपुर्दगी में दे दिया। वहीं आठ माह बाद बालिका को छीन लिया गया। आठ माह में ऐसी क्या परिस्थितयां बदली कि दुबारा आदेश जारी करना पड़ा। यह जांच का विषय है। किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल व संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2021 में संशोधित कानून के तहत 01.09.2022 से दत्तक प्रक्रिया पूरी करने की जिम्मेदारी डीएम को दी गई है तथा अपीलिय अधिकारी नामित किया है। बालिका के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए अपील की सुनवाई करें। नरेश पारस ने कहा कि पीड़िता को स्थानीय स्तर पर न्याय नहीं मिला तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।